इस्माइल शेख
मुंबई- 22 अगस्त 2013 को मुंबई के शक्ति मिल कंपाउंड में महिला फ़ोटो जर्नलिस्ट के साथ हुए गैंगरेप मामले में बॉम्बे हाईकोर्ट ने तीन दोषीयों की फाँसी की सज़ा को उम्रकैद में तबदील कर दी है। पूर्व में सेशन कोर्ट ने तीनों को फाँसी और एक अन्य को उम्रकैद की सज़ा सुनाई थी।
मामले के तीनों आरोपितों ने सेशन कोर्ट के फैसले के खिलाफ हाईकोर्ट में अपील की थी। इस केस में मोहम्मद सलीम, मोहम्मद कासिम हाफ़िज़ शेख उर्फ़ कासिम बंगाली और विजय मोहन जाधव को फाँसी की सज़ा मिली थी। इसी अपराध में सिराज रहमान खान को उम्रकैद हुई थी। एक अन्य आरोपित चाँद बाबू अपराध के समय नाबालिग था।
फैसला आज गुरुवार 25 नवम्बर 2021 को सुनाया गया है। खबर के मुताबिक, अदालत ने फैसला देते हुए पश्चाताप की भावना का जिक्र किया। अदालत के अनुसार “मृत्युदंड प्रयाश्चित की भावना को खत्म कर देता है। आरोपित जीवन भर पश्चाताप के लायक हैं। वो दुबारा समाज में ऐसा अपराध भी नहीं कर पाएँगे। इसलिए दोषियों को उम्रकैद की सजा दी जानी चाहिए।”
आप को अधिक जानकारी देते हुए बता दें, कि साल 2013 में हुए उसी शक्ति मिल गैंगरेप (Shakti Mill Gang Rape) में गैंगरेप के 2 मामले हुए थे। पहला फोटोग्राफर जॉर्नलिस्ट के साथ और दूसरा फोन ऑपरेटर के साथ। दोनों ही मामलों में मुकदमा साथ ही चल रहा था। टेलीफोन ऑपरेटर केस में मोहम्मद अशफाक शेख और जाधव जे जे भी शामिल था। मोहम्मद अशफाक शेख को उम्र कैद की सज़ा मिली थी जबकि जाधव जे जे उस समय नाबालिग था। इस केस में भी मोहम्मद सलीम और मोहम्मद कासिम तथा विजय मोहन जाधव शामिल थे।
आप को यह भी बता दें, कि एक मैगज़ीन की महिला फोटो जर्नलिस्ट के साथ 22 अगस्त 2013 को शक्ति मिल कंपाउंड में शाम लगभग 6 बजकर 45 मिनट पर गैंगरेप हुआ था। शक्ति मिल कम्पाउंड मुंबई के महालक्ष्मी क्षेत्र में है। घटना के दिन शाम 6 बजे महिला पत्रकार और उसके साथी को शक्ति मिल परिसर में मौजूद आरोपितों ने रोक लिया था।
उन्होंने खुद को पुलिस बताया और फोटो से पहले अंदर आ कर अधिकारी से इजाजत लेने की बात कही। दोनों को अंदर ले जाने के बाद उन्होंने महिला पत्रकार के साथी पर हमला कर के उसे वहीं बाँध दिया था। दो घंटे तक गैंगरेप के बाद वे दोनों अपनी जान बचाकर अस्पताल पहुँचे थे।
इस मामले की जाँच के दौरान पुलिस ने 3 दिन के अंदर सभी आरोपित गिरफ्तार कर लिया था। अस्पताल से छुट्टी मिलने के बाद पीड़िता ने 4 सितंबर 2013 को आरोपितों की पहचान की। इस बीच 3 सितंबर 2013 को एक और पीड़िता शिकायत लोकर सामने आई। तब 19 वर्षीय टेलीफोन ऑपरेटर ने 31 जुलाई 2013 को अपने साथ उसी शक्ति मिल परिसर में 5 आरोपितों द्वारा गैंगरेप होना बताया था। इन पाँचों में से तीन को पुलिस पहले ही महिला जर्नलिस्ट मामले में गिरफ्तार कर चुकी थी। इन मामलों की जाँच मुंबई पुलिस की क्राइम ब्रान्च यूनिट को सौंपी गई थी।
19 सितंबर 2013 को मुंबई क्राइम ब्रांच ने अदालत में आरोपितों के विरुद्ध लगभग 600 पन्ने की चार्जशीट दाखिल की। इस केस का ट्रायल 14 अक्टूबर 2013 को शुरू हुआ। इस दौरान पीड़िता और गवाह ने आरोपितों को अदालत में पहचाना। 4 अप्रैल 2014 को बॉम्बे सेशन कोर्ट ने तीन आरोपितों को फाँसी और बाकियों को आजीवन कारावास की सज़ा सुनाई थी। फाँसी की सज़ा उन्ही तीन आरोपितों को दी थी जो महिला फोटो जर्नलिस्ट और टेलीफोन ऑपरेटर दोनों गैंगरेप में शामिल रहे थे।
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