बिना डिग्री के ही बन बैठे हैं विशेषज्ञ। मलाड (वेस्ट) के रक्षा हॉस्पिटल में मरीजों की जान के साथ हो रहा खिलवाड़। अजब अस्पताल के गजब डॉक्टर। इस पर क्यों नहीं पड़ रही स्वास्थ विभाग की नजर। Bombay nursing home registration
सुरेंद्र राजभर
मुंबई- मलाड (पश्चिम) मार्वे रोड, अथर्व कॉलेज के पास स्थित रक्षा मल्टीस्पेशलिटी हॉस्पिटल के डॉक्टरों वाले बोर्ड पर नजर डालेंगे तो आपको यहाँ हड्डी रोग, चेस्ट पेन, सर्जरी, बाल रोग, प्रसूति, ह्रदय रोग सहित तमाम शारीरिक बीमारियों के डाक्टरों का नाम लिखा हुआ मिलेगा। शायद ही कोई एकाध बीमारी होगी जो संचालक महोदय की गलती से छूट गयी होगी या फिर बोर्ड पर जगह कम पड़ गया होगा।
क्रिकेट मैचों में हुआ बड़ा भ्रष्टाचार
Bombay Nursing Home Registration

अजब अस्पताल..
लेकिन यहाँ इस अजब अस्पताल में सबसे ज्यादा जो महत्वपूर्ण ध्यान देने वाली बात है वह ये है, की इस बोर्ड पर डॉक्टरों के नाम के आगे उनके द्वारा इलाज की जाने वाली बीमारी को ही दर्शाया गया है। किसी की कोई भी शैक्षणिक योग्यता अथवा डिग्री का कोई उल्लेख नहीं है। अब सम्बंधित डॉक्टर साहब पढ़कर डॉक्टर बने हैं या फिर ऐसे ही स्वयंघोषित डॉक्टर बन गए हैं। इसकी जानकारी मरीजों को नहीं हो पाती है।
गजब डॉक्टर..
जबकि “बॉम्बे नर्सिंग होम रजिस्ट्रेशन एक्ट” साफ कहता है, कि नर्सिंग का पेशा करने के लिए उचित शैक्षणिक योग्तया और उसका सर्टिफिकेट ज़रूरी है। इस अजब अस्पताल गजब डॉक्टर के सूत्र बताते हैं, कि हॉस्पिटल के मालिक प्रणव काबरा बेहद कम वेतन पर गैर अनुभवी डॉक्टरों और नर्सों से अस्पताल में आने वाले मरीजों को इंजेक्शन देने, ग्लूकोज चढ़ाने, चोट लगने पर टांके लगाने और ओ.टी. असिस्टेंट करने जैसे बेहद संवेदनशील और महत्वपूर्ण चकित्सा क्रिया कराते हैं।
प्रशासन पर उठ रहे हैं सवाल?
एक ओर जहाँ एक छोटा सा दुकान खोलने पर भी प्रसाशन द्वारा तमाम तरह की नोटिस चिपका दिया जाता है, वहीँ दूसरी तरफ इतने बड़े अस्पताल में गैर अनुभवी लोगों द्वारा इलाज किया जा रहा है इस तरफ स्वास्थ विभाग क्यों आंख मूंदकर बैठा है।
खुले आम चल रहे इस तरह के कृत्य पर पी/नॉर्थ वार्ड के आरोग्य विभाग के वैद्यकीय आरोग्य अधिकारी कल्पेश भालेराव के कानों पर जूं नहीं रेंग रही है और धड़ल्ले से मरीजों की जिंदगी के साथ खिलवाड़ करने की छूट दे दी गयी है। कानूनी कार्रवाई तो बड़ी दूर की बात है। एक कानूनी नोटिस भी अस्पताल के संचालक को नहीं दिया जाता की अनुभवी और डिग्री होल्डर डॉक्टरों से मरीजों का इलाज कराया जाय।
Discover more from
Subscribe to get the latest posts sent to your email.
Pingback: दस हजार करोड़ नहीं बीस हजार करोड़ का है पानी घोटाला। - Indian Fasttrack (Electronic Media)
Pingback: दस हजार करोड़ नहीं बीस हजार करोड़ का है पानी घोटाला।