कांदिवली शताब्दी अस्पताल में समय पर उपचार न मिलने से 40 वर्षीय मरीज की मौत का आरोप। परिवार का आरोप—वरिष्ठ डॉक्टर नहीं थे, इसलिए दूसरे अस्पताल भेजा गया। BMC अस्पताल प्रशासन का दावा—मरीज स्थिर था और अन्य गंभीर बीमारी की आशंका।
मुंबई: कांदिवली के शताब्दी अस्पताल में एक 40 वर्षीय मरीज की मौत के बाद परिजन भड़क गए। उनका आरोप है कि सोमवार रात पित्ताशय (गॉलब्लैडर) के दर्द के साथ भर्ती किए गए मरीज को समय पर उचित उपचार नहीं मिला और डॉक्टरों ने “वरिष्ठ डॉक्टर उपलब्ध नहीं हैं” कहकर दूसरे अस्पताल भेज दिया। कई अस्पतालों के चक्कर काटने के बाद मंगलवार सुबह मरीज की मौत हो गई।
रजनीकांत यादव (40) को सोमवार रात तेज पेट दर्द के बाद शताब्दी अस्पताल लाया गया, जहां आपातकालीन विभाग में केवल प्राथमिक इलाज करके उन्हें कूपर, KEM या नायर अस्पताल जाने की सलाह दी गई। परिवार उन्हें पहले प्राइवेट अस्पताल ले गया, फिर हालत बिगड़ने पर बाळासाहेब ठाकरे ट्रॉमा केयर में भर्ती किया, लेकिन सुबह उनकी मौत हो गई। परिजनों का आरोप है कि अगर शताब्दी अस्पताल ने समय पर और सही इलाज किया होता तो मरीज की जान बच सकती थी।
🟥 मरीज को शताब्दी में लाया गया, पर वरिष्ठ डॉक्टर नहीं मिले
जानकारी के मुताबिक, सोमवार रात लगभग 8:30 बजे रजनीकांत यादव को तेज पेट दर्द के कारण शताब्दी अस्पताल के इमरजेंसी विभाग में लाया गया।
- ड्यूटी डॉक्टर ने प्राथमिक जांच की
- बताया कि वरिष्ठ डॉक्टर मौजूद नहीं हैं
- और मरीज को “उच्च स्तरीय उपचार” के लिए कूपर, KEM या नायर अस्पताल ले जाने को कहा
परिवार ने डॉक्टरों से बार-बार विनती की कि मरीज की हालत खराब है, लेकिन उन्हें आगे का इलाज नहीं दिया गया।
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🟥 निजी अस्पताल और ट्रॉमा केयर के चक्कर में बिगड़ी तबीयत, हुई मौत
वरिष्ठ डॉक्टर नहीं मिलने पर मरीज को परिजन मजबूरी में निजी अस्पताल ले गए।
लेकिन—
- रात में हालत अचानक बिगड़ गई
- उन्हें बाळासाहेब ठाकरे ट्रॉमा केयर ले जाया गया
- जहां मंगलवार सुबह इलाज के दौरान उनकी मौत हो गई
परिवार का आरोप—
“अगर शताब्दी में समय पर इलाज मिला होता तो वह बच जाते।”
🟥 नातेवाईकों का आक्रोश—एक अस्पताल से दूसरे अस्पताल तक भटकाते रहे
परिजनों का कहना है—
“रात भर हम लोग अस्पताल दर अस्पताल भटकते रहे। शताब्दी के डॉक्टरों ने सही से इलाज नहीं किया और सीधे रेफर कर दिया। अगर तुरंत ट्रीटमेंट शुरू होता तो ऐसा नहीं होता।”
🟥 अस्पताल प्रशासन का दावा—मरीज स्थिर था, गंभीर बीमारी की आशंका
शताब्दी अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक डॉ. अजय गुप्ता ने परिजनों के आरोपों से इनकार किया। उन्होंने कहा—
- मरीज के पास पहले से ही कुछ जांच रिपोर्ट थीं
- इसलिए टेस्ट में समय नहीं लगाया
- प्राथमिक इलाज दिया गया
- DNB परीक्षा होने के कारण वरिष्ठ डॉक्टर उपलब्ध नहीं थे
- मरीज स्थिर था इसलिए “हायर सेंटर” की सलाह दी गई
डॉ. गुप्ता का दावा—
“सिर्फ पित्ताशय के दर्द से मौत नहीं हो सकती। उन्हें कोई अन्य गंभीर बीमारी रही होगी।”
❓ FAQ
1. मरीज को किस बीमारी की शिकायत थी?
उन्हें पित्ताशय (गॉलब्लैडर) के दर्द की शिकायत थी।
2. मौत किस अस्पताल में हुई?
बाळासाहेब ठाकरे ट्रॉमा केयर अस्पताल में।
3. परिजनों का आरोप क्या है?
कि शताब्दी अस्पताल ने समय पर इलाज नहीं दिया और दूसरे अस्पताल भेज दिया।
4. अस्पताल प्रशासन क्या कहता है?
मरीज स्थिर था और घबराने जैसी स्थिति नहीं थी। मौत की वजह कोई अन्य गंभीर बीमारी हो सकती है।
5. क्या वरिष्ठ डॉक्टर मौजूद थे?
नहीं। DNB परीक्षा चलने के कारण वरिष्ठ डॉक्टर उपलब्ध नहीं थे।
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