- राज्यपाल की अनैतिकता को कोर्ट ने किया रेखांकित।
- सुप्रीम कोर्ट का फैसला उद्धव की हार नही नैतिक जीत है।
- केंद्र सरकार के जिम्में केवल कानून व्यवस्था,पुलिस और भूमि संबंधी अधिकार।
- राज्य सरकार के कार्यों में रोड़ा डालने वाले अधिकारी होंगे दंडित।
- भाजपा का महाराष्ट्र की 48 लोकसभा चुनाव में 40 सीटें पाने का सपना टूटा।
- महिला पहलवानों के धरने को विपक्षी साजिश करार देने से भाजपा की मुश्किलें बढ़ीं।
- केंद्र सरकार और दिल्ली पुलिस के रवैए से पंजाब, दिल्ली, हरियाणा, राजस्थान और मध्यप्रदेश की जनता नाराज़।
सुरेंद्र राजभर
मुंबई- सुप्रीम कोर्ट के फैसले को मुख्यमंत्री शिंदे और उप मुख्यमंत्री फडणवीस भले ही अपनी जीत बताकर इतरा रहे हों। गोदी मीडिया ने इसे मोदी, अमित शाह और महाराष्ट्र के राज्यपाल की नीतियों की जीत बताने में फैसला आने से शुरू हुआ सिलसिला अभी थमा नहीं है। महाराष्ट्र में वास्तव में यह अनैतिक सरकार है। उद्धव ठाकरे बाजी जीत चुके हैं।
उद्धव की यह पराजय तकनीकी आधार पर है। जैसा कि कोर्ट ने फैसले में कहा, कि यदि उद्धव इस्तीफा नहीं देते तो उनकी सरकार बहाल हो सकती है। नैतिक आधार पर महाराष्ट्र के राज्यपाल को अधिकार नहीं था, कि वे फ्लोर टेस्ट को कहते। राज्यपाल की अनैतिकता को ही कोर्ट ने रेखांकित किया है। सत्तारूढ़ पार्टी के अंदर असंतोष फ्लोर टेस्ट का कारण नहीं बन सकता।
कोर्ट ने शिंदे सरकार को नैतिक नहीं माना। उद्धव नैतिकता का हवाला देकर भले ही इस्तीफा दिए मगर उन्हें छल कपट से बनी शिंदे सरकार में नैतिकता तलाशनी नहीं चाहिए। नैतिकता होती तो शिवसेना नहीं टूटती। सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला उद्धव की हार नहीं नैतिक जीत है।
दूसरी तरफ दिल्ली में आप सरकार की बिजली पानी मुफ्त, अस्पतालों और स्कूलों को अंतरराष्ट्रीय बनाने से परेशान पीएम ने एक आदेश देकर राज्य सरकार के सारे अधिकार छीनकर अपने एजेंट उपराज्यपाल को सौप दिया। इससे दिल्ली सरकार पंगु हो गई थी। लेकिन सुप्रीम कोर्ट के फैसले में साफ लिखा है, कि राज्य सरकार को अपने प्रशासन पर पूरा अधिकार होगा और केंद्र के जिम्मे केवल कानून व्यवस्था, पुलिस और भूमि संबंधी अधिकार होंगे।
कोर्ट का यह केंद्र सरकार पर तमाचा है। अब दिल्ली सरकार के मुखिया अरविंद केजरीवाल अपनी नीतियों का ईमानदारी से पालन करने वाले ईमानदार अधिकारियों को उच्च पदों पर बिठा सकेंगे। राज्य सरकार के कार्यों में रोड़ा डालने वाले अधिकारी दंडित होंगे। मुख्यमंत्री अधिकारियों की जवाबदेही तय कर सकेंगे। इस फैसले को अरविंद केजरीवाल ने आठ वर्षों तक साथ देने वाली दिल्ली की जनता की जीत बताकर दिल्ली वासियों को मोह लिया है।
महाराष्ट्र में भाजपा का सपना टूटा..
इसी के साथ भाजपा का महाराष्ट्र की 48 लोकसभा चुनाव में 40 सीटें पाने का सपना टूट गया है। अंतिम अधिकार जनता का है। वह बटन दबाकर अपना धर्म पूरा करेगी। अब ऐसे में भाजपा का दिल्ली की सात में सात सीटें जीतने का सपना भी खंडित हो गया। उधर महिला पहलवानों के धरने को विपक्षी साजिश करार देने से पंजाब, दिल्ली, हरियाणा, राजस्थान और मध्यप्रदेश की जनता भी केंद्र सरकार और दिल्ली की पुलिसिया रवैए से खासा नाराज है। जिसका परिणाम लोकसभा चुनाव 2024 में देखने को मिलेगा। बशर्ते केंद्र सरकार ई वी एम हैक कर जीतने की कोशिश नहीं करे।
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