सुरेंद्र राजभर
मुंबई- यौनशोषण पीड़िता महिला पहलवानों को गृहमंत्री अमित शाह से मिलने के बाद खुलेआम चेतावनी दी गई कि रेलवे की नौकरी करते हुए पहलवान आंदोलन नहीं कर सकते हैं। रेलवे की नौकरी में लौटे ज़रूर हैं पहलवान जिनके विरुद्ध सोशल मीडिया पर बाकायदा झूठ परोसा जाने लगा है, कि पहलवानों ने आंदोलन वापस ले लिया और काम पर लौट आए हैं।
महिला पहलवान ..
सबसे पहले खुद साक्षी मलिक ने जवाब दिया, कि “नौकरी में लौट ज़रूर आए हैं। लेकिन ड्यूटी के साथ आंदोलन चलता रहेगा।” बजरंग पुनिया ने भी कहा की उनके विरुद्ध झूठ फैलाया जा रहा है। हमारा आंदोलन न्याय मिलने तक चलता रहेगा।गृहमंत्री की धमकी का बिना जिक्र किए पहलवानों ने दो टूक कहा कि यदि उनकी नौकरी उनके न्याय मिलने में बाधक है तो इस तुच्छ चीज को भी वे छोड़ देंगे लेकिन आंदोलन बंद नहीं करेंगे।
दरअसल चिढ़ पूर्व राज्यपाल सत्यपाल मलिक से है जिन्होंने खुलेआम पहलवानों को रास्ता बताया है कि अन्यायी सरकार तब तक दबाव में नहीं आएगी जब तक राजस्थान चुनाव में उसकी हार सुनिश्चित नहीं हो जाए। इसीलिए मलिक ने पहलवानों को राजस्थान में कई बड़ी रैलियां करने की राय दी है। क्योंकि पहलवानों के यौन शोषण के प्रति देशवासियों की सिंपैथी है। अगर पीड़ित महिला पहलवान राजस्थान में बड़ी रैलियां करती हैं तो जनता बीजेपी के विरुद्ध हो जाएगी और जैसे ही बीजेपी को लगेगा कि वह हार जाएगी तो खिलाड़ियों को न्याय दिलाने के लिए आगे कदम बढ़ाएगी।
बृजभूषण सिंह की नाराजगी से दो चार सीटों का नुकसान हो सकता है लेकिन सरकार द्वारा महिला पहलवानों के खिलाफ साजिश रचने और उनका उत्पीड़न करने के लिए जनता अपने मतों द्वारा दंडित ज़रूर करेगी। ऐसी स्थिति में बीजेपी को सैकड़ों सीटों पर हार का सामना करना पड़ेगा। इसलिए बीजेपी सरकार घुटनों पर आ जाएगी। ऐसी हालत में केंद्रीय गृह मंत्रालय खुद आरोपी को गिरफ्तार करने का फरमान जारी कर देगा।
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