इस्माईल शेख
मुंबई- राज्य सरकार की ओर से हर साल पुलिस विभाग के महानिदेशक एवं गृह विभाग की ओर से पुलिस अधिकारियों का तबादला किया जाता रहा है। पुलिस विभाग में आदेश प्राप्त होते ही उन अधिकारियों को तत्काल कार्यभार ग्रहण करना होता है। लेकिन समय से पहले तबादला या स्थानांतरित पर अधिकारी सरकार से न्याय मांग रहा है। महाराष्ट्र पुलिस बल में कुछ ऐसा हुआ जो सुनने और देखने में अविश्वसनीय है।
ढाई साल बाद तबादला होने के बाद भी उन अधिकारियों ने पद ग्रहण करने से मना कर दिया। उन्होंने अपने ही पुलिस अधीक्षक से फोन पर कहा, कि “तबादला मंजूर नहीं है।” ऐसी एक महान महिला पुलिस अधिकारी हैं। नवी मुंबई के रिश्वतखोरी रोधी विभाग की डीएसपी ज्योति देशमुख। दो दिन पहले महानिदेशक कार्यालय ने भ्रष्टाचार निरोधक विभाग की ओर से अपना कार्यकाल पूरा कर चुके कुछ पुलिस निरीक्षकों का तबादला कर दिया, जिसमें नवी मुंबई इकाई के अधिकारी ज्योति देशमुख को मुंबई इकाई में स्थानांतरित कर दिया गया और उनकी जगह मुंबई के पुलिस निरीक्षक शिवराज म्हात्रे को स्थानांतरित कर दिया गया।
उसके बाद म्हात्रे को मुंबई कार्यालय ने नियमानुसार ड्यूटी से मुक्त कर दिया और नई जिम्मेदारी के लिए तैयार होने के लिए ठाणे अधीक्षक सुनील लोखंडे से पदभार लेने का आदेश दिया। उन्हें पुलिस अधीक्षक ने काम पर रखा था। पत्र दिया गया और म्हात्रे ने प्रासंगिक जानकारी पुलिस महानिदेशक और पुलिस अधीक्षक को भेज दी। जैसे ही ज्योति देशमुख को चार्ज लेने की जानकारी मिली उन्होंने आकाश और पाताल को एक कर दिया और कहा कि मेरी जगह कौन लेगा। मैं इस आदेश को नहीं मानती, यह कहकर अगले दिन वापस से अपने ही कार्यालय में आकर बैठ गई और अपने स्टाफ से कहा, कि “नवनियुक्त अधिकारी को कोई सहयोग नहीं करना चाहिए, मैं गृह मंत्री की ओर से अपना तबादला रद्द कर रही हूं। मैं दो दिनों में स्थानांतरण रद्द करके यहां वापस आऊंगी।”
नवनियुक्त अधिकारी ने इसके बारे में सुनील लोखंडे को बताया, जिसके बाद लोखंडे ने महिला अधिकारी को इस्तीफा देने के लिए कहा, लेकिन उन्होंने फोन का जवाब नहीं दिया। ज्योति देशमुख के पति एनसीपी नेता जयंत पाटिल के निजी सहयोगी है। इसलिए उन्होंने राजनीतिक शक्ति का इस्तेमाल करते हुए स्थानांतरण रद्द करने के लिए आंदोलन शुरू कर दिया। परन्तु नियमानुसार जब कोई नया अधिकारी कार्यभार ग्रहण करता है, तो वह मुख्यालय को कार्यभार ग्रहण करने की रिपोर्ट देता है। वहीं पुराना अधिकारी आदेश मानने के लिए बाध्य होता है।
ज़िद्दी पुलिस अधिकारी..
ऐसे में पुलिस विभाग में तबादलों का सिलसिला जारी है। इस कारण यह अपेक्षा की जाती है कि वरिष्ठ अधिकारी अपने वरिष्ठ अधिकारियों के आदेश को ठेंगा दिखा कर अगर एक ही पद पर अवैध रूप से बैठेने लगेंगे तो उन पर तत्काल कार्रवाई होनी चाहिए। यदि ऐसी परंपरा शुरू हुई तो पुलिस विभाग में आपसी रंजिश के माहौल का सिलसिला शुरू शुरू होने की संभावना हो सकती है, जो लोकतंत्र की दृष्टि में उचित नहीं होगी। सवाल यह उठता है कि क्या गृह मंत्री के रूप में देवेंद्र फडणवीस ऐसे अधिकारियों को स्वीकार करेंगे।
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