सुरेंद्र राजभर
मुंबई- यदि हम उत्तर प्रदेश की योगी कैबिनेट को देखते है तो योगी के सामने किसी मंत्री की नही चलती, चाहे स्वयं अमित शाह ही क्यों न हो। 2022 के यूपी विधान सभा चुनाव में जीत का श्रेय मोदी और योगी दोनो को जाता है। अब योगी खुद भी बहुत लोकप्रिय नेता बन गए है। जबकि चुनाव जीतने के लिए अब योगी की मोदी पर निर्भरता कम हुई है। लगता है, कि योगी की बढ़ती लोकप्रियता के कारण ही उन्हें मोदी के उत्तराधिकारी के रूप में देखा जा रहा है।
यह बात किसी से छिपी नहीं है कि अमित शाह ने योगी के समानांतर केशव प्रसाद मौर्य, अरविंद शर्मा, ब्रजेश पाठक और दिनेश शर्मा को खड़ा करने की कोशिश की। लेकिन योगी ने किसी की नही चलने दी। योगी की इस अहम भूमिका के कारण ही कहीं न कहीं यह बात अमित शाह को कांटे की तरह चुभती नजर आ रही है, कि योगी की लोकप्रियता को कैसे धूमिल किया जा सके!
अमित शाह भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष रहे है। फिलहाल अब केंद्रीय गृहमंत्री का पद संभाल रहे हैं। इसके साथ ही मोदी के सबसे करीबी भी हैं और इसके अलावा गुजरात लॉबी के भी हैं। जिन्होंने मोदी जी की शुरुआती दौर में जो उनका साथ दिया। उन्होंने तेज तर्रार योगी को ठिकाने लगाने के लिए सबसे पहले योगी पर नकेल कसनी शुरू कर दी। केशव प्रसाद मौर्या जो चुनाव हार गए थे। जबकि उन्हें डिप्टी सीएम बनाकर योगी पर अंकुश लगाया। दूसरे डिप्टी सीएम बृजेश पाठक को भी योगी पर कंट्रोल करने के लिए ही लाकर बिठा दिया गया है। ये दोनों भाजपाई नहीं हैं। दूसरे दलों से भागकर या भगाकर लाए गए हैं। वह भी अमित शाह के द्वारा यूपी में अपना वर्चस्व स्थापित करने के लिए।
इसके अलावा दूसरे आयातित लोगों को टिकट देकर जिताया और उन्हें मंत्री बना दिया। एक तो पार्टी में अंदरूनी लोकतंत्र की बखिया उधेड़ते हुए अमित शाह ने योगी के पर कतरने के लिए और प्रदेश संगठन पर अमित शाह अपना कब्जा करने के लिए अपने लोगों को प्रदेश अध्यक्ष और प्रभारी बना दिया। ताकि राज्य में योगी की चलने न पाए। नतीजा अब सामने आ रहे है। अमित शाह के करीबी दिनेश खाटिक जो पी डब्ल्यू डी में डिप्टी मिनिस्टर हैं और जितेन प्रसाद जो कभी कांग्रेस पार्टी मे हुआ करते थे उनको लाकर शाह ने बड़े विभाग पी डब्ल्यू डी में मिनिस्टर बना दिया, जो योगी की इच्छा के खिलाफ था। कुल मिलाकर अमित शाह ने योगी को बिना पावर का सीएम बनाने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ी है।
सीएम योगी और अमित शाह..
अब शाह के अत्यंत करीबी दिनेश खाटिक ने शाह को लेटर बम लिखकर योगी पर ट्रांसफर पोस्टिंग में भारी धन लेने के आरोप लगाते हुए उस पत्र को लीक कर दिया। क्या बिना अमित शाह के इशारे के ही पत्र लीक किया जा सकता है? यानी शाह योगी को भ्रष्ट साबित करने में तुले हुए हैं, ताकि मोदी का उत्तराधिकारी नहीं बन सकें। स्वतंत्र देव सिंह जो पहले प्रदेश अध्यक्ष थे। अब यूपी सरकार में जलशक्ति मंत्री हैं उनके ही डिप्टी मंत्री दिनेश खाटिक ने उन्हीं पर ट्रांसफर पोस्टिंग में पैसे वसूलने के आरोप लगाए हैं। दिनेश ने योगी पर कई हमले किए हैं। यह सब योगी को रोकने के लिए अमित शाह के इशारे पर किया गया।
जलशक्ति विभाग में सपा शासनकाल में धन लेकर पोस्टिंग की गई थी, जिन्हें यूपी सरकार ने बाहर का रास्ता दिखाया और नई पोस्टिंग की आवंटित की गई। जितेंद्र प्रसाद भी अमित शाह की शरण में चले गए। पी डब्ल्यू डी पर भ्रष्टाचार के आरोप लगे तो योगी ने ब्यूरोक्रेट मनोज गुप्ता जैसों को सस्पेंड कर दिया। सचिव अनिल पांडेय को दिल्ली भेज दिया गया। भ्रष्टाचार के आरोप स्वास्थ्य मंत्रालय पर भी बहुत लगे हैं। वहीं सीएम योगी ने स्वास्थ्य मंत्रालय के भ्रष्ट अधिकारियों को हटाकर जांच के आदेश दे दिए।
पीएम मोदी के बाद उत्तराधिकारी..
योगी जो एक संत हैं। आर एस एस से जुड़े हुए हैं। उत्तर प्रदेश के कई जिलों में उनका और मठ का प्रभाव है। जो अपने परिजन की मृत्यु पर गांव भीं गए। जिन्होंने अपने भाई बहनों की कभी आर्थिक सहायता नहीं की। बहन चाय पान की दुकान चलाकर पेट पालती हो, भाई सेना में है। माफियाओं का सर्वनाश करने वाले योगी ने जिस तरह यूपी में अमन कायम किया। माफियाओं के और उनके गुर्गों द्वारा जबरन वसूली, सरकारी जमीन पर कब्जा, अतिक्रमण और अवैध बनाए गए भवनों पर बुलडोजर चलवाकर मटियामेट कर दिया।
हिंदुत्व का बहुत बड़ा चेहरा बने हुए सीएम योगी से अमित शाह को पीएम बनने में बहुत खतरा अनुभव हो रहा है। एक तरफ त्याग तपस्या ईमानदार शासक खुद को प्रमाणित करने वाले योगी तो दूसरी तरफ अमित शाह पर मात्र तीन वर्षों में अपने पुत्र को हजारों करोड़ की संपत्ति अर्जित कराने और क्रिकेट संघ का अध्यक्ष बनाने के आरोप लगे हैैं। ऐसे में बेदाग सीएम योगी आदित्यनाथ अमित शाह पर हर क्षेत्र में भारी दिख रहे है।
हालांकि मोदी के बाद जनता जिन्हे अगला पीएम बनाने का सोशल मीडिया पर अभियान चला रही हो। जिसको चुनाव प्रचार में हिंदुत्व का प्रबल चेहरा बना चुकी हों। ऐसा बेदाग छवि वाला व्यक्ति अगर अगला पीएम बनता है, तो देशहित में ही होगा। कम से कम भ्रष्टाचार तो रुकेगा। अमित शाह और योगी के उलट फेर में लोकसभा का अगला चुनाव खटाई में पड़ सकता है। योगी ने स्थानीय चुनाव में परचम लहराकर सिद्ध किया है, कि वे भरतीय जनता पार्टी को चुनाव जीता सकते हैं। यूपी में भाजपा तभी जीतेगी जब नायक योगी ही होंगे। बाकी फिलहाल और कोई दूसरा चेहरा दिखाई नहीं देता।
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