कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने राफेल फैसले पर बयान को लेकर बीजेपी सांसद मीनाक्षी लेखी द्वारा दायर अवमानना याचिका के संबंध में सुप्रीम कोर्ट में अपना जवाब दाखिल किया।
अपने जवाब में राहुल गांधी ने कहा था कि उन्होंने चुनाव प्रचार के आवेश में आकर वह बयान दिया था जिसके लिए वह खेद जताते हैं। राहुल ने कहा कि उनका कोर्ट की अवमानना करने का कोई इरादा नहीं था। सुप्रीम कोर्ट मंगलवार को अब इस मामले की सुनवाई करेगा।
पिछले सोमवार को हुई अवमानना याचिका की सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने कहा कि कोर्ट ने इस तरह का बयान कभी नहीं दिया है और हम इस मसले पर सफाई मांगेंगे। कोर्ट ने राहुल गांधी को निर्देश दिया कि वह ‘चौकीदार नरेंद्र मोदी चोर हैं’ संबंधी अपनी टिप्पणी को राफेल मामले में अदालत के फैसले से ‘गलत तरह से’ जोड़ने पर 22 अप्रैल तक स्पष्टीकरण दें।
ऐसे मे राहुल गांधी का माफिनामा पेश करना राजनीति मे देश की जनता को गुमराह करना आम बात हो गई है, इस से यह स्पष्ट होता है की यह राजनैतिक पार्टीयों के मुखिया अपने मकसद को पाने के लिए बयानबाजी मे कुछ भी कह कर लोगों की सहानुभूति हासिल कर सकते हैं वो नरेंद्र मोदी के कालाधन वापसी, बेरोजगारी या भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाने वाले जुमलेबाजी हो या चौकीदार चोर वाला वॉयरल शब्द कुछ भी हो सकता है लोगों को नेता का चयन करना मुश्किल हो गया है!
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