- मुंबई को केंद्र शासित किए जाने की मांग..
नितिन तोरस्कर
मुंबई- देश में दो राज्यों की सीमाओं से सटें गांवों को लेकर रस्सा-कस्सी ज़ोर पकड़ ली है! कहीं न्यायीक प्रकृया, तो कही मुंबई को ही केंद्र शासित किए जाने की मांग होने लगी है! इसी बीच महाराष्ट्र के भाजपा नेताओं के सामने राज्य के मराठी भाषी और भाजपा की राजनिती के बीच चयन करने की दुविधा आन पड़ी है!
बेलगाम को लेकर महाराष्ट्र सरकार का ऐलान
दरअसल, महाराष्ट्र औऱ कर्नाटक के बीच सियासी जंग तेज होती दिख रही है! बेलगाम को लेकर महाराष्ट्र सरकार के ऐलान के बाद कर्नाटक के उपमुख्यमंत्री लक्ष्मण सावदी के मुंबई पर दिए बयान से राजनीति गरमा गई है! महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री अजित पवार ने गुरुवार को कहा, कि “मुंबई महाराष्ट्र का हिस्सा था और हमेशा रहेगा!” साथ ही उप मुख्यमंत्री अजित पवार ने महाराष्ट्र राज्य के भाजपा नेताओं से पूछा है, कि “क्या वे कर्नाटक के भाजपा नेताओं के बयान से सहमत हैं!”
महाराष्ट्र सरकार की सीमा से सटे मराठी भाषी गांवों को महाराष्ट्र में शामिल करने के मांग पर प्रतिकृया देते हुए, कर्नाटक के उपमुख्यमंत्री लक्ष्मण सावदी ने मुंबई को कर्नाटक का हिस्सा बनाए जाने की मांग की थी! इसपर अजित पवार ने कहा, कि “हर कोई जानता है कि मुंबई महाराष्ट्र का हिस्सा है और यह हमेशा रहेगा!” एनसीपी महाराष्ट्र में महा विकास अघाड़ी गठबंधन सरकार का हिस्सा है! पार्टी ने सावदी की मांग पर भाजपा को अपना रुख स्पष्ट करने को कहा है! बता दें, कि केंद्र के साथ-साथ कर्नाटक में भाजपा की सरकार है!
केंद्र शासित प्रदेश घोषित करने का अनुरोध
सावदी ने बुधवार को कहा था कि मुंबई को कर्नाटक का हिस्सा बना देना चाहिए! उन्होंने केंद्र से तब तक इसे केंद्रशासित प्रदेश घोषित करने का अनुरोध किया था! जब तक फैसला नहीं आ जाता! दरअसल, महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने कहा था, कि “इस मुद्दे पर जब तक उच्चतम न्यायालय का फैसला नहीं आ जाता तब तक कर्नाटक के साथ राज्य की सीमा से लगते मराठी भाषी इलाकों को केंद्रशासित प्रदेश घोषित कर देना चाहिए!” इसके बाद कर्नाटक के डेप्यूटी सीएम सावदी का मुंबई को लेकर यह बयान सामने आया!
महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री अजित पवार ने कहा, कि “मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे की टिप्पणी के बाद सावदी ने कर्नाटक के लोगों को खुश करने के लिए मुंबई का नाम ले लिया! मुंबई महाराष्ट्र का हिस्सा है, यह कल भी हमारा था, आज भी है और भविष्य में भी हमारा ही रहेगा! इसे कोई बदल नहीं सकता है! ऐसे बेतूके बयान को नजरअंदाज किया जाना चाहिए!”
केंद्र को इसमें दखल देना चाहिए
अजित पवार ने अधिक जानकारी देते हुए बताया, कि “कर्नाटक ने पहले भी यह दिखाने के लिए ऐसे कदम उठाए थे कि दक्षिणी राज्य में मराठी भाषी इलाके कर्नाटक राज्य का हिस्सा हैं! लेकिन हमलोग यह कहना चाहते हैं कि अगर दो राज्यों के बीच कोई मुद्दा उठता है तो केंद्र को इसमें दखल देना चाहिए और कोई रास्ता तलाशना चाहिए! इसलिए हमने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया है! इस संबंध में किसी एक पक्ष की तरफ से नहीं बल्कि गंभीरता से रास्ता तलाशने की ज़रुरत है!”
महाराष्ट्र में एनसीपी प्रवक्ता महेश तपासे ने भाजपा अध्यक्ष चंद्रकांत पाटिल और विधानसभा विपक्ष के नेता देवेंद्र फडणवीस से पूछा कि क्या वे सावदी की मांग से सहमत हैं! तपासे ने एक वीडियो के जरिए भाजपा के चंद्रकांत पाटिल और फडणवीस से कहा, कि “अगर वे महाराष्ट्र के साथ हैं तो सावदी का मुंहतोड़ जवाब दें!”
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