Indian border पर तनाव, कश्मीरयों मे खौफ का माहौल

दिल्ली – जम्मू कश्मीर के नियंत्रण रेखा पर पांच अगस्त के बाद से ही तनाव की स्थिति बनी हुई है, जो अब भी बरकरार है! भारत सरकार ने पांच अगस्त को ही जम्मू कश्मीर को ख़ास दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 के अधिकांश प्रावधानों को हटाने का फ़ैसला किया था!

सेना का कहना है कि बीते पांच हफ़्तों से करीब 30 बार युद्धविराम का उल्लंघन हुआ है! बीते दो-तीन दिन से राजौरी और पुंछ के मजकूट, सुंदरबनी और बालाकोट सेक्टर मे गोलीबारी हुई! जिसके बाद वहां से काफी लोग पलायन करने पर मजबूर हो गए है! गोलीबारी मे कुछ बच्चे भी स्कूल मे फंस गए थे, अधिकारियों ने कुछ टुकड़ियों को भेजकर उन्हें सही सलामत निकाला! हालांकि कश्मीर के बॉर्डर इलाके मे गोलीबारी कम हुई है जब कि, जम्मू के पुंछ और राजौरी का सीमावर्ती इलाकों मे ज्यादा तनाव का माहौल बना हुआ है!

Advertisements

गिरफ्तारी का पैटर्न
यहां क्राईम कंट्रोल के लिए गिरफ्तारी का जो पैटर्न बरसों से चला आ रहा है वही यहां के रहीवासीयों के लिए मुसीबत का सबब बना हुआ है! अगर बात करें कश्मीर घाटी की तो ये कहना मुश्किल ही नही बल्कि असंभव है कि धारा 370 के हटाए जाने के बाद गिरफ़्तारी मे कमी आई है या नही! दरअसल, गिरफ़्तारी का जो पैटर्न है, उसे लेकर असमंजस है! जैसे किसी मोहल्ले मे एक या दो पथराव की घटनाएं घटती हैं उसके बाद एक अभियान शुरू होता है! कुछ युवाओं को थाने मे बुलाकर वहीं हिरासत मे ले लिया जाता है! प्रशासन इसे गिरफ़्तारी की जगह काउंसलिंग बताता है! जिन लोगों को लेकर ये आशंका होती है कि वो किसी प्रदर्शन मे हिस्सा लेंगे, उनको बुलाकर दो दिन, चार दिन या दस दिन रखा जाता है! इस कार्रवाई से एक अजीब सी स्थिति पैदा हो जाती है! उनके माता-पिता बहुत ज्यादा घबरा जाते हैं क्योंकि अक्सर ऐसे मे परिजनों को मुलाकात की अनुमति भी नहीं दी जाती!

घाटी का हाल
शोपियां ज़िले में ऐसा ही एक मामला शनिवार को भी हुआ! यहां बड़ी तादाद में युवाओं को उठाया गया है लेकिन प्रशासन का कहना है कि उनके माता-पिता या उनके मोहल्ले के बड़े बुजुर्गों के साथ बात करके उनकी काउंसलिंग की जा रही है! इन लोगों ने डिप्टी कमिश्नर के दफ़्तर के बाहर धरना दिया और मांग की कि उनके बच्चों को रिहा किया जाए!

कश्मीर घाटी में खामोशी तो है! खामोशी को ही अगर शांति कहते हैं तो वो यहां है! लेकिन आम जनजीवन को जिस तरह से पटरी पर आना चाहिए था, वो नहीं है! अभी भी हड़ताल है! व्यापारिक गतिविधियां नहीं यानी ठप्प पड़ा हुआ है! छात्र-छात्राएं अभी भी स्कूल नहीं जा रहे हैं! बच्चों को सोमवार से स्कूलों मे बढ़ाने का प्रयास किया जा रहा है, पर पिछले पांच हफ्तों के नज़ारों पर ध्यान दें तो प्रशासन के हाथ विफलता ही नज़र आ रही है, हां टिचर्स अपनी उपस्थिति दर्ज करा रहे हैं! इंटरनेट और मोबाइल फ़ोन पर लगातार पाबंदी बनी हुई है! ये सारे संकेत अगर सामान्य स्थिति और शांति के हैं और अगर पथराव न होना या किसी का मारा ना जाना शांति है तो फिर यहां हालात ठीक हैं!


Discover more from  

Subscribe to get the latest posts sent to your email.

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Advertisements
Scroll to Top

Discover more from  

Subscribe now to keep reading and get access to the full archive.

Continue reading