COVID-19 की तरह और भी दुनियां में शामिल वायरस की दवाइयों का इस्तेमाल
संवाददाता- (इस्माइल शेख)
महाराष्ट्र– देश में पिछले 24 घंटों के दौरान कोरोना वायरस (Covid-19) के संक्रमण के मामलों में 505 और मरने वालों की संख्या में 11 का इजाफा होने के साथ ही रविवार को मरीजों की संख्या बढ़कर 3,577 हो गई, जबकि मरने वालों की संख्या 83 पर पहुंच गई है! वहीं अबतक 315 कोरोना मरीज ठीक भी हुए हैं!
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के मुताबिक़, कोरोना वायरस संक्रमण का सबसे ज़्यादा ख़तरा उन लोगों को है जो 60 साल या इससे अधिक उम्र के हैं!
(WHO) के मुताबिक़, दुनियाभर के 204 देश ‘कोरोना’ वायरस की चपेट में हैं! आठ लाख से अधिक लोग ‘कोरोना’ वायरस से बाधित हैं और अब तक 42000 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है! अब तक डेढ़ लाख लोगों का इलाज भी किया जा चुका है!
कैसे हो रहा है ‘कोरोना’ के वायरस पर इलाज..
अब सवाल यह उठता है, कि ‘कोरोना’ वायरस के इलाज के लिए अब तक कोई दवा दुनिया के किसी भी देश के पास नहीं है, तो फिर लोग यहां ठीक कैसे हो रहे हैं?
इलाज को लेकर विश्व स्वास्थ्य संगठन का कहना है, कि अब तक इसकी कोई दवा उपलब्ध नहीं है! दवाई बनाने के लिए बहुत से देश लगातार कोशिस कर रहे हैं, लेकिन फिलहाल जो लोग वायरस संक्रमण की वजह से भर्ती हैं उनका इलाज लक्षणों के आधार पर किया जा रहा है! इसके लिए विश्व स्वास्थ्य संगठन और भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (ICMR) ने भी गाइडलाइंस जारी किए हुए हैं! इनकी गाइडलाइंस में अलग-अलग लक्षणों के मरीजों के लिए अलग-अलग ट्रीटमेंट बताए गए हैं और दवाओं की मात्रा को लेकर भी सख़्त निर्देश दिए गए हैं!
साधारण खांसी, ज़ुकाम या हल्के बुख़ार के लक्षण होने पर मरीज़ को तुरंत अस्पताल में भर्ती करने की ज़रूरत नहीं है, उन्हें दवाइयां देकर इलाज जारी रखा जा सकता है! लेकिन जिन मरीज़ों को निमोनिया या गंभीर निमोनिया हो, सांस लेने में परेशानी हो, किडनी या दिल की बीमारी हो या फिर कोई भी ऐसी समस्या जिससे जान, जाने का ख़तरा हो, उन्हें तुरंत आईसीयू में भर्ती करने और इलाज के निर्देश दिए गए हैं! दवाओं की मात्रा और कौन सी दवा किस मरीज़ पर इस्तेमाल की जा रही है इसके लिए भी सख़्त निर्देश दिए गए हैं! डॉक्टर किसी भी मरीज़ को अपने मन मुताबिक दवाएं नहीं दे सकते!
मरीज़ों के इलाज के लिए गाइडलाइन..
अस्पतालों में जो मरीज़ भर्ती हो रहे हैं उन्हें लक्षणों के आधार पर ही दवाएं दी जा रही हैं और मरीज़ का इम्यूनटी सिस्टम भी वायरस से लड़ने की कोशिस करता है! अस्पताल में भर्ती मरीज़ों को आइसोलेट करके रखा जाता है, ताकि उनके ज़रिए किसी और तक ये वायरस न पहुंच सकें! गंभीर मामलों में वायरस की वजह से निमोनिया बढ़ सकता है और फेफड़ों में जलन जैसी समस्या भी हो सकती है! ऐसी स्थिति में मरीज़ को सांस लेने में परेशानी हो सकती है! बेहद गंभीर स्थिति वाले मरीज़ों को ऑक्सीजन मास्क लगाए जाते हैं और हालत बिगड़ने पर उन्हें वेंटिलेटर पर रखे जाते हैं! एक अनुमान के मुताबिक़, चार में से एक मामला इस हद तक गंभीर होता है कि उसे वेंटिलेटर पर रखने की ज़रूरत पड़ती है!
इंडियन फास्ट्रैक के संवाददाता से यूनिवर्सिटी ऑफ नॉटिंगम के वायरोलॉजिस्ट प्रो. जोनाथन बॉल ने बताया, कि ‘अगर मरीज़ को श्वसन संबंधी परेशानी है तो उन्हें सपोर्ट सिस्टम की ज़रूरत पड़ती है! इससे दूसरे अंगों पर पड़ने वाले दबाव से राहत मिल सकती है!’
मध्यम लक्षण वाले मरीज़ जिनका ब्लड प्रेशर घट-बढ़ रहा है उसे नियंत्रित करने के लिए इंट्रावेनस ड्रिप लगाए जाते हैं! डायरिया के मामलों में फ्लुइड (तरल पदार्थ) भी दिए जा सकते हैं! साथ ही दर्द रोकने के लिए भी कुछ दवाइयां दी जा सकती हैं! ‘सवाई मान सिंह मेडिकल कॉलेज’ के डॉक्टर सुधीर मेहता का कहना है कि WHO और ICMR की गाइडलाइंस के तहत ही मरीज़ों का इलाज चल रहा है! इंडियन फास्ट्रैक से बातचीत में उन्होंने बताया, कि ”गाइडलाइन में इस बात का ज़िक्र है कि हल्के लक्षण होने पर कैसा इलाज करना है और गंभीर लक्षण होने पर कैसी दवाइयां मरीज़ों को देनी हैं! इसके पैरामीटर भी तय किए गए हैं! जैसे ‘क्लीनिकल और बाई-केमिकल’ जिनके आधार पर ही इलाज किया जा रहा है!”
HIV की दवाई का भी होता है इस्तेमाल..
विशेषज्ञों का मानना है, कि “कोरोना’ वायरस और ‘एचआईवी’ का एक जैसा मॉलिक्युलर स्ट्रक्चर होने के कारण मरीज़ों को ये एंटी ड्रग दिए जा सकते हैं!’ एचआईवी एंटी ड्रग लोपिनाविर (LOPINAVIR) और रिटोनाविर (RITONAVIR) एंटी ड्रग देकर जयपुर के ‘सवाई मान सिंह अस्पताल’ में तीन मरीज़ों का इलाज किया गया और वो कोरोना के संक्रमण से नेगेटिव हुए है! इसे रेट्रोवायरल ड्रग भी कहा जाता है!’ इन दवाओं का इस्तेमाल साल 2003 में ‘सार्स’ (SARS) वायरस के इलाज में किया गया था! दरअसल उस वक़्त इस बात के सबूत मिले थे कि ‘एचआईवी’ के मरीज़ जो ये दवाएं ले रहे थे, जो ‘सार्स’ से पीड़ित थे, उनका स्वास्थ्य जल्द बेहतर हो रहा था!
प्रो. जोनाथन बॉल का भी मानना है कि “सार्स’ और कोरोना दोनों लगभग एक जैसे ही हैं इसलिए ये दवाएं असर कर सकती हैं! हालांकि वो यह भी कहते हैं कि इन दवाइयों के इस्तेमाल के लिए एक सीमा होनी चाहिए और उन्हीं लोगों पर उनका इस्तेमाल किया जाना चाहिए जो बेहद गंभीर हों!’
दिल्ली सरकार की ओर से कोरोना वायरस की समस्या से निपटने के लिए बनाई गई कार्ययोजना समिति के अध्यक्ष और यकृत एवं पित्त विज्ञान संस्थान (ILBS) के निदेशक डॉ. एस.के. सरीन का मानना है, कि ‘तीन-चार मरीज़ों के ठीक होने पर हम ये दावा नहीं कर सकते, कि यह दवाई सही साबित हो रही है! अगर बड़ी संख्या में लोग इससे ठीक हों तब हम कह सकते हैं!’
इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR) ने भी इसके लिए बाक़ायदा गाइडलाइंस जारी किया हुआ है और अपने गाइडलाइंस मे बताया है, कि ‘किन मरीज़ों पर इस ड्रग का इस्तेमाल किया जा सकता है!’
‘कोरोना’ पर वैक्सीन के लिए कितना समय लगेगा..
‘कोरोना’ वायरस के इलाज को लेकर वैक्सीन कब तक आएगी इसकी कोई स्पष्ट सीमा नहीं है! कई देश कोरोना वायरस से निपटने के लिए दवाइ बनाने की कोशिस कर रहे हैं! लेकिन अब तक किसी भी तरह की कामयाबी नहीं मिल पाई है! इसके पहले फैले ‘सार्स’ वायरस को लेकर भी अब तक कोई सटीक वैक्सीन नहीं बनाई जा सकी है! ऐसे में ‘कोरोना’ की दवाइ जल्द बन जाएगी इस पर संशय की स्थिति बनी हुई है! दूसरी तरफ कुछ लोग ये सवाल भी उठा रहे हैं, कि जब लक्षणों के आधार पर इलाज से ‘कोरोना’ को दूर किया जा सकता है और लोग ठीक भी हो रहे हैं तो फिर इसके लिए अलग से दवाइ बनाने की ज़रूरत क्या है! इसके जवाब में विशेषज्ञ कहते हैं, कि ‘अगर ‘कोरोना’ वायरस का इलाज ढूंढ लिया गया तो भविष्य में इसे फैलने से रोका जा सकता है! आने वाले समय में ये महामारी दुनिया को घुटनों पर न ला पाए इसके लिए ज़रूरी है, कि कोरोना वायरस की दवाइ जल्द से जल्द बना ली जाए!’
डॉ. एस.के सरीन कहते हैं, कि ‘ये वायरस तेज़ी से अपना आकार बदल रहा है ऐसे में इसका इलाज और इसके लिए दवाइ बनाना आसान नहीं है! दूसरी दवाइयां इस पर असर कर रही हैं, लेकिन वो सटीक नहीं हैं! हेल्थकेयर वर्कर्स को हाइड्रॉक्सी क्लोरोक्वीन दी जा रही है, कुछ हद तक इसका इस्तेमाल किया जा रहा है, ताकि उन्हें संक्रमण से दूर रखा जा सके! लेकिन अगर सटीक इलाज की बात करें तो अब तक कुछ नहीं है!’ उन्होंने आगे बताते हुए कहा, कि ‘एंटी-वायरल, एंटी बायोटिक्स के ज़रिए लोगों का इलाज किया जा रहा है! ख़ासकर वो लोग जो आईसीयू में भर्ती हैं! लेकिन जो लोग अपने आप ठीक हो रहे हैं वो इम्युनटी की वजह से हो रहे हैं!’
नई दवाइ बनाने की ज़रूरत को लेकर उठ रहे सवालों पर डॉ. सरीन कहते हैं, कि ‘लोग ठीक होने वालों का आंकड़ा देख रहे हैं लेकिन मरने वालों का आंकड़ा शायद नज़रअंदाज़ कर रहे हैं!’ उन्होंने आगे बताते हुए कहा, कि ‘दवाओं को लेकर ट्रायल चल रहे हैं! इबोला के इलाज के लिए इस्तेमाल होने वाली दवा को लेकर भी ट्रायल चल रहा है कि क्या ये कारगर हो सकती है! मेरी समझ से अभी हमें बहुत काम करने की ज़रूरत है!’
‘कोरोना’ पर भारत के हालात..
डॉ. एस.के सरीन कहते हैं, कि ‘बाकी दुनिया के मुक़ाबले भारत में अभी कोरोना संक्रमण के मामलों की शुरुआत हुई है और आने वाले कुछ हफ़्तों में मामले और भी बढ़ सकते हैं!’ दिल्ली के निज़ामुद्दीन इलाक़े में एक साथ कई लोगों में ‘कोरोना’ के लक्षण पाए जाने और कुछ लोगों की मौत पर वो चिंता जताते बताया, कि ‘वायरस रिप्रोडक्शन रेट अगर हम नियंत्रित कर पाए तो बड़ी कामयाबी होगी! इसके लिए ‘लॉकडाउन’, सोशल डिस्टेंसिंग और सैनेटाइजेशन काफ़ी महत्वपूर्ण है!’ उन्होंने बताया, कि ‘अगर वायरस संक्रमण बढ़ता है तो हालात बिगड़ सकते हैं! किसी एक संक्रमित व्यक्ति से दूसरे सामान्य व्यक्ति में संक्रमण का ख़तरा काफ़ी है और ‘कम्युनिटी ट्रांसमिशन’ के मामले बढ़ सकते हैं!’
Discover more from
Subscribe to get the latest posts sent to your email.