सुरेंद्र राजभर
मुंबई- आज कल आम चर्चा है, कि जो बीजेपी के साथ नहीं है, उसके दिन भर गए। उस पर जांच का शिकंजा कसा जाएगा। बरबाद कर दिया जाएगा। आज कल यही हो रहा है। कर्नाटक बीजेपी मंत्री का बेटा खुलेआम टेंडर के नाम पर घूस या कमीशन की पहली किश्त लेते समय रंगे हाथ पकड़ा गया। छापे में घर से कई करोड़ मिले। यह धड़ पकड़ ऊपर के अनुमति के बाद की गई हो सकती है। अन्यथा किसी जांच एजेंसी की हिम्मत नहीं जो भाजपा की ओर नजर उठाकर देख ले। संभव है मंत्री ने कभी बड़े बोल बोले हो।
महाराष्ट्र में शिवसेना तोड़कर शिंदे के नेतृत्व में पहले गुजरात पांच सितारा होटल और फिर हवाई जहाज से असम वहां स्वागत। फिर महाराष्ट्र में सत्ता परिवर्तन। शिवसेना में टूट या तोड़ी गई। शिंदे गुट को नाम और चुनाव चिन्ह मिलने की पटकथा दिल्ली में ही लिखी गई थी। शिवसेना कांदिवली (पूर्व) के पूर्व नगरसेवक योगेश भोइर आज तक उद्धव ठाकरे के साथ हैं। उन्होंने शिंदे के साथ प्रतिवद्धता नहीं जताई जैसा कि क्षेत्र में चर्चित हो रहा है। आय से अधिक संपत्ति मामले की बात कही जा रही है जिसकी जांच में एसीबी (ACB) जुटी हुई है।
Shivsena उद्धव के हैं योगेश भोईर
जनमानस में चर्चा है, कि योगेश के शिंदे गुट में शामिल नहीं होने के अपराध में दंडित किया जा रहा है। यहां सवाल उठता है कि क्या मुख्यमंत्री शिंदे सहित उनके सहयोगी दूध के धुले हैं क्या? जब योगेश के खिलाफ जांच बिठाई जा सकती है, तो शिंदे गुट के खिलाफ क्यों नहीं जांच की जाती? क्या इससे यह सिद्ध नहीं हो रहा कि यह जांच शिंदे के इशारे पर की जा रही है। वैसे चाहे जितनी यातना दी जाए योगेश उद्धव ठाकरे के वफादार थे, रहेंगे भी। वे गद्दारी करने के मूड में नहीं हैं। इस वफादारी का इनाम उन्हें मनपा चुनाव में पार्षद का टिकट देकर दिया जाएगा।
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