वी बी माणिक
मुंबई– मध्यरेल के कल्याण रेलवे स्टेशन बन गया अखाड़ा। यहां जनरल यात्री पैंट्रीकार में घुसने के लिए कर्मचारियों से गाली-गलौज और मार पीट करते हुए दिखाई दे रहे हैं और आरपीएफ जब नज़र आई तो वो भी पैंट्रीकार के कर्मचारियों पर ही अपना बल का प्रयोग करते हुए दिखाई दिए। ऐसे में पैंट्रीकार में यात्रा के लिए महंगे दाम देकर प्रतिक्षा के साथ सफर करने वाले यात्रियों की सुरक्षा पर सवाल खड़े हो रहे हैं।
क्या है मामला?
छत्रपति शिवाजी महाराज टर्मिनस से लखनऊ जाने वाली 12534 पुष्पक एक्सप्रेस गाड़ी जब कल्याण रेलवे स्टेशन के प्लेटफार्म क्रमांक 4 पर आई, तो लखनऊ की ओर जाने वाले यात्रियों की भारी भीड़ थी और यहां सुरक्षा के नाम पर केवल आरपीएफ दिखाई पड़ी। लेकिन पैंट्रीकार पर एक भी जवान नही दिखाई पड़ा। जिसमे जनरल टिकट के यात्री भारी संख्या में पैंट्रीकार में घुसने लगे। तभी पैंट्रीकार के कर्मचारी ने अंदर आने के लिए मना किया। इस पर यात्रीयो ने विरोध किया और पैंट्रीकार वालो को गाली गलौज देते हुए मारपीट पर उतारू हो गए तभी पैंट्रीकार वालो ने अंदर से दरवाजा बंद कर लिया।
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RPF की गुंडागर्दी..
इसके बाद भी यात्री गाली दे रहे थे। इस वजह से पैंट्रीकार के स्टाफ ने दरवाजा खोला और वो भी गली देने लगे तभी यात्रियों ने मारपीट शुरू कर दिया। इसके बाद तो प्लेटफार्म पूरी तरह अखाड़ा बन गया तब भी कोई आरपीएफ नही आया। कुछ देर के बाद आरपीएफ और एमएसएफ के जवान आ गए और पैंट्रीकार के स्टाफ को मारने लगे। इसको देखकर यात्री और उग्र हो गए। उन लोगों ने भी आरपीएफ के साथ मिलकर मारपीट में सहयोग दिया।
इतना अत्यचार आरपीएफ का बढ़ गया है, कि जब यात्री मारपीट कर रहे थे तो उन यात्रियों पर कार्रवाई क्यो नही किया गया? उन पर केस क्यो नही बनाया? सबसे बड़ा प्रश्न ये है कि कल्याण में तैनात चेकिंग स्टाफ, टीसी क्या रहे थे? ये केवल रेलवे का रेवेन्यू बढाने में लगे रहते है और जनरल टिकट वालो से पेनाल्टी रसीद बनाकर आरक्षण बोगी में यात्रा करने की छूट दे देते है। कुछ तो वसूली में व्यस्त रहते है। पेनाल्टी रसीद के आधार पर किस नियम के तहत आरक्षण बोगी में यात्रा करने का अधिकार है? यात्रियों की सुरक्षा करने की ताकत इनके पास नही रह गयी है।
छठ पूजा के कारण हर वर्ष दीवाली के समय उत्तर भारत की ओर जाने वाली गाड़ियों में भीड़ होती है। इस पर न तो रेल प्रशासन ठीक से ध्यान देता है और न ही रेल विभाग की सुरक्षा व्यवस्था दिखाई पड़ती है। केवल आरपीएफ नारे लगाती है, कि हम ये व्यवस्था कर रहे है हम वो व्यवस्था कर रहे है। आरपीएफ में संख्या बल की भी भारी कमी है। इसके कारण निरीक्षक भी लाचार होते है। पर कल्याण स्टेशन की स्थिति काफी दयनीय है। मध्यरेल के आईजी को इस पर गहन ध्यान देना चाहिए। इसके अलावा भी बिना सीजन के भी आरपीएफ की व्यवस्था ठीक नही है। आजकल रेल प्रशासन खोखले दावे के अलावा और कुछ नही कर रहा है।
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