Global Warming: धरती केवल मनुष्यों के लिए नहीं है–सुप्रीमकोर्ट

  • जंगल बचाने केवल आदिवासी ही क्यों? पुरा देश क्यों नहीं?
  • Global Warming पर सरकारों में सकारात्मक दृष्टिकोण कहाँ ?
  • अवैध निर्माण के लिए शासन प्रशासन ही है जिम्मेदार..
  • क्या हर बात के लिए न्यायालयों पर ही आश्रित रहें?
  • शासन प्रशासन का कोई दायित्व नहीं ?

सुरेंद्र राजभर
मुंबई-
Global Warming आज धरती, पर्यावरण खतरे में है।ग्लोबल वार्मिंग के खतरे वैज्ञानिकों की चेतावनी के बावजूद जंगल काटे जा रहे हैं। हसदेव जंगल बचाने केवल आदिवासी ही क्यों आंदोलित हैं। पूरा देश क्यों नहीं? हसदेव के लाखों पेड़ मात्र एक व्यक्ति के लिए काटे जा रहे हैं, जो पूरे देश के लिए खतरे की घंटी है। मुंबई में समुद्र तट से 500 मीटर दूर ही निर्माण का कानून बना है, लेकिन महानगर पालिका के भ्रष्ट अधिकारियों को मुंबई और मुंबईकरों की तनिक भी चिंता नहीं है। बीएमसी के उच्च जिम्मेदार अधिकारी और राज्य सरकार आंखें मूंदे हुए हैं।

मुंबई में मनपा की खाली जमीनों का अधिकारी और नेता सौदा कर अपनी जेबें भर रहे हैं। चुनाव का पर्व भूमाफियाओं और बीएमसी अधिकारियों के लिए अवैध निर्माण का सुनहरा मौका देता है कालाधन अर्जित करने का। पत्रकार अपनी भूमिका निभाते हैं। फोटो सहित गैरकानूनी निर्माण की घटना प्रकाशित करते हैं। बीएमसी आयुक्त, शहरी विकास मंत्री सहित सभी जिम्मेदार चुप रहते हैं। कोई कार्रवाई नहीं होती। अवैध निर्माण में पुलिस, विधायक, सांसद और कार्पोरेटरों का भी सहयोग होता है। सभी अपने हिस्से का कमीशन लेकर अनदेखा अनसुना कर देते हैं। Global Warming

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अहमदाबाद से लेकर सुदूर साउथ में भी अवैध रूप से जंगल, सरकारी जमीन, चारागाह, तालाब सब पर कब्जा किया जाता है। कुछ समय पूर्व रामटेक की घटना का स्मरण होगा ही। उत्तराखंड में खुद सरकार प्रकृति के विरुद्ध निर्माण कर रही है, जिससे जोशी मठ को खतरा हो गया है। उसका अस्तित्व मिटने की कगार पर है। उत्तराखंड की त्रासदी याद होगी जब नदी की सीमा में चार चार महल के होटल ताश के पत्तों की तरह ढहकर नदी की धार में बह गए थे। Global Warming

अवैध निर्माण मात्र ग्रामप्रधानों, विधायकों, सांसदों और पुलिस जवाबदेह होती है। उत्तर प्रदेश में जिन माफियाओं के होटल रेस्टोरेंट भव्य अट्टालिकाएं योगी ने बुलडोज कराई उसके गैर कानूनी तरीके से निर्माण के समय कौन कौन अधिकारी, विधायक, सांसद थे उनका पता लगाकर साथ में उनके घर भी बुलडोजर से गिराना चाहिए था लेकिन सरकारें ऐसा नहीं करेंगी। जब कोई संपत्ति ढहाई या तोड़ी जाती है तो देश की संपत्ति का नुकसान होता है। Global Warming

गैरकानूनी निर्माण ढहाने या तोड़ने की जगह गरीबों का आशियाना और सरकारी दफ्तर बैंक को दे देना चाहिए। सारे बैंक की अपनी बिल्डिंग नहीं है। उनसे भाड़ा सरकार ले सकती थी। यह सकारात्मकता होती लेकिन हमारी सरकारों में सकारात्मक दृष्टिकोण कहां? अवैध निर्माण के लिए शासन प्रशासन ही जिम्मेदार होता है। अवैध निर्माण न गिराकर अधिकारियों विधायकों सांसदों के शीश महल जब्त कर सरकारी उपक्रमों और निर्धन बिना पक्की छत वाले गरीबों को दे देना ही सकारात्मक कदम होगा। Global Warming

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धरती के पर्यावरण की रक्षा वृक्ष ही करते हैं।अब अडानी को फायदा पहुंचाने के लिए वहां झोपड़ियां बनाकर सदियों से रहने और जंगल से ही अपनी रोजी रोटी कमाने वाले गरीबों को क्यों उजाड़ा जाए, एक धनवान के लिए जैसा कि हसदेव जंगल के लाखों पेड़ों को काटकर खत्म किया जा रहा है। याद रहे सुप्रीमकोर्ट ने सही कहा, धरती सिर्फ मनुष्यों के लिए नहीं हैं। यहां विभिन्न तरह के पशु पक्षी और अन्य जीव भी रहते हैं। वे जंगल और खाली जमीन पर ही आश्रित रहते हैं। पहले लोग अपने धोर लेकर सुबह जंगल जाते थे। पशुओं को जंगल में चारा मिलता है। चारागाह खत्म पशुओं का चारा खत्म। Global Warming

सरकारी दस्तावेजों का नकली ऑनलाईन पोर्टल के साथ एक गिरफ्तार
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क्या हर बात के लिए हम न्यायालयों पर ही आश्रित रहें? शासन प्रशासन का कोई दायित्व नहीं है। अवैध निर्माण के लिए राजनीति का वोट बैंक प्रमुख होता है। इसीलिए जासंबिखकार अवैध निर्माण कराए जाते हैं।जैसे लोकसभा चुनाव की आचार संहिता लागू होते ही बीएमसी के जिम्मेदार भूमाफियाओं से साठ गांठ कर उनसे करोड़ों रुपए वसूली कर अपने सरकारी आकाओं तक पहुंचाते रहते हैं जिससे कभी अवैध बांधकाम नहीं टूटते। Global Warming


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