इस्माइल शेख
मुंबई- बॉम्बे हाईकोर्ट ने एक मामले में फैसला सुनाया है कि जो पत्नी बिना उचित तलाख लिए अपने पति का घर छोड़ देती है, उसे दोबारा उस घर में रहने का कोई अधिकार नहीं। (Bombay High Court Judgement)
अदालत ने फैसला सुनाया कि एक पत्नी जो अपने दम पर घर छोड़ चुकी है, वह फिर से अपने ससुर के घर में नहीं रह सकती, भले ही तलाख की प्रक्रिया बाकी हो या, प्रक्रिया ठीक से शुरू नहीं हुई है। (Family Court Judgement)
कब हुआ Divorce केस?
सन् 2015 महाराष्ट्र के लातूर में एक शादीशुदा जोड़े का मामला हाईकोर्ट में सुनवाई के लिए आया। शादी के डेढ़ साल बाद उनके बीच बहस होने लगी और पत्नी ने खुद ही घर से बाहर निकलने का फैसला किया। इसके बाद पति और ससुराल वालों ने तलाख के लिए अर्जी दी। उसके बाद करीब तीन साल बाद पत्नी अपने ससुर के घर लौट आई। हालांकि उसके ससुराल पक्ष और पति ने उसके घर में रहने का कोर्ट में विरोध किया। (Bombay High Court Family Judgement)
इसमें पत्नी ने सिविल कोर्ट में अर्जी दाखिल की। अदालत ने उसे अपने ससुर के घर में रहने की इजाजत दे दी। उनका अभी तक कानूनी रूप से तलाक नहीं हुआ है। इसलिए पत्नी अपने ससुर के घर में रह सकती है। ऐसा कोर्ट ने निर्देश दिया था कि वहां पत्नी द्वारा पानी, बिजली आपूर्ति, बाथरूम आदि का इस्तेमाल किया जा सकता है। फैसले के खिलाफ सास-ससुर ने बॉम्बे हाईकोर्ट में अपील याचिका दायर की। (Mumbai News)
यह मामला बॉम्बे हाईकोर्ट में न्यायाधीश संदीप कुमार मोरे के समक्ष सुनवाई के लिए पहुंच गया। कोर्ट ने ससुराल पक्ष की याचिका को मंजूर कर लिया। पत्नी ससुर का घर अकेले छोड़कर चली गई है। उस समय तलाख की कार्यवाही शुरू नहीं की गई थी। उसने स्वेच्छा से घर छोड़ दिया। इसलिए अब तलाख की प्रक्रिया शुरू होने के बाद वह अपने ससुर के घर में नहीं रह सकती है, कोर्ट ने सफाई दी। (Mumbai Bombay High Court Court Family Judgement)
Divorce प्रक्रिया किराया देने का निर्देश
इस बात का कोई सबूत नहीं है कि बहू को उसकी सास या उसके पति ने जबरन घर से निकाल दिया था। इसलिए कोर्ट ने कहा है कि तलाख की प्रक्रिया लंबित होने पर भी उसे अपने ससुर के घर में रहने का अधिकार नहीं मिल सकता। अदालत ने यह भी निर्देश दिया कि पति को उसके घर का किराया देना चाहिए। (Bombay High Court Family Judgement Mumbai)
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