मुंबई– अडानी ग्रुप के प्रमोटर और देश के दूसरे सबसे रईस व्यक्ति गौतम अडानी को ताज़ा सबसे बड़ा घाटा हुआ है। सोमवार को भारतीय शेयर बाजार के खुलते ही एक घंटे के भीतर 73 हजार करोड़ रुपए यानी कि (10 अरब डॉलर) से ज्यादा का नुकसान हुआ।
ब्लूमबर्ग बिलिनेयर इंडेक्स के मुताबिक शुक्रवार के अडानी की पर्सनल वेल्थ 77 बिलियन डॉलर थी। सोमवार को National Securities Depository Ltd (NSDL) की रिपोर्ट आने के बाद अडानी कंपनियों के शेयरों में 20 फीसदी तक की गिरावट आई है। इन विदेशी फंडों के पास 43500 करोड़ रुपए के शेयर हैं ऐसा बताया जा रहा है।
अकाउंट फ्रीज
वित्तीय रिपोर्ट के मुताबिक, एनएसडीएल. ने तीन विदेशी फंड्स के अकाउंट को फ्रीज कर दिया है। इन तीनों के पास अडानी की चार कंपनियों के 43500 करोड़ रुपए वर्थ के शेयर मौजूद है। जानकारी के मुताबिक, शेयर खरीदने और बेचने के लिए अब इन फंड्स का इस्तेमाल नहीं किया जा सकता। इस खबर के आने के बाद से ही अडानी की कंपनियों में धड़ाधड़ लोअर सर्किट लगने लगे है।
आप को जानकारी देते हुए बता दें, कि इस कंपनी की ज्यादातर हिस्सेदारी प्रमोटर्स कंपनियों के पास ही है। वर्तमान में अडानी ग्रुप इस समय दुनिया में सबसे तेज वेल्थ क्रिएटर है से अब था में परिवर्तित हो गया है। सोमवार को अडानी ग्रुप की कंपनियों का मार्केट कैप 15 अरब डॉलर कम हो गया।
75 फीसदी हिस्सेदारी प्रमोटर्स के पास
अधिक जानकारी के मुताबिक, अडानी ग्रुप की ज्यादातर लिस्टेड कंपनियों की लगभग 75 फीसदी हिस्सेदारी प्रमोटर्स के पास है, बाकी के ज्यादातर फ्रीफ्लोट शेयर 6 से 7 विदेशी पोर्टफोलियो के निवेशकों के हाथ में हैं।
इनके अलावा अडानी ग्रूप ऑफ कंपनी में बाकी डे टू डे ट्रेडर या रिटेल निवेशकों के लिए बहुत कम शेयर बचते हैं, जो मार्केट में आर्टिफिशियल डिमांड क्रिएट के लिए काम करते हैं। निवेशकों के विशेषज्ञों द्वारा इसको भी कंपनियों के शेयरों की कीमतों में बेतहाशा वृद्धि का कारण माना जा रहा है।
फ्रिज अकाउंट्स की जानकारी देते हुए बता दें, कि अडानी एंटरप्राइजेज में 6.82 फीसदी, अडानी ट्रांसमिशन में 8.03 फीसदी, अडानी टोटल गैस में 5.92 फीसदी और अडानी ग्रीन में 3.58 फीसदी हिस्सेदारी है। जिन्हें एनएसडीएल ने इन तीनों फंडों के अकाउंट को फ्रीज किया है।
इनके कारणों के बारे में आप को बताते चलें, कि प्रीवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट के तहत बेनिफिशियल ऑनरशिप के बारे में पूरी जानकारी देनी जरूरी है। लेकिन इन विदेशी फंड्स ने बेनिफिशियल ऑनरशिप के बारे में पूरी जानकारी नहीं दी। इस वजह से उनके अकाउंट्स को फ्रीज कर दिया गया है।
एक अधिकारी ने बताया, कि ज्यादातर ऐसे मामलों में कस्टोडियन अपने क्लाइंट्स को इस तरह की कार्रवाई के बारे में आगाह कर देते हैं, लेकिन अगर फंड इस बारे में जवाब नहीं देता है, या इसका पालन नहीं करता है तो अकाउंट्स को फ्रीज किया जा सकता है। अकाउंट फ्रीज करने का मतलब है कि फंड न तो कोई मौजूदा सिक्योरिटीज के बेच सकता है और न ही नई खरीदी कर सकता है।
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