मुंबई के दहिसर पूर्व स्थित शुक्ला कंपाउंड में 400 परिवारों का भविष्य अधर में लटका है। विकासक द्वारा 1962 से पहले के दस्तावेज़ मांगने पर दिंडोशी के MLA सुनील प्रभु ने मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस को पत्र लिखकर इस नियम में बदलाव की मांग की है। मामला अब शीतकालीन अधिवेशन में उठेगा।
मंत्रालय प्रतिनिधि
मुंबई: दहिसर पूर्व के रावलपाड़ा स्थित शुक्ला कंपाउंड में रहने वाले करीब 400 परिवारों का भविष्य संकट में पड़ गया है, क्योंकि प्रोजेक्ट डेवलपर ने इन सभी परिवारों से घर पुनर्विकास पात्रता के लिए 1962 से पहले के दस्तावेज़ देने की शर्त रखी है।
इन दस्तावेज़ों को उपलब्ध न करा पाने के कारण सैकड़ों परिवार बेघर होने की चिंता में हैं। अब यह मामला राजनीतिक रूप से बड़ा रूप ले चुका है।
🏘 45 साल से रहने वाले परिवारों पर बेघर होने का खतरा
शुक्ला कंपाउंड में रहने वाले अधिकतर परिवार पिछले चार से पांच दशकों से इस इलाके में रह रहे हैं। कई परिवार छोटे उद्योग और मजदूरी कर अपनी रोज़ी-रोटी चलाते हैं।
इन निवासियों का कहना है कि उन्होंने बिजली बिल, राशन कार्ड, आधार कार्ड, पानी के बिल सहित कई सरकारी दस्तावेज़ जमा किए हैं, लेकिन डेवलपर केवल 1962 के पहले की ओनरशिप प्रूफ स्वीकार कर रहा है — जो लगभग असंभव है।
🏗 डेवलपर पर स्वार्थी प्रोजेक्ट प्लानिंग का आरोप
मौजूदा ज़मीन का असली मालिक गोविंद पाटिल ने यह प्लॉट साल 1920 में इकबाल मिर्ची से जुड़े नामों और शेलाजी इंफ्रास्ट्रक्चर के अशोक जैन को बेचा था।
अब विकासक अशोक जैन इस जमीन पर हाई-राइज़ हाउसिंग प्रोजेक्ट बनाने की तैयारी कर रहे हैं।
रहवासियों का आरोप है कि—
“डेवलपर खुद का फायदा ज्यादा देख रहा है और पुराना डेट ऑफ लाइन दिखाकर लोगों को बाहर करने की कोशिश कर रहा है।”
🧾 MLA सुनील प्रभु पैरवी में, मुख्यमंत्री को पत्र
दिंडोशी विधानसभा के शिवसेना नेता एवं MLA सुनील प्रभु ने इस मामले में दखल देते हुए मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस को पत्र लिखा है।
हर साल 51 बच्चे जाएंगे NASA, जानिए क्या है “मुख्यमंत्री विद्यार्थी विज्ञान वारी” योजना
प्रभु ने पत्र में लिखा कि—
“मुंबई और महाराष्ट्र में किसी भी हाउसिंग स्कीम में पात्रता के लिए अधिकतर जगह 2012 से पहले का डॉक्यूमेंट पर्याप्त माना जाता है। ऐसे में शुक्ला कंपाउंड में 1962 की शर्त अन्यायपूर्ण है और इसे बदला जाना चाहिए।”
उन्होंने यह भी ऐलान किया कि वे इस मुद्दे को आगामी नागपुर में होने वाले शीतकालीन विधान सभा अधिवेशन में ‘ध्यान आकर्षण’ के रूप में उठाएँगे।
🔍 इस बदलाव से अन्य प्रोजेक्ट भी होंगे प्रभावित
यदि सरकार दस्तावेज़ की पात्रता 1962 से बदलकर 2012 या वर्तमान नियम के अनुसार करती है, तो उसका सीधा लाभ—
✔ मुंबई
✔ ठाणे
✔ पालघर
✔ नवी मुंबई
में हो रहे हज़ारों पुनर्विकास प्रोजेक्ट्स को मिल सकता है।
❓ FAQ सेक्शन:
| प्रश्न | उत्तर |
|---|---|
| क्या नियम अभी बदले गए हैं? | नहीं, नियम बदलने की मांग की गई है और मामला विधानसभा में उठेगा। |
| क्या सभी रहवासियों को घर मिलेगा? | फिलहाल स्थिति अनिश्चित है। नियम बदलने पर ही रास्ता स्पष्ट होगा। |
| क्या यह मामला कानूनी रूप से कोर्ट में जा सकता है? | हाँ, यदि समाधान न मिला तो रहवासी कोर्ट का दरवाजा खटखटा सकते हैं। |
Discover more from
Subscribe to get the latest posts sent to your email.


