Maharashtra; राज्य सरकार नहीं चाहती निष्पक्ष चुनाव ?

चुनाव अधिकारियों के जरिये खुद के पक्ष में जीत हासिल करने के प्रलोभन में महाराष्ट्र की सरकार तबादले को रोके हुए है। शिंदे सरकार पर उठते सवाल?

सुरेन्द्र राय
मुंबई-
आम चुनाव आते ही बड़े अधिकारियों के ट्रांसफर का दौर शुरू हो जाता है। सरकारें चुनाव आयोग पर दबाव डालती रहती हैं, ताकि ऐसे अधिकारी रहें जो उसकी पार्टी को चुनाव जीताने में मदद करें। महाराष्ट्र के चुनाव आयोग ने बीएमसी में बहुत समय से अपना साम्राज्य बनाकर बैठे अधिकारियों के ट्रांसफर का आदेश दिए हैं। लेकिन शिंदे सरकार उन्हें हटा नहीं रही। क्यों यह तो सरकार ही बता सकती है?

महाराष्ट्र चुनाव आयोग के निर्देश।

सूत्रों के अनुसार बृहन्मुंबई महानगर पालिका (BMC) कमिश्नर इक़बाल सिंह चहल, उपायुक्त अश्विनी भिड़े और बेलरासू चार-चार साल से अपने पदों पर एक ही जगह बैठे हैं। जिन्हें हटाने का आदेश महाराष्ट्र चुनाव आयोग ने दे दिया है। परन्तु शिंदे सरकार हटाने को तैयार ही नहीं हैं। कारण ये अधिकारी शिवसेना उद्धव ठाकरे गुट के समय पदनिर्देशित किए गए थे। जिन्हें उद्धव ठाकरे गुट के खास भी माने जाते हैं। अगर तीनों बड़े मनपा अधिकारियों के ट्रांसफर नहीं किए गए तो निष्पक्ष चुनाव हो ही नहीं पाएगा। इसकी भी जानकारी सूत्र बताते हैं।

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आयुक्त इकबाल सिंह चहल को शिवसेना उद्धव ठाकरे गुट का माना जाता है। 15 मार्च तक चुनाव आचार संहिता लागू होने वाली है। अतः दो दिनों में तीनों बड़े अधिकारियों को हटाना ज़रूरी है। मगर अभी तक चुनाव आयोग के आदेश के बावजूद हटाया नहीं गया है। ख़बर के मुताबिक, आयुक्त इक़बाल सिंह चहल को सेक्रेटरी बनाया जाना है। या बनना चाहते हैं। इसलिए वे यहां से हटना नहीं चाहते। इसके साथ ही परदेशी को मनपा आयुक्त बनाने की बात चली लेकिन परदेशी ने रुचि नहीं दिखाई और साफ तौर पर मना कर दिया, कि वे इच्छुक नहीं है।

चुनाव,

मुख्यमंत्री के बांधें है किसी ने हाथ ..

चुनाव आयोग की सख्ती और तीनों पदों पर राज्य सरकार किसे लाती है। इस बात को लेकर मुंबई में चर्चा का विषय बना हुआ है। विपक्ष कांग्रेसी नेता विजय वेडेट्टीवार का कहना है, कि मुख्यमंत्री का हाथ किसने बांध दिया है? क्या इन अधिकारियों का दबाव शिंदे पर है? हो सकता है, शिवसेना में रहते हुए शिंदे के तीनों अधिकारियों से मधुर संबंध रहे हों। उन्होंने राज्य चुनाव आयोग के साथ ही केंद्रीय चुनाव आयोग को भी पत्र लिखा है।

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इसके साथ ही, सुधाकर शिंदे के संदर्भ में आरोप है, कि वे आईएएस नहीं होने के बावजूद भी आईएएस पद पर बैठे हुए हैं।उन्होंने साकीनाका झोपड़पट्टी पुनर्वसन में करोड़ों के घोटाले के साथ ही फर्जी लोगों को जालसाजी कर आवास आवंटन करने के आरोप लगाए हैं। उन्होंने सीट से जांच कराने की भी मांग की है।


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