अवैध निर्माण के लिए तीन वृक्षों की बलि…

3 हरे-भरे वृक्षों को ज़मीन निगल गई या आस़मान खा गया ?

सवाल पर मनपा अधिकारी खामो़श!

Advertisements

सुरेंद्र राजभर
मुंबई –
प्रकृति को ही देश और समाज के भूमाफियाओं और ठेकेदारों द्वारा अपने नीजी स्वार्थ हेतू उसे क्षति पहुंचाने का कार्य किया जा रहा है। जो देश और समाज के लिए उचित नही है। प्रकृति हमारे जीवन में भी एक खास महत्व रखती है। परंतु कुछ लोग प्रकृति को नष्ट कर आर्थिक लाभ की ललक में अपनी इंसानियत तक को ताख़ पर रख दिया है। जिसकी वजह से इंसानियत शर्मसार होती नज़र आ रही है।

प्रकृति को नष्ट कर उससे खिलवाड़ उचित है या अनुचित ?
यहां साफ तौर पर प्रतित हो रहा है कि अवैध निर्माण हेतु स्थानीय स्तर पर तीन हरे भरे वृक्षों की बलि देना, कतई नही होना चाहिए। इसके लिए साफ तौर पर स्थानिक संबंधित विभागीय अधिकारी एवं जनता के नुमाइंदे ज़िम्मेदार हैं!

प्रकृति को नष्ट कर उससे खिलवाड़ उचित है या अनुचित ?
आर/दक्षिण वार्ड स्थित धिमान ब्रदर्स, लक्ष्मी कंपाउंड, हिंदू स्मशान भूमि के सामने, वडारपाडा रोड़ क्र.2, कांदिवली (पूर्व ),मुंबई 101, में तीन हरे-भरे फलदार वृक्ष, जिसमें क्रमशः जामुन (35′ ऊंचा), पीपल (40′ ऊंचा) और बादाम (30′ ऊंचा) इन तीन वृक्ष लोगों को फल और छाया देने के साथ ही पर्यावरण को शुद्ध किया करते थे, एकाएक तीनों पेड़ गायब हो गये!

एसजी/एमसी/03/दिनांक:02.04.2016 को मनपा द्वारा अतिरिक्त शाखाओं की छंटनी की परवानगी देते हुए अपना उद्देश्य भी बताया था !

1) वृक्ष का भार हलका करना, 2) वृक्षों को जीवित रखना और 3) वित्त हानी टालना / साथ ही ताकीद की गई थी कि फल तोड़ें और खाए जा सकते हैं।

लेकिन उपर्युक्त शर्तों को पूरा करने के स्थान पर तीनों के तीनों पेड़ ही जड़ से काट ड़ाले गये! एम.एम कंपाउंड जो वास्तव में कलेक्टर लैंड में राजेंद्र धिमान ने 6 महिने पहले तीनों पेड़ कटवाकर 500 वर्ग फुट के गाले का अवैध निर्माण करा लिया है। कलेक्टर कार्यालय से संपर्क में बताया गया कि कांदिवली क्षेत्र में स्थित समस्त कलेक्टर भू-लैंड को रुपये लेकर बेच दिया गया है। एक तरफ ग्लोबल वार्मिंग से लड़ने की बातें होती है। दूसरी ओर हरे वृक्ष कटवाकर कमर्शियल गाले बनवाए जाते हैं।

मामला बड़ा संगीन और भ्रष्टाचार का लगता है। देखना है कि क्या विभागीय उच्चा अधिकारी मामले की निष्पक्ष जांच करके कोई कानूनी कार्रवाई करते हैं या भ्रष्टाचार की चादर में मुंह ढंककर सोए रहते हैं।


Discover more from  

Subscribe to get the latest posts sent to your email.

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Advertisements
Scroll to Top

Discover more from  

Subscribe now to keep reading and get access to the full archive.

Continue reading