सुरेंद्र राजभर
मुंबई – डॉक्टर को प्राणरक्षा करने के कारण धरती का भगवान कहा जाता रहा है देश में मग़र तमाम घटनाएं ऐसी प्रकाशित हुईं जब डॉक्टर ने पेट के ऑपरेशन के समय कैंची और टॉवेल ही छोड़कर सिलाई कर दी। तमाम ऐसी घटनाएं हुईं की इंजेक्शन लगाते ही पेशेंट की हालत बिगड़ी या मौत हो गयी।
ऐसी घटनाएं बड़े अस्पतालों से लेकर क्लिनिक में होते देख नीम हकीमों के हौसले बढ़ जाते हैं।
इन्हें फ़र्ज़ी डॉक्टर कहा जाता है।
गाँव हो या नगर ये फ़र्ज़ी डॉक्टर सभी स्थानों पर कमाई करने लगते हैं साथ ही गरीबों की ज़िंदगी से खिलवाड़ भी।
ऐसे ही फ़र्ज़ी डॉक्टरों को पकड़ने के लिए पुलिस विभाग अभियान चलाता रहता है।पिछले 3 महीने में लगभग डेढ़ दर्जन फ़र्ज़ी डॉक्टरों को पकड़कर जेल भेजा जा चुका है।
हरेक राज्य में डॉक्टरी पेशा करने के लिए रजिस्ट्रेशन की ब्यवस्था होती है।एडवोकेट्स के लिए जैसे बार में रजिस्ट्रेशन कराए बिना वक़ालत नहीं कर सकते वैसे ही महाराष्ट्र में डॉक्टरी पेशा करने के लिए महाराष्ट्र मेडिकल कॉउंसिल में पंजीकरण अनिवार्य है।इसी आधार पर रजिस्ट्रेशन नहीं कराए डॉक्टरों को फ़र्ज़ी समझकर पुलिस गिरफ़्तार करती रहती है।
पुलिस ने बताया कि मुम्बई महानगर में विलेपार्ले इलाके के नेहरूनगर,वर्सोवा क्षेत्रों के अलावा मालवणी मालाड क्षेत्र में फ़र्ज़ी डॉक्टर्स बड़े आराम से धन कमाने के फेर में गरीब रोगियों की जेब खाली कराने के साथ ही जिंदगी से खिलवाड़ करते हैं।
क्राइम ब्रांच 9 ,11 और 12 के ज़बाज़ों की 3 टीम छापामारी के लिए बनाई गई।ब्रांच 9 ने विलेपार्ले के नेहरूनगर और बरसोवा में छापामारी कर फ़र्ज़ी डॉक्टर पकड़े तो ब्रांच नम्बर 11 और 12 ने मालाड क्षेत्र में छापा मारकर फ़र्ज़ी डॉक्टर्स पकड़े।
इन फ़र्ज़ी डॉक्टरों के नाम स्वप्न कुमार मण्डल उम्र49 साल,रामकुमार मिश्र उम्र 58 साल,शोएब अघरिया उम्र 32 साल,तुकाराम थोराट उम्र 57 साल और शेख अज़ीज़ उम्र 42 साल बताई जाती है।
ये सभी बंगाली क्लिनिक,मिश्रा क्लिनिक,अघरिया क्लिनिक,शीतल क्लिनिक के नाम से दूकान चलाते थे।पुलिस का कहना है कि इनकी क्लिनिक में इंजेक्शन और अन्य दवाएं बरामद किए जाने से स्पष्ट है कि ये इंजेक्शन भी लगाते थे।इंजेक्शन केवल रजिस्टर्ड प्रेक्टिशनर ही दे सकते हैं क्योंकि इंजेक्शन का साइड इफेक्ट तुरंत होता है।गलत इंजेक्शन प्राणलेवा हो सकता है।
बताते चलें कि इनकी डिग्रियां भी फ़र्ज़ी हैं या डिग्री है ही नहीं यह जानकारी नहीं हो सकी।डिग्री न होने पर अलग धारा लगाई जाती है और रजिस्ट्रेशन न होने पर अलग।
प्रायः ऐसे फ़र्ज़ी डॉक्टरों के बड़े अस्पतालों से सम्बन्ध रहता है।केस यदि ख़राब हुई तो ये फ़र्ज़ी डॉक्टर उनके संबंधों वाले अस्पताल में रेफर करते हैं।
पुलिस को चाहिए कि उन पांचों फ़र्ज़ी डॉक्टरों के सम्बंध वाले अस्पतालों का भी पता लगाएं क्योंकि ये अस्पताल उन्हीं फ़र्ज़ी डॉक्टरों द्वारा रेफर किये मरीज़ों से चांदी काटते हैं।
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