इस्माइल शेख
मुंबई- Fake Vaccination Drives in Mumbai, महाराष्ट्र और देश की आर्थिक राजधानी मुंबई में हजारों की संख्या में लोगों को फर्जी वैक्सीन लगाने और लोगों के स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ का चौंकाने वाला मामला सामने आया है। राज्य सरकार ने आज गुरुवार को मुंबई हाईकोर्ट (Bombay High Court) को खुद इसकी जानकारी दी।
शिवसेना के उद्धव ठाकरे सरकार ने हाईकोर्ट को बताया कि मुंबई में अभी तक दो हजार से अधिक लोग फर्जी कोविड-19 वैक्सीनेशन कैंप का शिकार हो चुके हैं। इसमें अभी तक पांच पुलिस थानों में एफआईआर दर्ज हो चुके हैं और चार सौ गवाहों के बयान दर्ज किए जा चुके हैं।
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सरकार ने हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस दीपांकर दत्ता और जस्टिस जीएस कुलकर्णी की बैंच को बताया कि “मुंबई में अभी तक 4 फर्जी वैक्सीनेशन कैंप के आयोजन का खुलासा हुआ है।” जब कि इस संबंध में कांदिवली पुलिस में गिरफ्तार 5 आरोपियों ने सबसे पहले 9 जगहों पर फर्जी कैंप लगाने की जानकारी दी थी।
पहला कांदिवली पुलिस थाने में मामला दर्ज होने के बाद, दूसरा वर्सोवा पुलिस थाने में, तीसरा मामला खार पुलिस थाने में मामला दर्ज हुआ। अब चौथा इन्हीं आरोपियों के खिलाफ बोरिवली पुलिस थाने में आदित्य कॉलेज की तरफ से 365 लोगों को नकली वैक्सीन लगाऐ जाने के विरुद्ध मामला दर्ज किया गया है।
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इसी केस से संबंधित गोरेगांव के नेस्को कोविड़ सैंटर से गुड़िया यादव नामक महिला कर्मचारी को गिरफ्तार किया गया है, जो फर्जी सर्टिफिकेट बनाकर देती थी। पुलिस इस मामले में और भी गिरफ्तारी की कोशिश कर रही है।
सरकार ने कोर्ट को बताया, कि अब तक कम से कम 2,053 लोग फर्जी वैक्सीनेशन कैंप का शिकार हो चुके हैं। इनमें से कुछ आरोपियों की पहचान भी कर ली गई है। वहीं हाईकोर्ट ने सरकार की रिपोर्ट पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि सरकार और बृहन्मुंबई महानगर पालिका के अधिकारियों को पीड़ितों में फर्जी टीके के दुष्प्रभाव का पता लगाने के लिए उनकी जांच करवानी चाहिए।
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मुंबई हाईकोर्ट की बैंच ने कहा, कि “हमारी चिंता है, फर्जी टीका लगवाने वाले लोगों के साथ क्या हो रहा है, फर्जी टीके की जगह उन्हें क्या लगाया गया और इसका क्या असर पड़ा?” सुनवाई के दौरान कोर्ट ने राज्य सरकार को फटकार लगाते हुए कहा, कि “निजी आवासीय सोसाइटियों और दफ्तरों आदि स्थानों पर वैक्सीनेशन सेंटर लगाने के संबंध में स्पेशल गाइडलाइन तय की गई है।” ऐसा तब है जब कोर्ट इस महीने की शुरुआत में इस संबंध में आदेश दे चुकी है।
वहीं कोर्ट में बृहन्मुंबई महानगर पालिका (BMC) की तरफ से पेश हुए सीनियर वकील अनिल साखरे ने बताया, कि “जिस दिन लोगों को फर्जी टीके लगाए गए उन्हें वैक्सीनेशन के सर्टिफिकेट उसी दिन नहीं दिए गए। बाद में ये अलग-अलग हॉस्पिटल के नाम से जारी किए गए। इसके बाद लोगों को महसूस हुआ कि टीकाकरण में कुछ गड़बड़ है।”
जांच में उन अस्पतालों ने बताया, कि उन वैक्सीनेशन कैंप में जिन शीशियों का इस्तेमाल हुआ वो उन्होंने उपलब्ध ही नहीं करवाई थीं। पुलिस की जांच में गिरफ्तार एक आरोपी मध्यप्रदेश से गिरफ्तार किया गया है जो वहां से वैक्सीन पहुंचाने का काम करता था।
BMC के वकील साखरे ने बताया, कि इस संबंध में सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया को भी एक पत्र लिखा गया है। कोर्ट ने मामले में सुनवाई की अगली तारीख 29 जून तय कर दी है। साथ ही राज्य सरकार और बृहन्मुंबई महानगर पालिका (BMC) को आदेश दिया कि वो कोर्ट के सवालों और निर्देशों का जवाब देने के लिए हलफनामा दाखिल करें।
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