इस्माइल शेख
मुंबई– विवादित मुंबई शहर के पूर्व पुलिस कमिश्नर परम बीर सिंह के खिलाफ एक और मामला दर्ज किया गया है। इतना ही नहीं, इनके साथ मामले में कई वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों को आरोपित किया गया है। इनमें डीसीपी अकबर पठान भी शामिल हैं। श्याम सुंदर अग्रवाल की शिकायत पर मामला दर्ज किया गया है। अग्रवाल ने दावा किया है कि आरोपियों ने उनसे केस वापस लेने के लिए फिरौती की मांग की है। (परम बीर सिंह, डीसीपी अकबर पठान पर मरीन ड्राइव पुलिस थाना मुंबई महाराष्ट्र में फिरौती का मामला दर्ज)
परमबीर सिंह सहित कुछ पर जबरन वसूली और धोखाधड़ी का आरोप लगाया गया है। मुंबई के मरीन ड्राइव पुलिस स्टेशन में मामला दर्ज किया गया है। दोनों को इस मामले में गिरफ्तार किए जाने की जानकारी प्राप्त हो रही है।
परमबीर सिंह और अकबर पठान समेत वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों पर मामला वापस लेने के लिए बिल्डर से फिरौती मांगने का आरोप लगाया गया है। इसलिए परमबीर सिंह के बाद अब और बाकी पुलिस अधिकारियों की मुश्किलें बढ़ गई हैं।
मामले की अधिक जानकारी के मुताबिक, इस केस में संजय पुनमिया और सुनील जैन के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है, दोनों पर परमबीर के लिए फिरौती मांगने का आरोप है।
परमबीर सिंह और अनिल देशमुख मामला
मुंबई के पूर्व पुलिस कमिश्नर परमबीर सिंह ने मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे और राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी को पत्र लिखकर आरोप लगाया था कि पूर्व गृह मंत्री अनिल देशमुख ने प्रति माह 100 करोड़ रुपये की वसूली का आदेश दिया था। आप को बता दें कि, समिति देशमुख या उनके कार्यालय में किसी भी अधिकारी द्वारा किए गए किसी भी गैर-व्यवहार या अपराध की जांच करेगी।
फडणवीस ने क्यों की आपत्ति?
राज्य के विपक्षी नेता देवेंद्र फडणवीस ने परमबीर सिंह द्वारा गृह मंत्री अनिल देशमुख के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोपों की जांच के लिए नियुक्त न्यायिक समिति को “शुद्ध धूल” करार दिया था। फडणवीस ने सवाल उठाया था कि उच्च न्यायालय के एक सेवानिवृत्त न्यायाधीश (उस वक्त के पदधारी), जबकि उनके पास कोई अधिकार ही नहीं तो, गृह मंत्री के खिलाफ जांच कैसे करेंगे।
राज्य के विरोधी पक्ष नेता देवेंद्र फडणवीस ने सवाल करते हुए कहा था कि, राज्य के पूर्व गृहमंत्री अनिल देशमुख के खिलाफ जांच करने वाली चांदीवाल समिति का गठन कमिशन्स ऑफ इन्क्वायरी एक्ट 1952 के तहत मामले गठन नहीं किया गया था और न ही उन्हें इस अधिनियम के तहत अधिकार प्राप्त हैं।
इस समिति को एक साधारण समिति का दर्जा प्राप्त है और इसे न्यायिक आयोग की शक्तियां नहीं दी गई हैं। तो यह समिति एक “शुद्ध कूड़ेदान” है। देवेंद्र फडणवीस ने कहा था कि मामले में आरोपों की तीव्रता और गंभीरता को देखते हुए इससे कोई फायदा नहीं होगा।
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