POCSO केस में बड़ी राहत: 8 साल जेल में रहने के बाद आरोपी बरी

मालाड (ईस्ट), मुंबई में POCSO एक्ट के तहत बलात्कार के आरोप में गिरफ्तार 56 वर्षीय व्यक्ति को अदालत ने सबूतों की कमी के चलते 8 साल बाद बरी कर दिया। कोर्ट ने कहा— मेडिकल और बयान में भारी विरोधाभास है।

मुंबई: मलाड ईस्ट इलाके में POCSO एक्ट के तहत एक 17 वर्षीय युवती से दुष्कर्म के आरोप में गिरफ्तार 56 साल के आरोपी को स्पेशल POCSO कोर्ट ने 8 साल बाद बरी कर दिया है। कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि पीड़िता का बयान अस्पष्ट है और मेडिकल रिपोर्ट उससे मेल नहीं खाती, इसलिए आरोपी को दोषी साबित नहीं किया जा सकता। इसके साथ अदालत ने आदेश दिया कि आरोपी को तुरंत रिहा किया जाए, अगर उस पर कोई और केस लंबित न हो।

🔹 मामला क्या था?

यह पूरा मामला 23 अगस्त 2017 को मालाड ईस्ट के कुरार इलाके का है। आरोप था कि एक 56 साल का शख्स, जो पीड़िता का पड़ोसी था, कथित रूप से घर में घुसकर लड़की के साथ यौन शोषण किया और बाद में उसके परिवार को धमकाया। अगले ही दिन यानी 24 अगस्त 2017 को लड़की की मां ने पुलिस में शिकायत दर्ज करवाई और आरोपी को IPC की धारा 376 (रेप), 452 (घर में घुसना), 506 (धमकी देना) और POCSO एक्ट की धाराओं में गिरफ्तार कर लिया गया।

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🔹 कोर्ट में क्या हुआ?

मामले की सुनवाई N.D. खोसे की अदालत में चल रही थी। कोर्ट ने सुनवाई के दौरान पाया कि:

  • पीड़िता का बयान साफ और समझ में आने लायक नहीं था।
  • उसने घटना की सही जानकारी विस्तार में नहीं बताई।
  • उसकी मेडिकल रिपोर्ट में किसी भी प्रकार की यौन हिंसा का प्रमाण नहीं मिला।

कोर्ट ने साफ कहा कि ऐसे विरोधाभासों के साथ आरोपी को दोषी ठहराना कानून के खिलाफ है क्योंकि POCSO एक्ट में आरोपी को दोषी साबित करना prosecution की ज़िम्मेदारी होती है।

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🔹 अदालत का फैसला क्या कहता है?

जज ND खोसे ने कहा:

“प्रॉसिक्यूशन आरोपी का अपराध साबित करने में पूरी तरह नाकाम रहा है। सबूत बहुत कमज़ोर हैं और संदेह से परे अपराध साबित नहीं होता।”

अदालत ने यह भी नोट किया कि पीड़िता मानसिक रूप से मध्यम स्तर की बौद्धिक विकलांगता (Moderate Intellectual Disability) से पीड़ित थी, जिससे उसका बयान अदालत के मानकों पर खरा नहीं उतर पाया।

🔹 आरोपी की रिहाई

फैसले के बाद अदालत ने जेल प्रशासन को साफ निर्देश दिया कि:

“अगर आरोपी किसी और केस में वांछित नहीं है तो उसे तुरंत रिहा किया जाए।”

56 वर्षीय आरोपी पहले ही लगभग 8 साल जेल में बिताकर चुका है, जबकि सुनवाई जारी थी।


FAQs Section

Q1: आरोपी को कितने साल बाद जमानत नहीं बल्कि बरी किया गया?
➡ आरोपी को लगभग 8 साल बाद कोर्ट ने सबूतों की कमी के चलते बरी किया।

Q2: केस किस आधार पर कमजोर माना गया?
➡ पीड़िता के बयान में स्पष्टता नहीं थी और मेडिकल रिपोर्ट में यौन हमले के निशान नहीं मिले।

Q3: क्या आरोपी तुरंत रिहा होगा?
➡ हाँ, अगर उसके खिलाफ कोई दूसरा मामला दर्ज नहीं है तो उसे तुरंत रिहा किया जाएगा।


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