नितिन तोरस्कर
मुंबई- महाराष्ट्र की शिंदे-फडणवीस सरकार ने राज्य के अनाथ बच्चों की हित में बड़ा फैसला लिया है। राज्य सरकार ने अनाथ बच्चों को शिक्षा और सरकारी नौकरियों में एक प्रतिशत का आरक्षण देने का निर्णय लिया है। सरकारी आदेश में कहा गया है कि 18 वर्ष की आयु पूरी करने से पहले माता-पिता दोनों को खो चुके बच्चे रोजगार में आरक्षण के पात्र होंगे। Orphan Children Scheme in Maharashtra
कैसे होगा आरक्षण..
अनाथों के लिए नौकरियों में आरक्षण रिक्तियों की कुल संख्या और प्रवेश के लिए बाकि जगह की संख्या के आधार पर मौके दिया जाएगा। इसके तहत अनाथों को दो श्रेणियों में विभाजित किया जाएगा। एक अनाथालयों या सरकारी संस्थानों में पंजीकृत बच्चे होंगे और दूसरे सरकारी संस्थानों से बाहर के बच्चों या रिश्तेदारों द्वारा उनकी देखभाल की जाती हो ऐसे बच्चों को शामिल किया गया है। गुरुवार को इस संबंध में सरकार ने आदेश जारी कर दिया है।
सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, कोरोना वायरस महामारी के दौरान लगभग 800 बच्चों ने अपने माता-पिता दोनों को खो दिया। इसको लेकर 2021 में तब के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे की अध्यक्षता वाली कैबिनेट ने अनाथों के आरक्षण के कोटे को मंजूरी दी थी। महाराष्ट्र के विभिन्न अनाथालयों में चार हजार से अधिक अनाथ बच्चे रहते हैं।
माता-पिता, भाई-बहन, नजदीकी रिश्तेदार, गांव, तालुका की जानकारी के बिना अनाथालयों में रहने वाले बच्चों को ‘ए’ वर्ग की श्रेणी में रखा गया है। जिन बच्चों ने माता-पिता दोनों को खो दिया है, जिसके पास कोई जाति प्रमाण पत्र नहीं है और अनाथालय में रह रहे है, उन्हें ‘बी’ वर्ग की श्रेणी में शामिल किया गया है। इसके पहले महाराष्ट्र सरकार ने अनाथ और बेघर बच्चों के लिए मासिक भत्ता बढ़ाया था।
पिछली सरकार का अनाथ बच्चों पर फैसला..
महाराष्ट्र सरकार ने बाल कल्याण योजना से राज्य में अनाथ और बेघर बच्चों के लिए मासिक भत्ता को बढ़ाकर 2500 रुपये कर दिया था। मार्च 2022 में उस वक्त की राज्य मंत्री यशोमती ठाकुर ने विधानसभा के निचले सदन में प्रश्नकाल के दौरान राज्य की महिला एवं बाल विकास मंत्री ने कहा कि राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (एनसीपीसीआर) नवंबर 2021 से राज्य में अनाथ और बेघर बच्चों का सर्वेक्षण कर रहा है।
ठाकुर ने उस वक्त कहा था, कि सर्वेक्षण के अनुसार, अब तक 5,153 बच्चे अपने परिवारों के साथ सड़कों पर रह रहे हैं, 1,266 बच्चे सड़कों पर हैं लेकिन वे झुग्गी-झोपड़ियों में रहते हैं और 39 अनाथ हैं। उन्होंने जानकारी देते हुए कहा था, कि सड़कों पर गुजारा करने वाले बच्चों को उनकी दैनिक जरूरतों के लिए ‘डे-केयर सेंटर’ में रखा जा रहा है।
मंत्री ने बताया कि राज्य सरकार ने बाल कल्याण योजना से अनाथ और बेघर बच्चों के लिए मासिक भत्ता 425 रुपये से बढ़ाकर 2500 रुपये प्रति बच्चे के हिसाब से कर दिया है। आंगनबाड़ियों के निर्माण के बारे में पूछे जाने पर ठाकुर ने यह भी जानकारी दी थी, कि 2014 से नयी आंगनवाड़ियों के लिए कोई अनुमति नहीं मिली है और अब तक प्राप्त प्रस्तावों को मंजूरी के लिए केंद्र को भेज दिया गया है। उन्होंने कहा था, कि आंगनवाड़ियों का अधूरा निर्माणकार्य एक साल में पूरा कर लिया जाएगा। अब नई शिंदे और फडण्वीस की सरकार का अनाथ बच्चों को लेकर फैसले से आंगनवाड़ियों पर भी विचार किए जाने की संभावनाओं को बढ़ा दिया है।
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