इस्माईल शेख
मुंबई- जापान अंतरराष्ट्रीय सहयोग एजेंसी (जीका) मुंबई-अहमदाबाद हाईस्पीड रेल (एमएएचएसआर) के निर्माण की चौथी किस्त के रूप में भारत को 18,750 करोड़ रुपए का आधिकारिक विकास सहायता (ओडीए) लोन उपलब्ध कराएगा। जीका ने इस बारे में भारत के साथ करार पर हस्ताक्षर किए हैं! जीका की ओर से बुधवार को जारी बयान में कहा गया, कि यह उसके इतिहास में किसी एक परियोजना के लिए स्वीकृत सर्वाधिक कर्ज राशि है। देश की आम जनता यहां असमंजस में है, देश बढ़ रहा है या कर्जे में डूब रहा है?
देश बढ़ रहा है या कर्जे में डूब रहा है?
बयान के मुताबिक, जीका एमएएचएसआर परियोजना के लिए ओडीए ऋण के जरिये वर्ष 2017 से ही सहयोग दे रहा है। उसने इस परियोजना के लिए कुल 40,625 करोड़ रुपए का कर्ज देने की प्रतिबद्धता जताई है। इसके अलावा जापानी एजेंसी व्यवहार्यता अध्ययन, मूल और विस्तृत डिजाइन, जापान में प्रशिक्षण और इस परियोजना की क्रियान्वयन एजेंसी नेशनल हाई स्पीड रेल कॉरपोरेशन लि. (एनएचएसआरसीएल) को जापानी विशेषज्ञता समर्थन के रूप में तकनीकी सहयोग दे रही है।
इस परियोजना का मकसद मुंबई और अहमदाबाद के बीच जापान की शिन्कानसेन प्रौद्योगिकी (बुलेट ट्रेन भी कहा जाता है) के इस्तेमाल से द्रुत गति की रेल का निर्माण करना है। इस मौके पर जीका इंडिया के मुख्य प्रतिनिधि साइतो मित्सुनोरी ने कहा, कि एमएएचएसआर परियोजना जापान-भारत सहयोग का प्रतीक है। अब भी आम जनता इसकों लेकर सवाल कर रहे हैं, कि क्या ये इतना जरुरी है। जो देश को कर्ज लेकर ऐसी जरुरतों को पूरा करना पड़ रहा है।
जब कि इसकी कमाई के रुप में भारतीय धन तो आखिरकार विदेश ही जाएगा। लेकिन आम लोगों के दिमाग से देश नहीं चलता। सरकार को देश चलाने के लिए ऐसे परियोजनाओं को लाना और करना पड़ता है। क्यों कि देश को आखिर उन्हें चलाना है। फिलहाल आकड़े अब भी साफ नहीं है, कि लोग कह रहे हैं भारत वर्ष विश्व स्तर पर बहोत आगे बढ़ गया है! लेकिन हकीकत है, कि देश अगले कई सौ सालों के लिए कर्ज में डूब गया है।
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