वी बी माणिक
मुंबई- दो दिन पूर्व घाटकोपर में गिरी होर्डिंग पर जीआरपी संदेह के घेरे में दिखाई पड़ रही है। जीआरपी में 6 सहायक पुलिस आयुक्त है जो स्टेशनों पर तैनात है वही दूसरी ओर एक पुलिस निरीक्षक शहाजी निकम को सहायक पुलिस आयुक्त का चार्ज देकर किस नियम के आधार पर आयुक्त कार्यालय में बैठाया गया है? इस पर संदेह जताया जा रहा है। ये वही निकम है जिसने होर्डिंग को परमिशन दिया है।
किसी जूनियर अधिकारी को वरिष्ठ अधिकारी के पद पर बैठाने के लिए पुलिस महासंचालक भी जवाबदार है। पुलिस आयुक्त रेलवे रविन्द्र शिस्वे ने इस पर ध्यान क्यों नही दिया? सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार जो होर्डिंग पेट्रोलपंप पर गिरा है। करीब 7 महीने पूर्व ही उसका निर्माण किया गया है। जो पूरी तरह अवैध है। ये राज्य सरकार की जगह है जो जीआरपी के तांबे में था। शहाजी निकम एक वरिष्ठ पुलिस निरीक्षक के पद पर कई वर्षों से तैनात है। वह सहायक पुलिस आयुक्त के पद पर कैसे बिठाए गए थे ? ये बड़ा प्रश्न है।
जीआरपी क्या करेंगे नागरिकों की सुरक्षा?
वहीं 6 एसीपी जो पहले से नियुक्त है इनको चार्ज क्यों नही दिया गया। निरीह लोगो के जान से खेलने का शौक किसको है? जीआरपी आजकल अपनी सुरक्षा में लगी हुई है। यात्रियों और नागरिकों की सुरक्षा क्या करेंगे? करीब 14 लोगो की मौत और सैकड़ो लोग घायल हो गए। पंतनगर पुलिस ने केस दर्ज कर लिया है। राज्य सरकार इस पर क्या निर्णय लेती है? दोषियों को हटाती है, या पुरस्कृत किया जाता है? मनपा ने नोटिस देकर अपना पल्ला झाड़ लिया है। जबाब जीआरपी को देना है।
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