जयप्रकाश आंदोलन में नीतीश कुमार, शरद यादव, लालू यादव, मुलायम सिंह यादव जैसे राजनीति के पुरोधाओं का अभ्युदय हुआ।

  • राजनीतिक इतिहास जो बरसों से होता आ रहा है क्या अभी ऐसा ही होगा?
  • विपक्षी नेताओं के घरों में छापे मारने के लिए आईटी, सीबीआई और ईडी को लगाया जा रहा।
  • सरकार को अपनी पार्टी और सरकार में शामिल भ्रष्टाचार नही दिख रहा।

सुरेंद्र राजभर
वाराणसी-
बड़े सयाने कहा करते हैं। इतिहास अपने आप को दोहराता रहता है। तो क्या 2024 में 1977 का इतिहास एक बार पुनः खुद को दोहराने जा रहा? आसार ऐसे ही नजर आ रहे है। नवयुवकों को शायद ज्ञात ही नहीं हो लेकिन प्रौढ़ पुरुषों के मस्तिष्क में 1977 का इतिहास आज भी ताजा होगा। क्योंकि जननायक जयप्रकाश नारायण ने इंदिरा गांधी की तानाशाही का विरोध करते हुए देश भर में इंदिरागंधी की तानाशाही के खिलाफ आंदोलन शुरू किया था। जिस तरह अन्ना हजारे के आंदोलन के गर्भ से आप आदमी पार्टी का उदय हुआ। अरविंद केजरीवाल जैसे नेता उसी आंदोलन की उपज हैं तो जयप्रकाश आंदोलन ने देश को नीतीश कुमार, शरद यादव, लालू यादव, मुलायम सिंह जैसे राजनीति के पुरोधाओं का अभ्युदय हुआ।

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घोषित इमरजेंसी में सारे विरोधी नेताओं को जेल में ठूंस दिया गया। जैसे आज भ्रष्टाचार के नाम पर केवल विपक्षी नेताओं के घरों में छापे मारने के लिए आईटी, सीबीआई और ईडी को लगाया जा रहा है। ताकि उनका मनोबल तोड़ दिया जाए। जेल के सीखचों के पीछे धकेल दिया जा रहा। लेकिन सरकार को अपनी पार्टी और सरकार में शामिल भ्रष्टाचार नहीं दिख रहा।

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क्या इतिहास खुद को दोहराने जा रहा?

इतिहास,
राजनेता नीतीश कुमार और लालू प्रसाद यादव की फाइल तस्वीर

उस वक़्त, मजबूर होकर सभी विपक्षी दलों ने अपने आप को एक मात्र को जनता पार्टी में विलय कर दिया था और फिर इंदिरा गांधी की कांग्रेस बुरी तरह चुनाव में हारी थी। आज भी विपक्षी दलों के नेता समान विषयों पर सहमति बनाकर एक के विरुद्ध एक प्रत्याशी खड़ा करने के मार्ग पर बढ़ रहे है। ऐसा होने पर बीजेपी की लोकसभा चुनाव में हार सुनिश्चित कर लेंगे और जिस प्रकार इंदिरा गांधी सहित संजय गांधी की हार हुई थी वैसे ही कहीं मोदी और अमित शाह की हार न हो जाए। ऐसा होने पर 1977 का इतिहास अपने आप को 2024 में दोहरा देगा।


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