मुंबई में 1 अगस्त से डोर-टू-डोर कोविड -19 वैक्सीनेशन अभियान

महाराष्ट्र सरकार ने मुंबई हाई कोर्ट को बताया नीति के अनुसार, जो लोग पूरी तरह से बिस्तर पर पड़े हैं, गतिहीन हैं या किसी लाइलाज बीमारी से पीड़ित हैं, वे घरेलू टीकाकरण के लिए पात्र होंगे।

विशेष संवाददाता
मुंबई-
महाराष्ट्र सरकार और मुंबई नागरिक निकाय ने मंगलवार को मुंबई हाईकोर्ट को बताया कि वे 1 अगस्त से पायलट प्रोजेक्ट के रूप में शहर में बिस्तर पर पड़े और चलने- फिरने में असमर्थ लोगों के लिए कोविड -19 के खिलाफ घर-घर जाकर डोर-टू-डोर वैक्सीनेशन शुरू करेंगे।

अदालत ने संतोष व्यक्त करते हुए कहा, “केंद्र सरकार इस अवसर पर नहीं उठी। हालांकि, राज्य सरकार इस अवसर पर आगे बढ़ी है और आज सुरंग के अंत में कुछ प्रकाश है।”

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राज्य सरकार की ओर से पेश एडवोकेट आशुतोष कुंभकोनी ने मुख्य न्यायाधीश दीपांकर दत्ता और न्यायमूर्ति जीएस कुलकर्णी की खंडपीठ को बताया कि, “शुरू में योजना पुणे में घरेलू टीकाकरण अभियान शुरू करने की थी, लेकिन सरकार ने एसे लोगों से मिली प्रतिक्रिया को देखते हुए इसे बदलकर मुंबई कर दिया गया है।”

एडवोकेट आशुतोष कुंभकोनी ने अदालत को बताया कि, “सरकार को मुंबई में उन लोगों से 3,505 प्रतिक्रियाएं मिली हैं जो बिस्तर पर पड़े हैं या चल फिर नहीं सकते जो इन कारणों की वजह से वैक्सीनेशन सैंटरों तक की यात्रा नहीं कर सकते।” एडवोकेट ने अधिक जानकारी में साफ करते हुए कहा कि, “इस आशय की एक नीति सरकार द्वारा जारी की जाएगी, जो घरेलू टीकाकरण अभियान 1 अगस्त से मुंबई में शुरू होगा। नीति के अनुसार, जो लोग पूरी तरह से बिस्तर पर पड़े हैं, चलने फिरने में असमर्थ हैं या किसी लाइलाज बीमारी से पीड़ित हैं, वे घरेलू टीकाकरण के लिए पात्र होंगे।”

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अदालत ने कहा कि, “सरकार और बृहन्मुंबई महानगर पालिका (BMC) एक अगस्त से बिस्तर पर पड़े और चलने फिरने में असमर्थ लोगों के लिए घरेलू टीकाकरण अभियान शुरू कर सकते हैं और इसकी प्रगति पर छह अगस्त तक एक स्थिति रिपोर्ट दाखिल की जाए।” अदालत ने उम्मीद जाताते हुए यह भी कहा कि, “हमें उम्मीद और भरोसा है कि राज्य सरकार और बृहन्मुंबई महानगर पालिका (BMC) यह सुनिश्चित करने में कोई कसर नहीं छोड़ेंगे कि बिस्तर पर पड़े लोगों और गतिहीन व्यक्तियों को भी कोविड -19 वैक्सीन का लाभ मिलेगा।”

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हाई कोर्ट ने कहा कि, “होम इनोक्यूलेशन ड्राइव में बिस्तर पर पड़े और चलने फिरने में असमर्थ लोग भी शामिल होंगे, जो किसी तरह वैक्सीन की पहली खुराक पाने में कामयाब रहे हैं।” एडवोकेट आशुतोष कुंभकोनी ने कहा कि, “उन्हें शामिल किया जाएगा और टीके मुफ्त होंगे, जैसा कि सभी सरकारी और नागरिक अस्पतालों में किया जा रहा है।”

अदालत दो एडवोकेट द्वारा दायर एक याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें केंद्र और राज्य सरकारों को 75 वर्ष से अधिक आयु के वरिष्ठ नागरिकों, विशेष रूप से विकलांग लोगों और बिस्तर पर रहने वालों के लिए कोविड -19 के खिलाफ घर-घर जाकर टीकाकरण शुरू करने का निर्देश देने की मांग की गई थी। जो किसी कारणों से ग्रस्त होने के कारण, टीकाकरण केंद्रों पर जाने में असमर्थ।


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