सुरेंद्र राजभर
उत्तरप्रदेश – वैसे तो चुनाव पूर्व तमाम एजेंसियां वोट पोल सर्वे कराती हैं। उन्हें मिले आंकड़ों के अनुसार सीटों का आकलन करती हैं। आरएसएस ने उत्तर प्रदेश में सर्वे कराया। यूपी में लोकसभा की अस्सी सीटें हैं जिनमें आकलन के अनुसार बीजेपी चालीस सीटें गंवाएगी। देश के सबसे बड़े और घनी आबादी वाले यूपी की अस्सी सीटों पर काबिज होने का जो ख्वाब बीजेपी पालती रही है। इस बार आगामी लोकसभा चुनाव में चालीस सीटें फसने के बड़े मायने हैं। यूपी बीजेपी का एमपी जैसा गढ़ माना जाता रहा है।
याद रहे कि जिन चालीस सीटों को आरएसएस जीती हुई मानती है वह योगी आदित्यनाथ के प्रभाव की देन है। सच तो यह है, कि आरएसएस अपने लोगों को संगठन में मुख्य पदों पर स्थापित करती है, ताकि डैमेज कंट्रोल किया जा सके।
आरएसएस की भूमिका ..
पिछले नौ वर्षों में अपनी छवि चमकाने में मोदी ने आरएसएस और उसके उपांगों की पूरी तरह से अवहेलना की है। अन्य संस्थानों पर कब्जा जमा रखे मोदी की महत्त्व कांक्षाएं कम नहीं हुई। सत्ता की सारी शक्तियां उन्होंने अपने हाथों में ले लिया। अब मोदी करिश्मा खत्म हो चुका है। इसमें आरएसएस की भी किरकिरी हुई है। मोदी करिश्मा खत्म होते देख और अपना अपमान देख आरएसएस चिंतित है। अब आरएसएस की बड़ी भूमिका है, कि वह लोकसभा चुनाव में जीत दिलाने की कोशिश करेगी।
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