वी बी माणिक
नई दिल्ली– देश की राजनीति में सेमीफाइनल मैच का बिगुल बज चुका है। इसके तहत देश के पाँच राज्यो में सभी दलों के रण बाकुरो की टोली ताल ठोकना शुरू कर दिया है। इस चुनावी खेल में कौन पहलवान जीतेगा? कौन हारेगा? ये समय बतायेगा। इस समय जाति गणना की माँग जोरो पर चल रही है। पर अधिकांश नेता अपनी जाति के बारे में कुछ नही बोल रहे है।
देश में महिलाओ के साथ बलात्कार की घटना में काफी बढ़ोतरी हुई है। जिस पर राज्य सरकारें चुप्पी साध कर बैठी है। सुरक्षा व्यवस्था पूरी तरह समाप्ति की ओर बढ़ती जा रही है। रणबाँकुरों की ओर से टिकट के लिये जोर आजमाइश की जा रही है। चाहे वह कितना बड़ा अपराधी हो, इसको पार्टियां नही देख रही है। जितने दोषी राजनीतिक पार्टियां है उससे ज्यादा दोषी चुनाव आयोग है।
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देश के पांच राज्यों में चुनाव
मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार से देश की जनता कई माध्यमों सवाल करती आ रही है, कि क्योंकि चुनाव आयोग इस बात की जाँच क्यों नही करता कि जो भी नेता चुनाव लड़ रहा है उस के खिलाफ आपराधिक कितने केस दर्ज है? न्यायालय में कितने में दोषी पाया गया है और कितने केस विचाराधीन है? अगर है तो चुनाव लड़ने के योग्य नही है। चुनाव आयोग एकदम निष्पक्ष नही है क्योंकि चुनाव आयोग से रिटायर्ड होने के बाद ये भी किसी राजनीतिक पार्टी से चुनाव लड़कर या पीछे के रास्ते से लोकसभा-राज्यसभा में पहुँच जाते है। और आजीवन मलाई खाते है।
पांचो राज्यों में कुल चार चरणों में वोटिंग होगी। सिर्फ छत्तीसगढ़ में दो चरणों में मतदान होंगे बाकी राज्यों में एक ही चरण में वोट डाले जाएंगे। शुरुआत मिजोरम से 7 नवंबर को होगी, जबकि आखिरी चरण में तेलंगाना विधानसभा के लिए 30 नवंबर को वोट डाले जाएंगे – सभी राज्यों में मतगणना 3 नवंबर को होगी।
अब राजीनीतिक पार्टीयो के पहलवानो मे से ये पहलवान चुनाव जीतने के बाद पाँच वर्ष तक अपने एरिया में अपने चमचो के साथ केवल दहशत पैदा करना। पुलिस थानों को अपनी रखैल बनाकर रखना। दुकानदारों व्यापारियों और अन्य कारोबारियों से अवैध धन उगाही का काम करते है और ठेकेदारों से हर कार्य का कमीशन लेना, सरकारी दफ्तरों में वसूली करना, कर्मचारियों को धमकी देना, यही काम करते है। चुनाव आयोग इसकी जाँच क्यों नही करवाता है? बहुत गरीब वर्ग इन विधायकों द्वारा ठगी के शिकार हुए होते है इस पर कोई कार्रवाई नही होती है। अब देखना है, कि 3 दिसंबर को इस सेमीफाइनल मुकाबले का क्या रिजल्ट आता है।
चुनाव तारीखों की घोषणा तो अब हुई है, लेकिन राजनीतिक पार्टियां काफी पहले से ही चुनाव कैंपेन शुरू कर चुकी हैं। अब तक का हाल तो यही बता रहा है कि 3 राज्यों राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में बीजेपी और कांग्रेस के बीच सीधी लड़ाई है, जबकि तेलंगाना और मिजोरम में क्षेत्रीय दलों का दबदबा है।
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