हर दल का नारा है, सारा सीट हमारा है।

देश में चुनावी बिगुल बजने की तैयारी जोरों-शोरों से की जा रही है। किसी का टिकट कटा तो किसी ने पाला बदला। समय ही बताएगा कि ऊंट किस करवट बैठता है।

वी बी माणिक
मुंबई
– समय आ गया चुनावी बिगुल बजने वाला है। सारे योद्धा मल्ल युद्ध की तैयारी में जी-जान से जुट गए है। जिन पहलवानों को टिकट नही मिलने वाला है वह अपने भाग्य की आज़माइश निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में अखाड़े में उतरेंगे और अपने दल का सत्यानाश करेंगे। (indian politics and election News)

सभी राजनीतिक दल अपने सारे हथियारों पर धार देना शुरू कर दिया है। टीवी चैनलों पर ओपिनियन पोल आने शुरू हो गए है। सारे चैनल कौन जीतेगा? कौन हारेगा? इसकी भविष्यवाणी कर रहे है। जो कि परिणाम के बाद सब गलत साबित होता है। इसके साथ ही इन नेताओं की पत्नियां मन्दिरो में जाकर बड़े-बड़े मन्नत चुनाव जीतने के लिए मांग रही है। भले ही पांच वर्ष मंदिर में पूजा नही करती है। बड़े पैमाने पर दल बदल भी शुरू हो गया है। हर जगह चुनावी सभाएं, संपर्क अभियान, भारत जोड़ो यात्रा, लूट हत्या, अपहरण की घटनाएं बढ़ती जा रही है। (indian politics and election News)

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अपराधियों को लोकसभा में घुसाने की तैयारी ..

अनेको प्रकार के आश्वासन, प्रलोभन भी दिए जा रहे हैं। इस बार तो कई माफियाओ और अपराधियों को टिकट देकर लोकसभा में भेजने की तैयारी की जा रही है। जन मानस सोच में पड़ गया है कल ये गुंडा इस पार्टी में था अब इसको दूसरी पार्टी ने चुनाव का टिकट दिया? अगर सही मायने में देखा जाय तो करीब 50 प्रतिशत लोग स्वेच्छा से मतदान करना ही नही चाहते 30 प्रतिशत लोग मतदान के दिन अपना घर छोड़कर घूमने निकल जाते है। (indian politics and election News)

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Mumbai congress and shivsena maha vikas aghadi gatbandhan news

मुफ्त की शराब ..

इनके नाम पर फर्जी मतदान करवाया जाता है। बूथ कैप्चरिंग, मतपेटी गायब करना बंदूक की नोक पर बूथ पर पूरी तरह कब्जा करके अपने प्रत्याशी को विजयी बनाने के लिए राजनीतिक पार्टीया पूरी तैयारियां करती है। फिर भी साफ सुथरी चरित्रवान छवि ईमानदार कर्मठ नेता कहलाते है और वोट के लिए नोटों के बंडल के साथ शराब मुफ्त में वितरण करवाना ये सब तैयारियां शुरू हो गयी है। (indian politics and election News)

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Indian वोट किसे दें ?

सभी राजनीतिक दल नए-नए हथकंडे अपनाएंगे। अभी भी लोग असमंजस में है, वो किसको वोट दें? किसको न दें? वही दूसरी ओर चुनाव आयोग भी पूरी निष्पक्षता से काम नही करता। सभी उम्मीदवारों की आपराधिक घटनाओं की जाँच करवाना चाहिए जिसके ऊपर एक भी केस विचारसधीन हो या पुलिस में दर्ज हो उसको चुनाव लड़ने से वंचित कर देना चाहिए। पर चुनाव आयोग इस तरह की न्यायिक कार्यवाही कर नही सकता। क्योंकि चुनाव आयोग कोई कार्य, निष्पक्षता से नही करता है। अपने समय पर चुनाव करवाये समय पर सारे कार्य करे ये भी राजनीतिक दलों के हाथ की कठपुतली बने हुए हैं। (indian politics and election News)

आजकल में ही आचार संहिता लगने वाला है ये सभी दलों को मालूम है। कुछ पार्टीयो ने तो अभी तक अपने प्रत्याशियों का चयन भी नही किया है। सभी प्रत्याशियों के सम्पत्ति की निष्पक्ष जांच होनी चाहिए। पर चुनाव आयोग ये कभी नही करवाएगा। जो उम्मीदवार पहले जीतकर लोकसभा में रह चुके है। उनकी जाँच काफी गम्भीरतापूर्वक होनी चाहिए, कि इस सांसद के पास इतना धन संपत्ति कहां से आया है। इसके पहले कितना था चुनावी चंदे के चक्कर मे बैंक ही आरोप के कटघरे में खड़ा हो गया। (indian politics and election News)

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कौन है ईमानदार ?

अब ईमानदार कौन रह गया? ये सबसे बड़ा प्रश्न खड़ा हो गया है। जहाँ आचार संहिता लागू हुआ कोई भी आम नागरिक लाख पचास हजार रुपये लेकर नही चल पाएगा। उसको स्थानीय पुलिस परेशान करेगी इसके अलावा ईडी, सीबीआई छापेमारी और तेज हो जाएगी। कुछ पकड़े जाएंगे, कुछ छोड़े जाएंगे। हर पार्टीया दावा कर रही है, कि इस बार सत्ता हमारी आएगी। पर इसका फैसला तो देश का मतदाता करने वाला है। पर नेताओ के दावे बड़े बड़े है काम किसी का नही दिखाई पड़ रहा है। अब आगे चलकर देखना है, कि ऊंट किस करवट बैठता है। (indian politics and election News)


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