कर्नाटक में हार का सबब क्या जान सकेगी भाजपा ?

  • कर्नाटक में हार का सबब।
  • मोदी का कर्नाटक चुनाव में आजमाया हर पैंतरा फेल।
  • कर्नाटक चुनाव में अपनी पराजय से भाजपा सरकार सदमें में।
  • दर्शकों की उदासीनता से घबराने लगी है भाजपा की वकालत करने वाली गोदी मीडिया।

सुरेंद्र राजभर
मुंबई-
बड़े जोरोंशोरों के साथ अपना लाव-लश्कर लेकर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, गृहमंत्री अमित शाह और भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष यानी शासन और संगठन के चीफ कर्नाटक में ही जमे हुए थे। दूसरी ओर सांसद सदस्यता गंवा चुके राहुल गांधी, उनकी बहन प्रियंका गांधी और कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष जमे हुए थे। जहां भारतीय जनता पार्टी बड़े चेहरों के साथ खूब ताम-झाम के साथ सभाओं पर सभाएं करने, बड़ी रैली करने में तल्लीन रहे। मोदी ने हर पैंतरा आजमाया। कर्नाटक की सरकार को नहीं खुद अपने लिए वोट मांगा। कर्नाटक को एक सुपर राज्य बनाने की बात कही। देश में कर्नाटक को विशेष मॉडल बनाने की बात कही। वे चुनाव प्रचार की चमक दमक से जनता को लुभा रहे थे। यहां तक कि उन्होंने दिल्ली के जंतर मंतर पर धरना दे रही महिला पहलवानों की अपील के बावजूद एक भी शब्द नहीं कहा। मनीपुर जल रहा है। सौ से ऊपर लोग मरे हैं। चालीस हजार बेघर हुए हैं। कुछ का पता नहीं है। उसकी भी चर्चा नहीं की! (karnataka Election 2023)

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कर्नाटक में हार का सबब।

जम्मू कश्मीर के राजौरी में छः जवान आतंकियों की गोली से शहीद हो चुके हैं। उनकी भी चर्चा नहीं। सिर्फ लोकसभा चुनाव का सेमीफाइनल मानकर सारा दम राज्य में बीजेपी की पुनः सरकार बनाने में लगे रहे। देश में हो रही घटनाओं के प्रति उदासीन बने रहे। कर्नाटक की जनता कैसे भूल जाती कि राज्य में चालीस प्रतिशत कमीशन के कारण जितनी परेशानी हुई है। फिर उसी सरकार को कैसे जनता सत्ता सौप देती? वहीं कर्नाटक की जनता ने कांग्रेस को बहुमत दे दिया है। इसमें भाजपा की पराजय नहीं मोदी की पराजय हुई है। (karnataka Election 2023)

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सरकार जब संवेदनहीन हो जाती है तो जनता न्याय मांगने के लिए धरने पर बैठती है। मजेदार बात यह कि मोदी के चुनाव क्षेत्र के किसान दिल्ली में महीने भर से धरना दे रहे हैं मगर उनकी भी सुधि लेने वाला कोई नहीं है। पिछले किसान आंदोलन के एक साल होने पर आसन्न चुनाव को ध्यान में रखकर अंत में मोदी ने कहा, मेरी तपस्या में कमी रह गई होगी कि मैं समझा नहीं पाया। अपनी सरकार के तीनों कानून वापस ले लिए थे। (karnataka Election 2023)

कर्नाटक में हार,
कर्नाटक चुनाव पर प्रतिकारात्मक तस्वीर

जंतर मंतर पर महिला पहलवानों का धरना, दिल्ली पुलिस की कायरता पूर्ण अमानवीय चेहरा सोशल मीडिया के माध्यम से सारे देश और दुनिया में फैल चुकी है। कर्नाटक में गोदी मीडिया बीजेपी को प्रचंड बहुमत बताने में लगी थी। मनीपुर, जंतर-मंतर और छः सैनिकों की घात लगाकर हत्या पर मौन साधे हुए है। उसे जनता से कोई सरोकार नहीं है। दिन रात महिला पहलवानों की जाति बताने, आरोपी बृजभूषण की यशगाथा गाने में लगी हुई है। बृजभूषण को बचाने का जो कार्य केंद्र सरकार और गोदी मीडिया कसीदे पढ़ने में व्यस्त है। (karnataka Election 2023)

प्रमुख मीडिया घराने बीजेपी मोदी के याद यशोगान में व्यस्त लोकतंत्र का चौथा स्तंभ खत्म कर दिए हैं। चंद संसाधन हीन प्रिंट मीडिया और यूट्यूबर निष्पक्ष रूप से सच दिखाने और बताने में लगे हैं। गोदी मीडिया के नक्कार खाने में तूती की आवाज कैसे सुनाई दे सकती है। फिर भी लाखों की संख्या में देखने वाले बहुमत की संख्या में है। महिला पहलवानों के धरने को विपक्षी साजिश बताने में लगा है आइ टी सेल और गोदी मीडिया। सरकार की वकालत करने वाली गोदी मीडिया भी दर्शकों की उदासीनता से घबराने लगी है। बस हिंदू मुसलमान, चीन पाकिस्तान करने में लगी बीजेपी सरकार कर्नाटक में अपनी पराजय से सदमें में है। (karnataka Election 2023)

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कर्नाटक में बीजेपी की हार का सिलसिला यहीं नहीं रुकेगा। लोकसभा चुनाव में पश्चिमी उत्तर प्रदेश, हरियाणा, पंजाब, दिल्ली और राजस्थान में भी बीजेपी की हार तय हो चुकी है। बेहद शर्मनाक वाकया से देश का सिर झुक गया है। लोकसभा चुनाव में भी बीजेपी की हार तय है। क्योंकि पांच राज्यों में आधा हिस्सा बीजेपी से छुब्द है। महिलाओं के प्रदर्शन और मोदी द्वारा उपेक्षा से छात्रों, युवकों, किसानों, मजदूरों पर बेहद प्रभाव है जिसका जवाब आगामी चुनाव में बीजेपी की हार सुनिश्चित है। (karnataka Election 2023)


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