इस्माईल शेख
मुंबई- सरकारी अस्पतालों में मरीजों को लूटने का मामला सामने आ रहा है। जांच के लिए निजी लैब को रेफर करने के आरोप में टाटा मेमोरियल अस्पताल के कर्मचारियों समेत 11 लोगों को भोइवाडा पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है। साथ ही अन्य लोगों की तलाश की जा रही है। शहर में ऐसे कितने ही सरकारी अस्पताल हैं जहां ऐसी घटनाओं की जानकारी तो मिलती है। लेकिन शिकायतें दर्ज नहीं हो पाती।
भोइवाड़ा पुलिस थाने के वरिष्ठ पुलिस निरीक्षक सुभाष आनंदराव बोराटे ने बुधवार को कहा कि कैंसर रोगियों को कमीशन के लिए निजी प्रयोगशालाओं में रेफर करने के आरोप में “टाटा मेमोरियल अस्पताल” के कुछ कर्मचारियों सहित 11 लोगों को गिरफ्तार किया गया है। परमाणु ऊर्जा विभाग के दायरे में आने वाला यह अस्पताल उन्नत कैंसर उपचार और अनुसंधान के लिए जाना जाता है और इसमें देश भर से मरीज आते हैं।
मुंबई का सरकारी अस्पताल..
पुलिस अधिकारी ने कहा, कुछ कर्मचारियों ने मरीजों को निजी इमेजिंग केंद्रों और प्रयोगशालाओं में डायग्नोस्टिक स्कैन कराने के लिए कहा, और उन्हें बताया कि अस्पताल में स्कैन के लिए लंबी प्रतीक्षा का समय लगेगा कारण यहां ज्यादा मरीज होने के कारण लोगों को कतार में समय लग रहा है। आप को बता दें, कि कैंसर पीड़ित मरीजों को इलाज की जल्दी रहती है कारण उनकी जान जब तक इलाज पूरा ना हो जाए खतरे में बनी हुई रहती है। ऐसे में उन्हें एक्स्ट्रा पैसे देकर लैब की सेवाल लेना सही लगता है। इसी का यहां फायदा उठाया जा रहा था। आरोपियों में एक सहायक प्रशासनिक अधिकारी, वार्डबॉय, आया, नौकर और सफाई कर्मचारी शामिल हैं।
मुंबई पुलिस के एक अधिकारी ने कहा कि आरोपी गिरोह को कथित तौर पर निजी प्रयोगशालाओं से कमीशन मिला, जिनकी दरें अस्पताल की तुलना में अधिक हैं। उन्होंने कहा, इस प्रकार आरोपियों ने मरीजों के साथ-साथ सरकार को भी लाखों रुपये का चूना लगाया। उन्होंने आगे बताया कि अस्पताल के एक अधिकारी द्वारा दायर शिकायत के आधार पर, 16 जुलाई को भोईवाड़ा पुलिस स्टेशन में एक निजी प्रयोगशाला के कर्मचारी सहित 21 लोगों के खिलाफ पहली सूचना रिपोर्ट दर्ज की गई और 11 लोगों को गिरफ्तार किया गया। इसके साथ ही मामले की और अधिक तहकीकात जांच जारी है।
एक अधिकारी ने कहा, परेल के “टाटा मेमोरियल अस्पताल” के सुरक्षा गार्डों ने एक रैकेट का भंडाफोड़ किया है। जहां कर्मचारी कैंसर रोगियों को सरकारी सुविधा पर सब्सिडी वाले परीक्षणों से गुजरने के लिए एक निजी डायग्नोस्टिक्स सेंटर में रेफर करते थे। हाल ही में दो वार्ड बॉय को उनकी सेवाओं के लिए सेंटर के प्रबंधक से 3 लाख रुपये लेते हुए पकड़ा गया था।
यह घटना 15 जुलाई की शाम को सामने आई जब बृहन्मुंबई महानगर पालिका (BMC) द्वारा अस्पताल में तैनात सुरक्षा गार्डों ने पैसे के आदान-प्रदान को देखा। यह नकदी सिर्फ एक सप्ताह की सेवाओं के लिए बकाया (Advance) थी। कथित तौर पर इसे शनिवार को दिया गया क्योंकि सप्ताह के अंत में अस्पताल की ओपीडी बंद रहती है। पुलिस के मुताबिक, मरीजों की संख्या के आधार पर कमीशन 3 लाख रुपये से 4 लाख रुपये के बीच हो जाता है।
पुलिस अधिकारी एवं कर्मचारी अन्य लोगों की तलाश कर रहे हैं और जांच कर रहे हैं कि क्या डॉक्टर इस रैकेट में शामिल हैं। पुलिस के अनुसार, सुरक्षा गार्डों को “इन्फिनिटी इमेजिंग सेंटर” के एक कर्मचारी और कुछ वार्ड बॉय के बीच एक सौदे के बारे में सूचना मिली थी। गार्डों ने उन दोनों का पीछा किया जो अस्पताल परिसर से बाहर चले गए और एक सरकारी अस्पताल के पास किसी का इंतजार कर रहे थे।
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