- यह तो होना ही था।
- दिल्ली पुलिस न्याय की अदालत नही ।
- सुप्रीम कोर्ट की नोटिस मिलने पर सात की जगह दो एफआईआर लिखी जानी पहली गलती।
- नाबालिक के यौन शोषण में तुरंत गिरफ्तारी करनी थी ये दूसरी गलती।
- पांच सौ पन्नों की जांच रिपोर्ट पटियाला कोर्ट में दाखिल कर क्लोजर रिपोर्ट लगा दी।
- कोर्ट और वकील चार जुलाई की सुनवाई में होंगे आमने सामने।
सुरेंद्र राजभर
वाराणसी- यह तो बीजेपी सरकार खासकर मोदी और शाह ने पहले ही तय कर लिया था।बीजेपी सरकार किसी दबाव में आना नहीं चाहती जैसे कांग्रेस। याद करिए। महिला पहलवानों द्वारा बृजभूषण सिंह के खिलाफ दिल्ली पुलिस में एफ आई आर लिखने की कोशिश हुई मगर लिखी नहीं गई। सुप्रीमकोर्ट की नोटिस मिलने पर ही सात की जगह दो एफ आई आर लिखी जानी पहली गलती है दिल्ली पुलिस की। दूसरी गलती नाबालिग के यौनशोषण में तुरंत गिरफ्तारी होनी जरूरी है लेकिन दिल्ली पुलिस ने केंद्र के दबाव में गिरफ्तारी नहीं किया।
बाहुबली महिला पहलवानों की इज्जत खुलेआम तार-तार करता रहा। नाबालिग के पिता को बार-बार फोन कर धमकी दी गई परिवार खत्म करने की विशेषकर नाबालिग के पिता, जिसने अपना मकान बेचकर अपनी बेटी को तैयारी कराया और वह मेडल लेकर आई। गिरफ्तार नहीं होने के कारण उन्हें धमकाया गया। आप को बता दें, कि दिल्ली पुलिस हमेशा केंद्र सरकार के दबाव में काम करती है क्योंकि गृहमंत्रालय के अधीन है।उलटे पहलवानों से पुलिस और आरोपी सबूत मांगता रहा जैसे महिलाओं को पता था कि उनका रेप होगा तो वह कैमरामैन लेकर जाती।
दिल्ली पुलिस न्याय की अदालत नही ।
नीचता की पराकाष्ठा थी यह। जिस तरीके से सबूतों की मांग की जा रही थी। इसी बीच गृहमंत्री और खेलमंत्री ने पहलवानों को बुलाया। उनके साथ बातें कीं और पंद्रह दिनों का समय मांगा गया। ताकि दिल्ली पुलिस और बाहुबली सबूत नष्ट कर सके। नाबालिग को डरा धमकाकर बयान बदलवाया गया। नतीजा वही हुआ जो हमारे जैसे प्रबुद्ध पहले से ही जानते थे। दिल्ली पुलिस को महिला पहलवानों ने सबूत दिए। कोच और दो रेफरियों के अलावा डॉक्टर के भी बयान हुए। कुल सौ गवाह थे जिन्होंने गवाही दी। नतीजा सोची समझी चाल का आज सामने आया जब दिल्ली पुलिस ने बृजभूषण सिंह को नाबालिग के रेप मामले में सबूतों के आभाव का कारण बताते हुए बरी कर दिया। पांच सौ पन्नों की जांच रिपोर्ट पटियाला कोर्ट में दाखिल कर क्लोजर रिपोर्ट लगा दी गई।
केंद्र सरकार और दिल्ली पुलिस की भूमिका कोर्ट में खुलेगी। सोशल मीडिया में कोच और अंतराष्ट्रीय दोनो रेफरियों के बयान होंगे। जिन्होंने आरोपी की पोल खोलते हुए बयान में महिला पहलवानों के आरोप की पुष्टि की थी।अब देखना होगा कि पटियाला कोर्ट का क्या निर्णय आता है।
दिल्ली पुलिस न्याय की अदालत नहीं है। कोर्ट और वकील अगली चार जुलाई की सुनवाई में आमने सामने होंगे। सुप्रीमकोर्ट के निवर्तमान न्यायाधीश लोकुर ने दिल्ली पुलिस की मिलीभगत वाली बात कही। यह भी कि आगे कोर्ट देखेगी तो दूध का दूध पानी का पानी होगा। तब तक बाहुबली खुशी मना ले। उसका जेल जाना तय है। नाबालिग पहलवान वहीं बताएगी कि किन हालातों में उसने बयान बदले? उसके पिता की भी गवाही होगी। कोच और दोनों रेफरी के साथ कई दूसरों के बयान जिरह और बहस होगी। बाहुबली विजेता नहीं बनें। जेल तो जाना ही होगा।
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