Maharashtra: राज्य सरकार की ओर से जारी परिपत्रक में आपत्तिजनक “प्रतीकात्मक कुर्बानी” शब्द को वापस लेने की मांग!!

नईम दळवी
रायगड-
कोविड-19 के तहत परिस्थितियों का खयाल करते हुए महाराष्ट्र भर में राज्य की महाविकास अघाडी सरकार ने पूरे राज्य के त्योहारों, सांस्कृतिक एवं सामाजिक कार्यक्रमों पर पाबंदी का ऐलान किया हुआ है! साथ ही अनलॉक के तहत राज्य को फिर से गति देने के लिए एवं जरुरी विविध धर्मों के सांस्कृतिक महत्व को ध्यान में रखते हुए कुछ नियमावली लोगों को पेश कर उसका पालन और अनुपालन करने के सरकारी निर्देश दिए है! बता दें की 1अगस्त को ईद उल-अज़हा की नमाज होने जा रही है! लोगों को इसबार भी ईद की नमाज घरोंं मेें ही रह कर पढ़ने का हुक्म दिया गया है! जब की ईद की विशेष नमाज होने के कारण इसकी अदायगी नही हो सकती!

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जिसमें आने वाले ईद उल-अज़हा (बकरा ईद) के सिलसिले पर सरकारी फरमान में “प्रतीकात्मक कुर्बानी” शब्द का उपयोग किया गया है! इसका रायगड कांग्रेस अल्पसंख्यक विभाग के जिला सचिव सफदर गजगे ने विरोध करते हुए राज्य के मुख्यमंत्री से ईद उल-अज़हा पर जारी आदेश को वापस लेने की मांग की है!

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महाराष्ट्र सरकार की ओर से ईद उल-अज़हा (बकरा ईद) पर गृहमंत्रालय की ओर से प्रसिद्ध परिपत्रक क्रमांक डी आय एस /0620 /प्र.क्र. 91/ विशा 1 ब. (दि.17.07.2020) में ईद उल-अज़हा पर किन चीजों पर लोगों को ध्यान देना चाहिए इसके बारे में प्रकाशित किया गया है! लेकिन इसी परिपत्र के क्रमांक 3 में कहा गया है कि “हो सके तो प्रतीकात्मक कुर्बानी करें” इस पर मुस्लिम समाज के लोग सवाल करने लगे हैं! आखिर “प्रतीकात्मक कुर्बानी” क्या होती है? सरकार इसका स्पष्टीकरण दें और “प्रतीकात्मक कुर्बानी” का आदेश वापस लें! राज्य के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे से कांग्रेसी नेता सफदर गजगे ने की है!

सफदर गजगे – (रायगड जिला सचिव) कांग्रेस अल्पसंख्यक

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उन्होंने और अधिक जानकारी देते हुए बताया, कि “प्रतीकात्मक कुर्बानी” करने को कहने वाली सरकार के नीतियों पर हमें शक हो रहा है की सरकार हमारे धार्मिक विधियों में हस्तक्षेप कर रही है! ऐसा मुस्लिम समाज के सभी लोगों कह रहे है! लोगों का कहना है की, सोशल डिंस्टेंसिग और बाकी नियमें हमें मान्य है! जिसका मुस्लिम समाज कठोरता के साथ पालन भी कर रहा है!

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लेकिन समाज के किसी भी विधियों में सरकारी हस्तक्षेप नहीं होना चाहिए! ऐसी सभी लोगों की सरकार से अपेक्षा है! साथ ही ईद उल-अज़हा (बकरा ईद) पर जारी परिपत्रक में “प्रतीकात्मक कुर्बानी” के शब्द को वापस लिया जाय और आने वाले समय में कभी भी धार्मिक विधियों के मामले में प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष हस्तक्षेप नहीं होना चाहिए इसका खयाल रखा जाए! ऐसा राज्य के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे और महाविकास अघाडी सरकार से निवेदन करते हुए रायगड़ कांग्रेस अल्पसंख्यक के जिला सचिव सफदर गजगे ने कहा है!

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