5G के इस्तेमाल के लिए धीमी किंतु ठोस शुरुआत

5G के इस्तेमाल के लिए परीक्षण को लेकर सरकारी मंजूरी मिलने के बाद से धीमी किंतु ठोस शुरुआत की मांग हो रही है। इसमें दूरसंचार विभाग की बढ़ने वाले मुसिबतों को भी ध्यान दिया जाना चाहिए।

विशेष संवाददाता
भारत
की केंद्र भाजपा सरकार से 5G परीक्षण को मंजूरी मिलने के बाद संकट से जूझ रहा दूरसंचार क्षेत्र इस बात को लेकर निश्चिंत है कि स्पेक्ट्रम नीलामी का अगला दौर 2022 के पहले नहीं होने वाला। दूरसंचार कंपनियों ने कहा है कि अगर 5G स्पेक्ट्रम (spectrum) की नीलामी जल्दी की गई तो इससे दूरसंचार क्षेत्र की मुसीबतें और बढ़ जाएगी। सरकार के ताजा कदम का संकेत यही है कि अभी कुछ महीनों तक यह नीलामी नहीं होगी। ऐसे में कुछ कारोबारियों को जरूर राहत मिलेगी क्योंकि इस नीलामी में बड़े बदलाव लाने में सक्षम सेवाओं और अनुप्रयोग पर काफी धन खर्च होगा।

कैसा रहेगा आने वाली पीढ़ी पर इसका असर और व्यापार ?

हालांकि वर्तमान समय में, कोविड-19 के बीच घर से काम करना तथा नेटवर्क के ज़रिए तमाम कारोबारी गतिविधियां चलाना आम हो चुका है, ऐसे में अगली पीढ़ी की उच्च गति वाली प्रौद्योगिकी का परीक्षण करना दूरसंचार कंपनियों, उपकरण निर्माताओं और इस समूची व्यवस्था के लिए परेशानी का सबब हो सकता है। यदि ऐसा होता भी है, तो लगता नहीं कि व्यापार जगत इस अवसर को जाने देगा, क्योंकि 5G प्रौद्योगिकी कई बहुप्रतीक्षित विकल्पों के लिए महत्वपूर्ण है, मसलन रोबोटिक सर्जरी और स्वचालित कारों की राह मज़बूत कर सकती है साथ ही 60 से अधिक देशों में इसका इस्तेमाल हो भी रहा है। जो भारत को पिछड़ा देश न कर दे इस लिहाज़ से भी इसका इस्तेमाल अनिवार्य है। 

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कैसा रहेगा भारत में इसका परीक्षण ?

दूरसंचार कंपनियां भारत में परीक्षण को लेकर अपनी प्राथमिकता वाले क्षेत्रों पर योजनाएं तैयार करने लगी हैं। देखना यह होगा कि उनकी प्राथमिकता क्या होगी ? वे स्वास्थ्य, शिक्षा, स्वचालन को लेकर आगे बढ़ेंगे या गेमिंग अथवा मीडिया और मनोरंजन को लेकर? यह स्पष्ट है कि शुरुआत में यानी 5G की वाणिज्यिक शुरुआत के बाद भी अधिकांश दूरसंचार कंपनियां 10 या 15 बड़े शहरों पर ध्यान केंद्रित करेंगी। परीक्षण के क्षेत्र का निर्णय साझेदारों यानी पार्टनर कंपनियों जैसे, एरिक्सन, नोकिया या सैमसंग के अंतरराष्ट्रीय अनुभव पर आधारित होगा। 

प्रतिकारात्मक तस्वीर

कैसा रहेगा स्वास्थ्य और शिक्षा पर इसका असर?

शिक्षा और स्वास्थ्य आदि ऐसे क्षेत्र हैं जहां 5G प्रौद्योगिकी अत्यधिक उपयोगी साबित हो सकता है, लेकिन यूरोपीय 5G ऑब्जर्वेटरी की सूची के मुताबिक मीडिया और मनोरंजन श्रेणी अधिकांश 5G (Testing) परीक्षणों में शीर्ष पर है। परिवहन, स्वचालन, उद्योग, ई-स्वास्थ्य, वर्चुअल रियलिटी, स्मार्ट सिटी, जन स्वास्थ्य, ऊर्जा, कृषि और स्मार्ट इमारतें आदि इसके बाद आती हैं। भारत में भी संभावना यही है कि शायद मीडिया और मनोरंजन उद्योग को प्राथमिकता दी जाएगी। इससे ओटीटी (ओवर द टॉप) मीडिया स्ट्रीमिंग कंपनियों को काफी गति मिल सकती है। यहां के नीजी दूरसंचार कंपनियों द्वारा घरों में ही स्टेडियम जैसा माहौल मुहैया कराना भी ऐसी ही एक बात है जिस पर शायद देश में 5G कारोबारी विचार कर सकते हैं। इंटरनेट से जुड़े घर और कार भी इस परीक्षण का हिस्सा हो सकते हैं, लेकिन स्वचालित कार और रोबोटिक सर्जरी का नंबर काफी बाद में आ सकता है। 

कैसा रहेगा नेटवर्क का भविष्य ?

भविष्य की सेवाओं के अलावा भारत फिक्स्ड वायरलेस एक्सेस (एफडब्ल्यूए)पर दांव लगा सकता है। यह हमारे घरों में लगे फिक्स्ड ब्रॉडबैंड सेवा का वायरलेस विकल्प है। इसके साथ वायरलेस इंटरनेट संचार मजबूत होगा और वह फिक्स्ड ब्रॉडबैंड की तरह तेज गति वाला होगा। ऐसे में बुनियादी 5G नेटवर्क जो एफडब्ल्यूए की सेवा के साथ वायरलेस पर ब्रॉडबैंड की गति प्रदान करे वह देश के लिए बड़ा बदलाव लाने वाला साबित हो सकता है। इसके लिए 5G कारोबारियों को अपने मोबाइल टावर्स को फाइबर युक्त करना होगा और टावरों की तादाद बढ़ानी होगी। इसमें काफी पूंजी यानी भारी बजट की जरुरत होगी।

अगले 15 दिनों में क्या होनेवाला है ?

अगले दो हफ्ते यानी 15 दिनों के दौरान भारती एयरटेल, रिलायंस जियो और वोडाफोन आइडिया समेत दूरसंचार कंपनियां गैर वाणिज्यिक 5G परीक्षण के लिए जगह निर्धारित करेंगी। इसके अलावा खुदरा से लेकर टिकाऊ उपभोक्ता वस्तुओं तक विभिन्न क्षेत्रों में सहयोग और समझौते यानी पार्टनरशिप भी देखने को मिलेंगे। भारतीय उपभोक्ताओं के लिए क्या उपयुक्त है ? इसको लेकर काफी शोध एवं विकास की गुंजाइश भी रहेगी। कंपनियों में 5G के लिए समर्पित टीमें तैयार होने के साथ ही आशंकाएं तो यह भी हैं कि दूरसंचार कंपनियों के मौजूदा नेटवर्क के साथ हस्तक्षेप यानी छेड़छाड़ होगा। एक और चुनौती है देशभर में 5G क्षमता से युक्त स्मार्ट फोन का अभाव है। लेकिन ये चीजें सुलझ जाएंगी और तकनीक को वैश्विक घटनाओं के साथ भारतीयों को भी तालमेल बिठाना होगा। 

प्रतिकारात्मक तस्वीर

स्पेक्ट्रम नीलामी को लेकर ट्राई ने क्या कहा ?  

अगस्त 2018 में भारतीय दूरसंचार प्राधिकरण (ट्राई) ने (spectrum) स्पेक्ट्रम नीलामी को लेकर जो अनुशंसाएं जारी की उनमें कहा गया कि “दुनिया भर में किसी भी देश को वहां के दूरसंचार व्यवस्था को देश के सामाजिक-आर्थिक विकास के लिए एक अहम उपाय के रूप में चिह्नित किया गया है।” उसमें कहा गया, कि “दूरसंचार प्रमुख सहायक सेवा है और यह अर्थव्यवस्था के विभिन्न क्षेत्रों के आधुनिकीकरण और उनकी तेजी से वृद्धि के लिए आवश्यक है।” ट्राई ने कहा, “स्पेक्ट्रम वायरलेस संचार सेवाओं का एक अहम और अत्यंत जरूरी घटक है। डेटा सेवाओं की बढ़ती मांग और डेटा की जरूरत वाले अनुप्रयोग के बढ़ते इस्तेमाल के कारण स्पेक्ट्रम की आवश्यकता बढ़ती ही जाएगी यह कम नहीं होगी।”

देश में इंटरनेट उपयोगकर्ताओं की मांग और कीमत ?

सितंबर से दिसंबर 2020 के बीच दूरसंचार उपभोक्ताओं के आंकड़ों से यह पता चलता है कि देश में उच्च गति वाले डेटा की कितनी मांग है। देश में इंटरनेट उपयोगकर्ताओं की तादाद सिंतबर के 77.64 करोड़ से बढ़कर दिसंबर में 79.51 करोड़ हो गई। यानी एक तिमाही में 2.41 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है। 79.51 करोड़ इंटरनेट उपयोगकर्ताओं में से 2.55 करोड़ लोग तार वाले इंटरनेट के उपभोक्ता थे जबकि 76.96 करोड़ लोग वायरलेस इंटरनेट के। ब्रॉडबैंड इंटरनेट उपभोक्ताओं की तादाद सिंतबर के 72.63 करोड़ से 2.90 प्रतिशत बढ़कर दिसंबर 2020 में 74.74 करोड़ हो गई। इस अवधि में कम प्रभावशाली पांच करोड़ नैरोबैंड इंटरनेट उपभोक्ताओं की तादाद 4.72 फीसदी गिर गई। दूरसंचार विभाग की ओर से 5G Testing परीक्षण की अनुमति ट्राई द्वारा 5G स्पेक्ट्रम नीलामी की अनुशंसा के करीब तीन वर्ष बाद मिली है। अब वक्त आ गया है कि दूरसंचार विभाग 5G स्पेक्ट्रम की भारी-भरकम आरक्षित कीमतों को कम करे ताकि शहरी और ग्रामीण भारत के बीच की खाई पाटी जा सके, यानी समान की जा सके। 


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