इस्माईल शेख
मुंबई- 1985 का गुनाहगार 53 वर्षीय विवेक शिवाजी पालेकर को आखिरकार मुंबई क्राईम ब्रांच की यूनिट 11 ने 34 सालों बाद गिरफ्तार कर न्यायालय में पेश किया। इसके खिलाफ डीसीबी सीआईडी गु.र.क्र.474/1985 में भारतीय दंड संहिता की धारा 395, 397, 34 और 3, 25 आर्म्स एक्ट के तहत मामला दर्ज है। ये पिछले 34 सालों से फरार चल रहा था और कोर्ट लगातार इसके खिलाफ वारंट निकाल कर पुलिस को हाजिर कराने की पेशकश कर रही थी। लेकिन पुलिस के पास इसका कोई सुराग नहीं था।
मुंबई क्राईम ब्रांच यूनिट 11 के एक पुलिस अधिकारी ने जानकारी देते हुए बताया, कि ग्राम जुले, गोकुल नगर, ब्लॉक नंबर – सी / 35, प्रशांत के पास, टॉकर क्लासेस, सोलापुर का मूल निवासी 53 वर्षीय विवेक शिवाजी पालेकर के खिलाफ माननीय अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश, 25वीं अदालत, मुंबई ने वर्ष 1986 से अदालत में उपस्थित नहीं होने के कारण स्थायी गैर जमानती वारंट जारी किया था। आरोपी पूरी तरह से लापता था। पुलिस के पास न तो तस्वीरें थीं और न ही आरोपी का कोई विवरण। किसी भी तरह का कोई एक सुराग नहीं था। इसको लेकर पुलिस उपनिरीक्षक अजित कानगुड़े, एएसआई तराटे, हेड कांस्टेबल केनी व यूनिट-11 की टीम लगातार काम कर रही थी।
34 सालों बाद हुई गिरफ्तारी..
मिली जानकारी के मुताबिक पुलिस उपनिरीक्षक अजित कानगुडे और पीएन केणी को कुछ ओपन सोर्स के विश्लेषण के बाद ठीक उसी नाम और शिनाख़्त से मिलती जूलती जानकारी मिली। सूचना होने के बाद इसका एसडीआर डेटा और चुनाव कार्ड आदि से मिलाकर देखा गया। इससे टीम को पुष्टि हो गई कि वह अपने परिवार के साथ पुणे शहर में रह रहे हैं। इस विवरण की मदद से तुरंत यूनिट -11 की टीम जिसमें पीआई भरत गोन, एएसआई तराटे और एचसी केनी वरिष्ठ अधिकारियों की अनुमति के साथ पुणे के लिए रवाना हो गए। वहां लाइव लोकेशन और ह्यूमन इंटेलिजेंस की मदद से लगातार प्रयास करते हुए आरोपी को पुणे के चाकन से गिरफ्तार कर लिया। विवरण सत्यापित करने और पुष्टि करने के बाद आरोपी को यूनिट 11 के कार्यालय लाया गया और 25 फरवरी को माननीय 25वें न्यायालय, सत्र, मुंबई के समक्ष पेश किया गया।
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