BMC ELECTION में कांग्रेस की अकेले लड़ने की घोषणा से महाविकास आघाड़ी (MVA) में असहजता बढ़ गई है। शिवसेना (UBT) की मनसे से नज़दीकी को लेकर कांग्रेस की असहमति सामने आई, जबकि एनसीपी (SP) गठबंधन बनाकर चुनाव लड़ने के पक्ष में है।
मुंबई: बृहन्मुंबई महानगर पालिका (BMC) चुनाव को लेकर कांग्रेस के अकेले लड़ने के फैसले ने महाविकास आघाड़ी की एकता पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। कांग्रेस का कहना है कि शिवसेना (UBT) की मनसे के साथ बढ़ती राजनीतिक नज़दीकियां उनके उत्तर भारतीय और मुस्लिम वोट बैंक को नुकसान पहुंचा सकती हैं। हालांकि शिवसेना (UBT) कांग्रेस से पुनर्विचार की अपील कर रही है, जबकि एनसीपी (शरद पवार) मनसे को साथ लेकर संयुक्त मुकाबले की पक्षधर है। इस राजनीतिक खींचतान ने आगामी मनपा चुनावों की तस्वीर पूरी तरह बदल दी है।
कांग्रेस के फैसले से MVA में हलचल
मुंबई कांग्रेस अध्यक्ष वर्षा गायकवाड़ ने साफ कहा है कि कांग्रेस बीएमसी चुनाव स्वतंत्र रूप से लड़ेगी। इससे MVA में असहजता बढ़ी है, क्योंकि गठबंधन का मकसद भाजपा को रोकना था। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि कांग्रेस के अकेले लड़ने से वोटों का बंटवारा होगा, जिससे भाजपा को सीधी बढ़त मिल सकती है।
मनसे को लेकर कांग्रेस की बड़ी चिंता
कांग्रेस की असहमति की सबसे बड़ी वजह है—
🔹 शिवसेना (UBT) और मनसे की बढ़ती समीपता
🔹 उत्तर भारतीय और मुस्लिम वोट बैंक का संभावित नुकसान
कांग्रेस का मानना है कि मनसे के साथ जुड़ाव उसकी विचारधारा के विपरीत है, क्योंकि मनसे पहले उत्तर भारतीयों के खिलाफ आक्रामक रुख के लिए जानी जाती रही है।
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कांग्रेस में भी दो धड़े, राय में मतभेद
कांग्रेस की अंदरूनी राजनीति भी खुलकर सामने आई है।
एक धड़ा — स्थानीय समीकरण के आधार पर मनसे के साथ गठबंधन का समर्थक
दूसरा धड़ा — मनसे के साथ किसी भी सूरत में गठबंधन के खिलाफ
मुंबई के राजनैतिक विशेषज्ञों का कहना है कि कांग्रेस को जल्द स्पष्ट रुख लेना होगा, वरना गैर-मराठी और गैर-हिंदू वोटों का विभाजन भाजपा के लिए रास्ता आसान बना देगा।
एनसीपी (SP) एकता के पक्ष में
एनसीपी (शरद पवार) गठबंधन की मजबूती के लिए MNS को साथ लेकर संयुक्त मुकाबले की वकालत कर रही है। इसी संदर्भ में वर्षा गायकवाड़ की टीम ने शरद पवार से मुलाकात भी की है, लेकिन कांग्रेस अपने निर्णय पर कायम है।
शिवसेना (UBT) ने किया पुनर्विचार का आग्रह
उद्धव ठाकरे की पार्टी शिवसेना कांग्रेस को साथ रखने की कोशिश जारी रखे हुए है। शिवसेना (UBT) नेता संजय राउत ने कहा—
🔹 “मनसे के साथ गठबंधन को लेकर कांग्रेस की नाराज़गी व्यक्तिगत मामला हो सकता है।”
🔹 “जनता चाहती है कि शिवसेना और मनसे साथ आएं।”
दूसरी ओर, मनसे ने MVA में शामिल होने से इनकार करते हुए कांग्रेस को “अमीबा” कहा, जिस पर कांग्रेस ने पलटवार करते हुए “गिरगिट” जैसी टिप्पणी की।
बीएमसी चुनाव — बड़ा राजनीतिक समीकरण
- राज्य की 246 नगर परिषद और 42 नगर पंचायतों के चुनाव 2 दिसंबर को
- बीएमसी के चुनाव जनवरी 2026 में होने की संभावना
- वर्तमान हालात में भाजपा सबसे मजबूत स्थिति में दिख रही है
- कांग्रेस के अकेले उतरने से विपक्ष का वोट बैंक टूट सकता है
FAQ
| प्रश्न | उत्तर |
|---|---|
| क्या कांग्रेस MVA से अलग हो रही है? | नहीं, गठबंधन बरकरार है, लेकिन बीएमसी चुनाव कांग्रेस स्वतंत्र रूप से लड़ना चाहती है। |
| कांग्रेस मनसे के साथ क्यों नहीं है? | कांग्रेस का कहना है कि मनसे के पुराने रुख से उसके परंपरागत वोटरों को नुकसान हो सकता है। |
| क्या विपक्षी वोट बंटेंगे? | राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि फैसले से भाजपा को सीधा लाभ मिल सकता है। |
| क्या अंतिम निर्णय बदल सकता है? | शिवसेना (UBT) लगातार आग्रह कर रही है, लेकिन इस समय कांग्रेस अपने फैसले पर अडिग है। |
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