मुंबई की वेस्टर्न सबर्ब्स में कोस्टल रोड नॉर्थ, माध–वर्सोवा ब्रिज व अन्य लिंक रोड्स के लिए BMC ने 346 हेक्टेयर ज़मीन अधिग्रहण का प्रस्ताव दिया है — जानिए पूरी जानकारी, क्या बन रहा है, क्या चुनौतियाँ हैं।
मुंबई: बृहन्मुंबई महापालिका (BMC) वेस्टर्न उपनगरों में आने वाले बड़े पब्लिक-इन्फ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स के लिए 346 हेक्टेयर ज़मीन अधिग्रहित करने जा रही है। इस ज़मीन का इस्तेमाल 20 किमी लंबी Mumbai Coastal Road Project‑North (MCRP-North) (वर्सोवा–भायंदर लिंक रोड) के एलाइन्मेंट, इंटरचेंज, एक्सेस रोड्स, वर्क स्पेस और डेवलपमेंट प्लान रोड्स के लिए होगा। इसके साथ ही 2.06 किमी लंबी केबल-स्टे ब्रिज Madh–Versova Bridge और अन्य सबर्ब लिंक रोड्स पर भी काम चल रहा है।
क्या बन रहा है / प्रोजेक्ट का विवरण
MCRP-North (वर्सोवा–भायंदर लिंक)
- पहली फेज पूरी होने के बाद अब MCRP-North में करीब 20 किमी लंबी सड़क बनाई जा रही है।
- अनुमानित लागत लगभग ₹16,621 करोड़ है।
- इसका उद्देश्य वर्तमान में 90-120 मिनट चलने वाली यात्रा को मात्र 15-20 मिनट में बदलना है।
- इसके अलावा इस सड़क से 55% तक कार्बन उत्सर्जन कम होने का लक्ष्य है।
अन्य लिंक ब्रिज व सबर्ब कनेक्शन
- माध–वर्सोवा ब्रिज (लगभग 2.06 किमी) प्रस्तावित है, लागत करीब ₹3,990 करोड़।
- एक अन्य लिंक रोड, अंधेरी–मालाड कनेक्शन लगभग ₹2,200 करोड़ की लागत से 2028 तक पूरा होगा।
- इसके अतिरिक्त मार्वे–मनोरी ब्रिज भी प्रस्तावित है, जिससे 29 किमी की दूरी सिर्फ 1.5 किमी में घट जाएगी।
ज़मीन अधिग्रहण व क्लियरेंस की चुनौतियाँ
- इन सभी प्रोजेक्ट्स के लिए BMC को कुल 346 हेक्टेयर ज़मीन चाहिए, जिसमें सड़क एलाइन्मेंट, इंटरचेंज, एक्सेस रोड और विकास-रोड्स शामिल हैं।
- सिर्फ MCRP-North के लिए ही करीब 200 हेक्टेयर ज़मीन आवश्यक है।
- BMC ने ₹5.24 करोड़ के टेंडर के माध्यम से एक कंसल्टेंट नियुक्त करने के लिए निविदा आमंत्रित की है, जो ज़मीन अधिग्रहण और क्लियरेंस कार्य करेगा। सबमिशन की आखिरी तारीख 17 नवंबर है।
- पर्यावरणीय व क्रूज़ जोन (CRZ) नियम, मैंग्रोव संरक्षण जैसी चुनौतियाँ मौजूद हैं। उदाहरण के लिए MCRP-North के लिए मैंग्रोव व कुछ सरकारी ज़मीनों के हस्तांतरण संबंधी क्लियरेंस मिल चुकी है।
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क्यों महत्वपूर्ण है ये बदलाव?
- मुंबई के वेस्टर्न उपनगरों में ट्रैफिक और यात्रा समय बड़ी समस्या है — ये प्रोजेक्ट्स उन बॉटलनेक्स को दूर करेंगे।
- बेहतर कनेक्टिविटी से वेस्टर्न एक्सप्रेस हाईवे, मलाड, अंधेरी, वर्सोवा आदि इलाकों के लिए लाभदायक होगा।
- भूमि विकास व सड़क नेटवर्क बेहतर होने से आसपास के रियल एस्टेट एवं व्यावसायिक क्षेत्रों को भी बढ़ावा मिलेगा।
- पर्यावरण की दृष्टि से कार्बन उत्सर्जन कम करना व सड़क-यात्रा सुरक्षित व तेज़ बनाना उद्देश्य है।
क्या देखना है आगे?
- ज़मीन अधिग्रहण की प्रक्रिया पर ध्यान रहेगा — सरकारी व गैर-सरकारी ज़मीन, मैंग्रोव ज़मीन व CRZ ज़ोन जैसी वरीयताएँ।
- पर्यावरणीय क्लियरेंस व कोर्ट ऑर्डर समय-समय पर मुद्दा बने रह सकते हैं।
- कार्यान्वयन की गति और समय-सीमा (2028 तक कई लिंक रोड्स की समयसीमा) चेक होगी।
- स्थानीय समुदायों, मछुआरों, वर्सोवा-कोलीवाडा आदि पर असर का ध्यान देना जरूरत है।
FAQ (अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न)
Q1. 346 हेक्टेयर का ये आंकड़ा क्या पूरी परियोजना के लिए है?
A1. हाँ — यह सभी प्रस्तावित प्रोजेक्ट्स (MCRP-North + लिंक ब्रिज व एक्सेस रोड्स) के लिए कुल ज़मीन की आवश्यकता को दर्शाता है।
Q2. इस प्रक्रिया में पर्यावरण को लेकर क्या सावधानी ली जा रही है?
A2. मैंग्रोव व CRZ ज़ोन की क्लियरेंस मिल चुकी है — उदाहरण के लिए MCRP-North के लिए मदती लैंड व मैंग्रोव डायवर्शन के लिए इन-प्रिंसिपल ऑप्रूवल मिला है।
Q3. इन कार्यों की समयसीमा क्या है?
A3. कुछ लिंक रोड्स व ब्रिज्स की लक्ष्य समयसीमा 2028 तक रखी गयी है। MCRP-North के लिए भी 2028 तक पूरा करने का लक्ष्य है।
Q4. स्थानीय लोगों के लिए क्या फायदे होंगे?
A4. ट्रैफिक कम होगा, यात्रा समय घटेगा, वेस्टर्न उपनगरों में कनेक्टिविटी बेहतर होगी — साथ ही आसपास के इलाकों में विकास व रोजगार के अवसर बढ़ेंगे।
Q5. लागत कितनी अनुमानित है?
A5. उदाहरण के लिए MCRP-North का अनुमानित बजट लगभग ₹16,621 करोड़ है, माध-वर्सोवा ब्रिज का अनुमान लगभग ₹3,990 करोड़ है।
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