Mumbai News: अब कन्या शालाएँ बनेंगी सहशिक्षा स्कूल! लड़के-लड़कियाँ साथ पढ़ेंगे, जानें सरकार का बड़ा आदेश

महाराष्ट्र सरकार ने बड़ा फैसला लिया है — अब राज्यभर की कन्या शालाएँ (Girls’ Schools) धीरे-धीरे सहशिक्षा स्कूलों में बदली जाएँगी। शिक्षा में समानता और सामाजिक समरसता बढ़ाने के लिए यह कदम उठाया गया है। जानिए क्या है सरकार का नया आदेश, कौन-कौन सी शर्तें हैं और इसका छात्रों पर क्या असर होगा।

मंत्रालय प्रतिनिधि
मुंबई: महाराष्ट्र सरकार ने शिक्षा के क्षेत्र में एक ऐतिहासिक और आधुनिक फैसला लिया है। अब राज्य की कन्या शालाएँ यानी केवल लड़कियों के लिए चलने वाले स्कूल धीरे-धीरे सहशिक्षा शालाओं में बदले जाएँगे। सरकार का मानना है कि वर्तमान समय में शिक्षा हर जगह सुलभ है, और सामाजिक समानता तथा स्वस्थ माहौल के लिए co-education यानी सहशिक्षा प्रणाली को अपनाना बेहद ज़रूरी हो गया है।

📖 क्या कहा गया है सरकार के नए आदेश में?

राज्य सरकार ने हाल ही में एक सर्कुलर जारी किया है जिसमें साफ कहा गया है कि अब “कन्या शालाओं” को अलग से मान्यता नहीं दी जाएगी। सभी मौजूदा girls’ schools को धीरे-धीरे सहशिक्षा में बदला जाएगा।
सरकार का कहना है कि सहशिक्षा से लड़के और लड़कियों के बीच समानता, आपसी सम्मान और व्यवहारिक समझ बढ़ती है।

Advertisements

मुंबई हाईकोर्ट ने भी पहले (याचिका क्रमांक 3773/2000) एक निर्णय में कहा था कि भविष्य में कन्या शालाओं को स्वतंत्र अनुमति न दी जाए। अब वही दिशा-निर्देश राज्य सरकार ने औपचारिक रूप से लागू किए हैं।

दादर में मीनाताई ठाकरे की मूर्ति पर रेड पेंट फेंका गया – राज ठाकरे ने मुंबई पुलिस को 24 घंटे में आरोपी पकड़ने का निर्देश

🏫 एक ही परिसर में अलग-अलग स्कूल? अब होगा “तत्काल एकीकरण”

राज्य के शिक्षा विभाग ने साफ आदेश दिया है कि —

“अगर किसी परिसर (campus) में लड़कियों और लड़कों के लिए अलग-अलग स्कूल चल रहे हैं, तो उन्हें तुरंत एकीकृत करके सहशिक्षा स्कूल बनाया जाए।”

इसका मतलब यह है कि जहाँ पहले एक ही कैंपस में दो स्कूल चलते थे — एक लड़कियों का और दूसरा लड़कों का — अब दोनों का विलय होगा और एक ही UDISE नंबर (यूनिक डेटा कोड) लागू रहेगा।

इस फैसले को लागू करने की जिम्मेदारी महाराष्ट्र राज्य के शिक्षा आयुक्त को दी गई है।

📝 अन्य स्कूलों को भी मिली मुभा — Co-Ed बनने के लिए करें प्रस्ताव

राज्य सरकार ने यह भी कहा है कि जिन स्वतंत्र कन्या शालाएँ किसी अलग जगह पर चल रही हैं, वे अगर चाहें तो खुद को सहशिक्षा स्कूल में बदलने के लिए प्रस्ताव दे सकती हैं।
ऐसे प्रस्तावों को मंज़ूरी देने का अधिकार भी शिक्षण आयुक्त (Education Commissioner) को दिया गया है।

यह कदम महाराष्ट्र के शिक्षा मॉडल को और आधुनिक, समावेशी और सामाजिक दृष्टि से प्रगतिशील बनाने की दिशा में एक अहम पहल मानी जा रही है।

💬 क्यों ज़रूरी है सहशिक्षा नीति?

1. समानता और संवेदनशीलता

सहशिक्षा में बच्चे आपसी सम्मान और समानता सीखते हैं। लड़के-लड़कियाँ साथ पढ़ने से समाज में लैंगिक भेदभाव (Gender Discrimination) की सोच कम होती है।

2. आत्मविश्वास और व्यवहारिक विकास

सहशिक्षा से छात्रों में आत्मविश्वास बढ़ता है। वे वास्तविक दुनिया में विपरीत लिंग के साथ व्यवहार करना सीखते हैं — जो भविष्य के प्रोफेशनल और सोशल माहौल के लिए बेहद ज़रूरी है।

3. शिक्षा में संसाधनों का सही उपयोग

अलग-अलग स्कूल चलाने की बजाय, एकीकृत स्कूल से संसाधनों (teachers, classrooms, funds) का बेहतर उपयोग होता है।

शिल्पा शेट्टी का बांद्रा रेस्टोरेंट बंद, 60 करोड़ का विवाद

⚖️ मुंबई हाईकोर्ट के आदेश का संदर्भ

इस फैसले के पीछे मुंबई हाईकोर्ट का पुराना आदेश भी एक अहम आधार बना।
याचिका क्रमांक 3773/2000 में हाईकोर्ट ने कहा था कि आगे से राज्य सरकार “केवल लड़कियों के लिए नए स्कूल” को स्वतंत्र मंज़ूरी न दे।

सरकार का कहना है कि यह फैसला शिक्षा में समानता लाने और सामाजिक मानसिकता में बदलाव का रास्ता खोलेगा।


📈 राज्य सरकार की प्राथमिकताएँ और उम्मीदें

  • शिक्षा में समान अवसर: हर बच्चे को बिना लिंगभेद समान शिक्षा का अधिकार मिले।
  • समावेशी स्कूल माहौल: छात्र-छात्राएँ एक साथ सीखें, बढ़ें और भविष्य की चुनौतियों के लिए तैयार हों।
  • महिला शिक्षण संस्थानों की परंपरा का सम्मान: जो कन्या शालाएँ वर्षों से चल रही हैं, उन्हें सम्मान के साथ नए ढाँचे में शामिल किया जाएगा।
  • आधुनिक शिक्षा नीति का हिस्सा: यह नीति राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP-2020) के सिद्धांतों के अनुरूप है, जो inclusive education को बढ़ावा देती है।

🌆 मुंबई और महाराष्ट्र में प्रभाव

मुंबई, पुणे, नागपुर, और ठाणे जैसे शहरी इलाकों में पहले से ही कई स्कूल सहशिक्षा मॉडल पर चल रहे हैं।
लेकिन ग्रामीण इलाकों में अब भी कई कन्या शालाएँ हैं। सरकार का यह आदेश वहाँ बड़ा बदलाव लाएगा।

इससे:

  • शिक्षण संसाधन बचेंगे
  • स्कूलों की संख्या कम होगी लेकिन क्षमता बढ़ेगी
  • सामाजिक एकता मजबूत होगी
  • और लड़कियों के लिए शिक्षा तक पहुँच आसान होगी

🧩 संभावित चुनौतियाँ

  • कुछ अभिभावक और परंपरागत संस्थान इसे जल्दी स्वीकार नहीं करेंगे।
  • छोटे शहरों और ग्रामीण इलाकों में मानसिकता में बदलाव आने में वक्त लग सकता है।
  • शिक्षकों को भी “Gender-Neutral” दृष्टिकोण के प्रशिक्षण की आवश्यकता होगी।

सरकार ने इस बदलाव को चरणबद्ध रूप से लागू करने की योजना बनाई है ताकि किसी स्कूल या छात्र को असुविधा न हो।

रूसी तेल से भारत को सिर्फ 2.5 अरब डॉलर का फायदा

💡 शिक्षा आयुक्त की भूमिका

राज्य सरकार ने पूरे बदलाव की ज़िम्मेदारी शिक्षण आयुक्त, महाराष्ट्र राज्य को दी है।
वे तय करेंगे कि किन स्कूलों को कब और कैसे एकीकृत किया जाए, प्रस्तावों की जाँच करेंगे, और एकीकृत स्कूल को नया UDISE कोड आवंटित करेंगे।

📊 शिक्षा नीति का नया स्वरूप

यह निर्णय महाराष्ट्र की शिक्षा प्रणाली में एक “सांस्कृतिक और संरचनात्मक” बदलाव का संकेत है।
यह सिर्फ स्कूलों का विलय नहीं, बल्कि शिक्षा के दृष्टिकोण में समानता और आधुनिकता का नया अध्याय है।


❓ FAQ (अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न)

Q1: क्या सभी कन्या शालाएँ अब तुरंत सहशिक्षा बन जाएँगी?
नहीं, प्रक्रिया चरणबद्ध होगी। जहाँ लड़के-लड़कियों की स्कूलें एक ही परिसर में हैं, वहाँ पहले एकीकरण होगा। बाकी स्कूलों को प्रस्ताव भेजने की अनुमति दी गई है।

Q2: क्या यह आदेश सिर्फ मुंबई के लिए है?
नहीं, यह आदेश पूरे महाराष्ट्र राज्य के लिए लागू होगा।

Q3: क्या लड़कियों की सुरक्षा पर असर पड़ेगा?
सरकार का कहना है कि स्कूलों को Gender-Friendly माहौल देने की ज़िम्मेदारी प्रशासन और शिक्षकों की होगी। सुरक्षा मानक पहले की तरह सख्त रहेंगे।

Q4: क्या कन्या शालाओं का नाम भी बदलेगा?
संभव है कि एकीकृत स्कूलों के नाम में “कन्या शाला” शब्द हटा दिया जाए और नया नाम लिया जाए।

Q5: क्या यह आदेश निजी स्कूलों पर भी लागू होगा?
अभी यह फैसला मुख्य रूप से सरकारी और अनुदानित स्कूलों के लिए है, पर निजी संस्थानों को भी इसे अपनाने की सलाह दी गई है।


Discover more from  

Subscribe to get the latest posts sent to your email.

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Advertisements
Scroll to Top

Discover more from  

Subscribe now to keep reading and get access to the full archive.

Continue reading