सुरेंद्र राजभर
मुंबई– सोशल मीडिया में एक नहीं, कई वीडियो वायरल हो रहे हैं। जिसमें केजी और प्ले ग्रुप की टीचर और सहायिका छोटे छोटे मासूमों के साथ अमानवीय यातनाएं जैसे घसीटना,पटकना, चिकोटी काटना, पीटना, उठाकर धकेलना और मारने जैसे क्रूर व्यवहार स्पष्ट दिखाई दे, रहे हैं। (अमानवीयता का क्रूर चेहरा)
वायरल विडियोज उन माता पिता को चेतावनी के लिए जारी किए गए हैं, जो पति पत्नी नौकरी के कारणोंवश अपने मासूम बच्चे को प्ले-ग्रूप के सहारे छोड़ा करते हैं। इसके साथ ही, जो दंपत्ति पहला विकल्प ढूंढते हैं कि वे अपने मासूम बच्चों को केजी या प्ले ग्रुप में एडमिशन कराकर अपनी जिम्मेदारियों से मुक्त हो गए। जबकि दूसरा विकल्प ढूंढने वाले बहुत कम पैरेंट्स होते हैं, जिनमे बच्चों की परवरिश करने के लिए माताएं अपनी नौकरी तक छोड़ देती हैं। सभी विडियोज प्ले ग्रुप में लगे सी सी टी वी कैमरे के हैं। जैसा कि बताया गया है। (अमानवीयता का क्रूर चेहरा)
अमानवीयता का क्रूर चेहरा
ये विडियोज और न्यूज डेस्क द्वारा लिखे जाने के दावे करते हुए वायरल कर सभी मित्रों और ग्रुपों में भेजने का अनुरोध किया गया है। बताया गया है कि प्ले- ग्रुप में 28 किड्स हैं। ये विडियो राइम्स एंड रंबल्स स्पेशली फॉर प्री स्कूल एस.वी. रोड, कांदिवली वेस्ट का बताया गया है। जिसके टीचर्स जिनल,भक्ति और जूही टीचर सहित एसिस्टेंट्स की क्रूरता साफ दिखती है। जिनके खिलाफ एफआईआर लिखे जाने का दावा किया गया है।
उक्त न्यूज में कहा गया है कि जो माता पिता धन कमाने को प्रमुखता देकर अपने लाडले को प्ले ग्रुप के सहारे छोड़ते हैं उन्हें सौ बार सोचना होगा। (अमानवीयता का क्रूर चेहरा)
सोचिए, क्या आपके मासूम से बच्चे को जितना लाड प्यार आप देते हैं ये दौलत के भूखे प्ले ग्रुप वाले कैसे दे सकते हैं? जहां मासूमों को उठाकर पटका जाता हो। घसीटते हों। मारते और धक्का देकर गिराते हों, क्रूरता की सारी हदें पार करने वाली टीचरों और उनकी सहायकों को कठोरतम दंड दिए जाने की जरूरत है। दो से ढाई साल उम्र के बच्चे चंचल होते हैं। कुछ मासूम हठी भी हो सकते हैं, लेकिन क्या उनके साथ क्रूर व्यवहार करना सही है जबकि ऐसा देखकर क्रूरता को भी शर्म आ जाए। (अमानवीयता का क्रूर चेहरा)
पुलिस इस अमानवीय घटना की निष्पक्ष जांच करे। यदि टीचर्स दोषी हैं। क्रूर कर्म किया है तो उन्हें कानूनन कठोर सजा दिलाई जाए। ताकि दूसरे केजी और प्ले ग्रुप को क्रूरता करने से रोका जाए। सभी अभिभावकों को भी रोज रोज स्कूल में हुई घटना की जानकारी लेते रहना चाहिए। लगता है माता पिता बच्चों के साथ केवल रूटीन व्यवहार करते हों ऐसे में ही वे इस तरह की घटनाओं से अंजान हैं।
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