सुरेंद्र राजभर
मुंबई– एक तरफ केंद्र वादे कर रहा है, कि बेघर लोगों को पक्का घर दिया जाएगा। म्हाडा के जो घर बनते हैं उसमें झोपड़पट्टी मालिकों को देने के बाद जो फ्लैट बचते हैं उसमें भी भ्रष्टाचार होता है। ऐसे में मुंबई में भाड़े के आवास में रहने वाले लगभग बीस लाख मुंबईकर अगर अपने घर का सपना देख रहे हैं और प्राइवेट बिल्डरों से महंगे फ्लैट खरीदने का ही विकल्प शेष रहता है।
बैंक की ई एम आई और स्टांप ड्यूटी..
फ्लैट खरीदने वाले बैंकों से लोन लेते हैं। कई बार ऐसा होता है, कि बैंक की ई एम आई (EMI) नहीं चुका पाने से बैंक उस फ्लैट की नीलामी करती है जिसमें केवल बैंक की बकाया ई एम आई यानी अनपेड लोन की राशि पर नीलामी की जाती है। जिससे फ्लैट खरीदने वाले को लाखों का नुकसान होता है! क्योंकि फ्लैट बुक कराते समय बुकिंग के लिए राशि देनी पड़ती है। उस राशि के साथ ही ई एम आई में भरे गए पैसे डूब जाते हैं। बैंकों के ब्याज इतने अधिक होते हैं, कि किश्त भरना मुश्किल होता है।
क्या है सरकार की नई नीति?
महाराष्ट्र की सरकार ने अब पहली अप्रैल से फ्लैट या जमीन खरीदने वालों के लिए अब एक फीसदी स्टांप ड्यूटी (1% Stamp duty hiked) बढ़ाने वाली है। इसका का अर्थ है फ्लैट की कीमत से लाखों रुपए अधिक राशि देने की बाध्यता। जो मध्यम वर्ग के लोगों की कमर ही तोड़ कर रख देगी। जिससे मध्यम वर्ग के अपने सपनों का घर सपना ही बनकर रह जाएगा। फिर जीवन भर उन्हें भाड़े के आवास में रहने को मजबूर होना पड़ेगा। यही नहीं देश का इकलौता राज्य है महाराष्ट्र जो टाइटल इंश्योरेंस (Tital insurance) लागू करने वाला होगा। अगर सुरक्षा के लिए फ्लैट ओनर टाइटल इंश्योरेंस कराता है तो उसे 150 रुपए से 200 रुपए प्रति वर्ग फीट से धन चुकाना पड़ेगा।
कैसे और कितना होगा सरकारी स्टांप ड्यूटी?
मान लें कोई फ्लैट कारपेट 500 वर्ग फीट है तो उसे इंश्योरेंस के लिए 100000 रुपए प्रतिवर्ष अदा करने होंगे। यदि बिल्डप एरिया का टाइटल इंश्योरेंस कराना हो तो उसके लिए डेढ़ गुनी राशि देनी पड़ेगी। इससे फ्लैट लेने की चाह ही खत्म हो जाएगी। सरकार को चाहिए, कि पचास रुपए कारपेट क्षेत्र के हिसाब से टाइटल इंश्योरेंस की योजना बनाकर मध्यम वर्ग के लोगों को राहत देना चाहिए। इतना ही नहीं एक प्रतिशत बढ़ाई स्टांप ड्यूटी भी 0.25 % कर देनी होगी ताकि मध्यम वर्ग के लोगों के भी सपने पुरे किया जा सकें।
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