मंत्री का घर फूंका, पीएम चले विदेश।

  • मणिपुर में लोगों ने केंद्रीय मंत्री आरके रंजन सिंह के घर को फूंका दिया।
  • संविधान और लोकतंत्र को कुचलना स्वभाव बन गया है।
  • यह कमाल केवल कमल कर सकता है।

सुरेंद्र राजभर
वाराणसी-
मणिपुर में लोगों ने केंद्रीय मंत्री आरके रंजन सिंह के घर को फूंका है। मंत्री उस वक्त घर में नहीं थे। बीजेपी चाहे जितने दावे करे लेकिन सच तो यह है, कि शासन करना इसके बूते का नहीं है। झूठ पर खड़ी ताश की इमारत कभी न तो ठोस धरातल बना पाती है न ठोस इमारत। फितरत जिसकी रग-रग में भरा हो। ईर्ष्या जिसका भाव हो। बदला जिसकी प्रकृति हो। दंभ जिसका स्वभाव हो। ऐसा व्यक्ति गांव के मुखिया का भी पदभार सम्हाल नहीं सकता तो देश कैसे सम्हालेगा?

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मंत्री का घर फूंका,
मणिपुर आगजनी की तस्वीर

झूठ सिर्फ झूठ, वादे कोरे, जिन्हें पूरे नहीं किए जाएं। लोकलुभावन नारे,विज्ञापन पर अरबों खरबों अपव्यय कर अपनी सफलता का झूठा प्रचार करना। पांच ट्रिलियन डॉलर वाली अर्थव्यवस्था जिसका फितूर हो। समस्या का समाधान नहीं कर सके। समस्या पर चुप्पी साध ले। शुतुरमुर्ग की तरह अपना सिर रेत में छिपा ले। प्रश्न पूछने पर चुप रहे क्योंकि जवाब नहीं और फिर प्रश्न कर्ता को जेल भेज दे। विपक्षी नेताओं के घर कभी सीबीआई तो कभी ईडी भेजकर डराए।

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किसान आंदोलन चलता रहे कुछ न बोले अंत में माफी मांग ले।महिला पहलवानों की यौनशोषण आरोप पर चुप्पी साध ले फिर दिल्ली पुलिस पर दबाव डालकर आरोपी को क्लीन चिट दिला दे। कभी देश की बेटियां कहे तो कभी पुलिस द्वारा जबरन उन्हें उठाकर फेंकवा दे। पीड़िताओं से पुलिस कितनी बेहयाई के साथ सबूत मांगे और धमकी देकर, परिवार को खत्म करने का भय दिखाकर बयान बदलवाए। बस यही तो किया है। कभी नोट बंदी कर आम जनता को परेशान करे तो कानून बनाकर जनता को दंडित करे। अच्छे दिन के ख्वाब दिखाए। इसी का नाम है बीजेपी।

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मंत्री का घर फूंका..

संविधान और लोकतंत्र को कुचलना स्वभाव बन गया हो। मणिपुर में मैती को आरक्षण का वादा करे दूसरी तरफ विरोधियों को विरोध के लिए उकसाए। जिस तरह रोम को जलते देख अनदेखा कर नीरो बंसी बजाता रहा वैसे ही अपने मंत्री का घर फूंके जाने पर छवि निर्माण हेतु, विदेश पलायन कर जाए। यह कमाल केवल कमल ही कर सकता है। मत भूले कि हमेशा के लिये सत्ता नही मिली है। राज्यों की तरह सिमटता साम्राज्य खत्म होते देख भी सम्राट समझने की भ्रांति पालने वाले का हश्र अगले चुनाव में मालूम पड़ेगा।


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