- सुप्रीम कोर्ट के अहम तीन फैसले ने राजनीति में सही दिशा दिखाने का काम किया है।
- बहुमत सिद्ध करने को लेकर अब सदन में राज्यपाल और स्पीकर नहीं कह सकेंगे।
- केंद्र सरकार के अधीन जमीन, पुलिस और पब्लिक ऑर्डर।
- सत्ता अपने वोट बैंक के हिसाब से
- अपराधियों के मुकदमे वापस नहीं ले सकेगी।
सुरेंद्र राजभर
मुंबई– सुप्रीमकोर्ट ने हाल ही में तीन फैसले दिए हैं। पहला महाराष्ट्र राज्य के राजनीतिक फैसले को लेकर है। कोर्ट ने स्पीकर और राज्यपाल कोशियारी के कार्यों को गैर संवैधानिक बताया। कोर्ट ने यह भी कहा, कि “उद्धव ठाकरे यदि इस्तीफा नहीं देते तो कोर्ट उनकी सरकार बहाल कर देती। ठाकरे ने नैतिकता वश इस्तीफा दिया।” कोर्ट ने यह भी कहा, कि “शिवसेना के अंदरूनी मतभेद के कारण उद्धव से सदन में बहुमत सिद्ध करने को राज्यपाल और स्पीकर नहीं कह सकते। शिंदे की सरकार अनैतिक रूप से चल रही है।” आगे कोर्ट ने कहा, कि “अनैतिक लोगों से नैतिकता की उम्मीद बेमानी है।”
सुप्रीम कोर्ट के अहम फैसले..
दूसरा दिल्ली सरकार को लेकर अपने आदेश में सुप्रीमकोर्ट ने फैसले में साफ लिख दिया, कि केंद्र के अधीन जमीन, पुलिस और पब्लिक ऑर्डर रहेंगे बाकी जनता द्वारा चुनी गई सरकार ही अपना काम करेगी। जब आप पार्टी ने चीफ सेक्रेटरी को हटाने के लिए कहा, तो भाजपा की दिल्ली सरकार ने मना कर दिया। केंद्र सरकार अब हाथ धोकर आप सरकार के खिलाफ साजिशें रचेगी। अभी आप के दो विधायक मंत्री जेल में हैं जिनके खिलाफ भ्रष्टाचार का एक भी सबूत नहीं है। लेकिन ई डी और सीबीआई तो केंद्र की मुट्ठी में है।
सबूत हो न हो परेशान करना ही केंद्र की भाजपा सरकार का लक्ष्य है। अगली बारी अब खुद केजरीवाल की बनी हुई है। केंद्र कोई न कोई साजिश रच रहा होगा। सच तो यह है, कि भारतीय जनता पार्टी संविधान, कानून या न्यायालय किसी को नहीं मानती। बड़ी बेशर्मी के साथ विरोधियों के खिलाफ सीबीआई और ईडी के अधिकारियों को छोड़ देती है। यह भूल जाती है कि हमेशा बीजेपी ही केंद्र में नहीं रहेगी।
पतन शुरू हो गया है कर्नाटक चुनाव में हार के बाद। ईवीएम हैक का काम कथित रूप से कर्नाटक में हुआ वर्ना दस सीट भी नहीं जीत पाती। लोग बात कर रहे है, कि जब तक ईवीएम से चुनाव होते रहेंगे। भाजपा लोकसभा चुनाव हार ही नहीं सकती। चुनाव जीतने के लिए नैतिकता ताक पर रख देगी। अनुच्छेद 141 के तहत केंद्र कोर्ट की अवमानना का दोषी है। केजरीवाल ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर दी है। इसको लेकर सीजेआई ने स्पेशल बेंच गठित कर दी है। सीजेआई चाहे तो केंद्र को दंडित कर सकती हैं, लेकिन डीवाई चंद्रचूड़ ने खुद कोई कदम नहीं उठाकर बेंच में मामला भेज दिया। अब बेंच के ईमानदार फैसले का वक्त है।
तीसरा निर्णय सुप्रीमकोर्ट ने देते हुए कहा, कि कोई भी सरकार केंद्र हो या राज्य सरकारें अपराधिक सांसदों, विधायकों को छोड़ नहीं सकते। अभी तक होता रहा है कि सत्ता अपने वोटबैंक के हिसाब से अपराधियों के मुकदमें वापस ले लेती थी। वैसा अब भारत सरकार किसी भी तरह के मामलों में वापस कभी नही कर सकेंगी।
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