बृहन्मुंबई महानगर पालिका (BMC) ने मुंबई में कबूतरों को दाना खिलाने की मनाही के बाद चार संभावित स्थलों पर पुनर्विचार किया है, जिसमें Sanjay Gandhi National Park, Aarey Milk Colony, Wadala के समीप मैंग्रोव और Gorai शामिल हैं — इन जगहों को मानव आबादी से दूर माना गया है।
मुंबई: शहर में कबूतरों को दाना खिलाने पर पहले से ही पाबंदी लगाई जा चुकी है। अब BMC ने चार ऐसे स्थानों पर विचार किया है जहाँ भविष्य में नियंत्रित रूप से कबूतरों को खिलाने की अनुमति दी जा सकती है। ये स्थान हैं: SANJAY GANDHI राष्ट्रीय पार्क के आसपास, Aarey Milk Colony क्षेत्र में, एक मैंग्रोव पट्टी Wadala के पास और Gorai। इन स्थानों को इसलिए चुना गया है क्योंकि इन इलाकों में मानव बस्तियाँ बहुत कम हैं। हालांकि, पर्यावरणविद् ने इस दावे पर सवाल उठाया है। इस बीच, जैन समुदाय की एक प्रतिनिधि टोली ने BMC आयुक्त से मिलकर नए कबूतर-आश्रय स्थलों की मांग की है। कोर्ट प्रक्रिया अभी चल रही है।
पृष्ठभूमि और अब तक का हाल
- पिछले कुछ महीनों में, BMC ने कबूतर-खिलाने पर सख्ती बढ़ाई है।
- Bombay High Court ने कबूतर-खिलाने पर पाबंदी बनने की दिशा में कदम उठाए हैं और BMC को यह सुनिश्चित करने कहा है कि जो भी अनुमति हो, वह स्वास्थ्य व स्वच्छता मानकों के अनुरूप हो।
- कबूतर-खिलाने के स्थानों की तलाश के दौरान, BMC ने बताया कि मुम्बई के घनी आबादी वाले ‘आइलैंड सिटी’ में उपयुक्त जगह मिलना कठिन है।
नए प्रस्तावित स्थल
- Sanjay Gandhi National Park (SGNP) के आसपास
इस स्थान को इसलिए चुना गया है क्योंकि यह अपेक्षाकृत कम आबादी वाला क्षेत्र है और यहां पक्षियों-पर्यावरण के अनुकूल माहौल माना गया है। स्रोत के अनुसार यह बीएमसी द्वारा विचाराधीन एक क्षेत्र है। - Aarey Milk Colony क्षेत्र
Aarey में प्रस्तावित स्थल के संबंध में कहा गया है कि यह मानव आबादी से दूर माना गया है, लेकिन पर्यावरणविरोधियों ने इस दावे पर आपत्ति जताई है। - मैंग्रोव पट्टी (मंग्रोव प्लूट) near Wadala
Wadala के निकट एक मैंग्रोव जंगल को इस सूची में शामिल किया गया है — मौजूदा मानव बस्तियों से दूरी के कारण। - Gorai
उपरोक्त तीन के अलावा एक विकल्प के रूप में Gorai को भी प्रस्तावित किया गया है क्योंकि वहाँ भी कम-मानव आबादी वाला वातावरण उपलब्ध है।
मुंबई के वकील ने NHRC से की शिकायत, कहा– “खतरनाक पटाखे बन गए ज़हर”
पर्यावरण-विरोध व चर्चाएँ
- पर्यावरणविद् Stalin D (एनजीओ Vanashakti) ने कहा है कि Aarey के क्षेत्र में ट्राइबल समुदाय निवास करते हैं, इसलिए “मानव बस्तियों से दूर” का दावा पूरी तरह सही नहीं माना जा सकता।
- जैन समुदाय के प्रतिनिधियों ने BMC आयुक्त से मिलकर नए कबूतर-अश्रयों की मांग की है, क्योंकि उनके धार्मिक विश्वास में कबूतर-खिलाना “जीव दया” का कार्य माना जाता है।
आगे क्या होगा?
- BMC ने सभी 25 विभागीय वार्डों के सहायक आयुक्तों को सुझाव देने के लिए कहा है कि वे संभावित स्थल प्रस्तावित करें।
- प्रस्तावित स्थलों का नगर-स्वास्थ्य, सफाई, मानव-आवासी प्रभाव आदि को देखते हुए मूल्यांकन होगा, और इसकी जानकारी अदालत में भी दी जाएगी क्योंकि मामला अभी अदालत में लंबित है।
- यदि अनुमति दी जाती है, तो संभवत: नियंत्रित समय व शर्तों के अंतर्गत कबूतर-खिलाने की व्यवस्था की जाएगी, ताकि स्वास्थ्य व स्वच्छता संबंधी चिंताएं पूरी हों।
मुंबई में कबूतरों को दाना खिलाने पर लंबे समय से बने धार्मिक, सामाजिक और स्वास्थ्य संबंधी विवाद को देखते हुए BMC ने नया मार्ग चुनने की कोशिश की है – जहाँ कबूतर-खिलाने की परंपरा और सार्वजनिक स्वास्थ्य दोनों को संतुलित किया जा सके। प्रस्तावित चार जगहों में से अंतिम चयन और प्रक्रिया अब आगे तय करनी है।
FAQ
Q1. कबूतरो को दाना खिलाने पर पूरी तरह प्रतिबंध है क्या?
हाँ, BMC ने सार्वजनिक जगहों पर कबूतरों को दाना खिलाने की मनाही लगाई है और जिन स्थानों पर यह पहले हो रहा था उन्हें बंद करने के आदेश दिए गए हैं।
Q2. क्यों यह प्रतिबंध लगाया गया है?
मुख्य रूप से दो कारण हैं – (1) कबूतरों के मल-पक्षियों के अध्ययनों के अनुसार स्वास्थ्य संबंधी जोखिम (जैसे फंगस, एलर्जी) और (2) घनी आबादी वाले इलाकों में स्वच्छता व सफाई का मामला।
Q3. नए प्रस्तावित स्थल कब लागू होंगे?
अभी तय नहीं हुआ है। BMC द्वारा सुझाव मांगे जा रहे हैं, तथा अदालत और विभिन्न विभाग इसकी समीक्षा कर रहे हैं।
Q4. धार्मिक परंपराओं को क्या होगा?
जैन समुदाय तथा अन्य पक्ष इसके लिए नए नियंत्रित स्थान की मांग कर रहे हैं। BMC ने कहा है कि नए विकल्प तलाशे जाएंगे।
Q5. अगर कोई पुराने स्थान पर कबूतर-खिलाता है तो क्या होगा?
अवैध स्थान पर कबूतर-खिलाने पर जुर्माना लगाया जा रहा है – उदाहरण के लिए 500 रुपए का जुर्माना।
Discover more from
Subscribe to get the latest posts sent to your email.


