- मंत्री को धोखें में रखकर प्रस्ताव किया पेश..
- विभाग में पुराना होने का गलत फायदा..
- विभाग के सचिव को नियमों की जानकारी नही..
नितिन तोरस्कर
मुंबई – पिछले 7 सालों से खाद्य आपूर्ति विभाग में मनमानी करने वाले संयुक्त सचिव का आखिर कार विभाग के मंत्री छगन भुजबल की नाराजगी के बाद हुआ तबादला! अब संयुक्त सचिव सतीश सुपे वित्तीय विभाग का कामकाज देखेंगे! राज्य में पहली बार ऐसा मामला प्रकाश में आ रहा है कि मंत्रियों को अंधकार में रखकर उनके विभाग का प्रस्ताव संयुक्त सचिव पास कर रहे थे! सचिव भी अंजान!
मंत्री को धोखेंं में रखकर प्रस्ताव किया पेश..
अधिक जानकारी के मुताबिक, तीन दिन पहले मंगलवार को मंत्रिमंडल की बैठक में खाद्य आपूर्ति एवं ग्राहक संरक्षण मंत्री छगन भुजबल को अंधकार में रखते हुए, उनके सचिव ने कैबिनेट की बैठक में खुद प्रस्ताव पेश कर दिया! इसपर बैठक के दौरान उपस्थित सभी मंत्रियों ने सरकारी कामकाज पर तीव्र विरोध जताया! ऐसे में प्रशासन की ओर से कामकाज के बीच, वक्त को बर्बाद करने के लिए कारणभूत रहे खाद्य आपूर्ति विभाग के संयुक्त सचिव सतीश सुपे को पद से हटा दिया है! तबादला करते हुए उन्हें वित्तीय विभाग का कामकाज संभालने के निर्देश दिए गए हैं!
विभाग में पुराना होने का गलत फायदा..
आप को और अधिक जानकारी देते हुए बता दें, कि पिछले 7 से 8 सालों से राज्य के खाद्य आपूर्ति विभाग में संयुक्त सचिव के पद पर सतीश सुपे काम कर रहे थे! काफी सालों से एक ही विभाग में काम करने से, उनके पास विभाग की अच्छी खासी जानकारियां हो गई थी! जिसका गलत फायदा उठा कर, अपने मनमाने तरीके से कारोबार करने का खुलासा हुआ है! लॉकडाउन के दरम्यान पिछले दो महिनों से खाद्य आपूर्ति विभाग के बारे में मंत्रियों को बताए बगैर उनकी इजाज़त लिए बगैर अनेक सरकारी नियमों को जारी किए जाने का भी खुलासा हुआ है! अभी तो ऐसा हुआ, कि तीन दिन पहले मंत्रिमंडल की बैठक में पूराने और वरिष्ठ मंत्री छगन भुजबल की इजाज़त के बगैर उन्ही के विभाग का प्रस्ताव बैठक में पेश किया गया!
विभाग के सचिव को नियमों की जानकारी नही..
आप को बता दें, कि राज्य के खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति विभाग के सचिव संजय खंदारे कामकाज देख रहे हैं! उन्हें पता होना चाहिए कि वे मंत्रालय का कामकाज देख रहे हैं, सचिवालय का नही! इस विभाग का कार्यभार संभालते हुए संजय खंदारे को 6 महिने हो गए हैं! लेकिन अबतक वे अपने विभाग का कामकाज समझ नही पाए हैं! सिर्फ ड्यूटी बजाने के लिए ये विभाग का कामकाज देख रहे हैं! इस विभाग के पहले रहे प्रधान सचिव महेश पाठक को लॉकडाउन के कारण नागरिकों के लिए खाद्य आपूर्ति एवं वितरण पर ध्यान देना पड़ रहा है! ऐसे सचिव पद पर खंदारे के नए होने से निर्णय लेने में वरिष्ठ रहे संयुक्त सचिव को नियमों की जानकारी मुहैया कराई जानी चाहिए! लेकिन सतीश सुपे इसबारे में सचिव को नियमों से अवगत नही कराए जाने के कारण राज्य की मंत्रिमंडल बैठक में पहली बार ऐसा हुआ कि मंत्री की मंजूरी लिए बगैर सचिव द्वारा प्रस्ताव पेश कर दिया गया! इसपर सभी मंत्रियों ने नाराजगी व्यक्त की सरकार की ओर से तुरंत सतीश सुपे को खाद्य आपूर्ति विभाग के संयुक्त सचिव पद से हटाकर वित्तीय विभाग में तबादला कर दिया गया है!
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