विशेष संवाददाता
मुंबई– मन में मंज़िल पाने की लगन और मजबूत इच्छाशक्ति हो तो कामयाबी जरूर मिलती है। महाराष्ट्र के सोलापुर जिले के सरकोली गांव निवासी सोमनाथ नंदू माली ऐसा ही एक किरदार हैं। जो एक गरीब और मजदूर परिवार का बेटा भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान केंद्र (इसरो) में वैज्ञानिक बन गया है।
सोमनाथ के माता-पिता और बड़ा भाई दूसरों के खेतों में मजदूरी का काम करते हैं, लेकिन सोमनाथ की मंजिल कुछ और थी। सोमनाथ नंदू माली पहले गांव के सरकारी स्कूल में पढ़े, फिर 12वीं तक की पढ़ाई सोलापुर जिले से पूरी करने के बाद सोमनाथ ने मुंबई से बीटेक किया।
फिर उन्होंने गेट एग्जाम में हिस्सा लिया, यह ऐसी परीक्षा है जिससे इंजीनियर के स्टूडेन्ट पोस्ट ग्रैजुएट में दाखिला लेते हैं! इसमें भी उन्होंने राष्ट्रीय स्तर पर 916वीं रैंक पाई। फिर दिल्ली आइआइटी से उन्होंने एमटेक किया। बी.टेक करने के बाद कुछ छात्र अपने अच्छे भविष्य के लिए मास्टर ऑफ़ टेक्नोलॉजी यानि की एम.टेक (M.Tech) करते हैं।
यह एक पोस्ट ग्रेजुएशन डिग्री होती है, यह 2 साल का कोर्स है और इसे करने के लिए स्टुडेंट के पास सिविल इंजीनियरिंग, बी.ई, बी.टेक डिग्री होनी आवश्यक है। बी.टेक या बी.ई के बाद बेहतर भविष्य के लिए एम.टेक किया जा सकता है।
सोमनाथ ने बीच में कुछ दिन इन्फोसिस में नौकरी की। नवंबर 2019 में इसरो में वरिष्ठ वैज्ञानिक की वैकेंसी निकली थी जिसपर सोमनाथ ने आवेदन किया और अब वह इसरो के लिए चुने गए हैं। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) भारत का राष्ट्रीय अंतरिक्ष संस्थान है जिसका मुख्यालय बंगलौर में है।
इस संस्थान में लगभग सत्रह हजार कर्मचारी एवं वैज्ञानिक कार्यरत हैं। संस्थान का मुख्य कार्य भारत के लिये अंतरिक्ष सम्बधी तकनीक उपलब्ध करवाना है। सोमनाथ की इसरो द्वारा साईंटीस के तौर पर नियुक्ति किए जाने के बाद से उनके परिवार में खुशियों का माहौल है।
मिसाइल मैन डॉ. कलाम हैं सोमनाथ के आदर्श
सोमनाथ के आदर्श भारत के मिसाइल मैन पूर्व राष्ट्रपति डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम हैं। कलाम की जीवनी पढकऱ उन्होंने प्रेरणा पाई है। इसकी जानकारी उन्होंने खुद दी। इसरो कई परियोजनाओं पर काम कर रहा है। इनमें चंद्रयान-3, अंतरिक्ष स्टेशन, खास खूबियों वाला रॉकेट जैसे प्रोजेक्ट शामिल हैं। सोमनाथ को उम्मीद है कि उन्हें इन प्रोजेक्ट पर काम करने का अवसर मिलेगा।
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