मुंबई में 6,000 से ज़्यादा परिवार पुनर्विकास विवाद में फंसे हैं। बॉम्बे हाईकोर्ट में केस लंबित, RERA सुरक्षा से बाहर, और घर लौटने का इंतज़ार। Mumbai redevelopment dispute 6,000 families stuck in High Court
मुंबई का स्काईलाइन दिन-ब-दिन बदल रहा है। नई-नई ऊँची इमारतें खड़ी हो रही हैं, पुरानी बिल्डिंग्स ध्वस्त की जा रही हैं। लेकिन इस विकास के पीछे एक खामोश संकट भी छिपा है—हज़ारों परिवार जो अपने ही घर का इंतज़ार कर रहे हैं।
बॉम्बे हाईकोर्ट में इस समय 6,000 से अधिक पुनर्विकास से जुड़े मामले लंबित हैं। इनमें अधिकांश वो परिवार हैं जिनकी इमारतें तोड़ दी गईं और डेवलपर ने नए घर का वादा किया, लेकिन सालों बाद भी उन्हें घर नहीं मिला। Mumbai redevelopment dispute 6,000 families stuck in High Court
कानून की खामियां और RERA का दायरा
जब कोई इमारत गिरा दी जाती है, तो उसके मूल निवासी RERA (Real Estate Regulation and Development Act) की सुरक्षा से बाहर हो जाते हैं।
- RERA केवल उन खरीदारों को सुरक्षा देता है जिन्होंने पैसे देकर नया फ्लैट खरीदा हो।
- लेकिन पुनर्विकास और SRA (स्लम रिहैबिलिटेशन) योजनाओं में, निवासी अपना पुराना घर छोड़ते हैं और बदले में नया फ्लैट मिलने की उम्मीद रखते हैं।
इसमें पैसे का लेन-देन नहीं होता, लेकिन जोखिम उतना ही बड़ा है। और यही सबसे बड़ी कानूनी खामी है।
क्यों हो रही है देरी?
अधिवक्ता गॉडफ्रे पिमेंटा का कहना है कि डेवलपर्स पर जवाबदेही तय करने वाला कोई ठोस कानून नहीं है।
- कई परियोजनाएं सालों से रुकी हुई हैं।
- परिवारों को अदालतों में लंबी लड़ाई लड़नी पड़ रही है।
- औसतन एक केस 5-7 साल तक चलता है, जिससे मध्यमवर्गीय और वरिष्ठ नागरिक बेहद परेशान हो जाते हैं।
पिमेंटा का कहना है, “अगर पुनर्विकास को RERA के दायरे में लाया जाए तो डेवलपर्स पर समय सीमा पूरी करने का दबाव बनेगा और निवासियों को कानूनी सुरक्षा मिलेगी।” Mumbai redevelopment dispute 6,000 families stuck in High Court
विशेषज्ञों की राय: नए कानून की ज़रूरत
महाराष्ट्र सोसायटीज़ वेलफेयर एसोसिएशन (महासेवा) के अध्यक्ष, सीए रमेश प्रभु का कहना है कि जब RERA लागू हुआ तो यह ऐतिहासिक कदम था, लेकिन यह नए फ्लैट खरीदारों को ध्यान में रखकर बनाया गया था।
उनके अनुसार, अब सरकार को चाहिए कि:
- पुनर्विकास और पुनर्वास के लिए एक अलग ढांचा तैयार करे।
- इसके लिए एक थिंक टैंक स्थापित किया जाए।
- समयबद्ध मंजूरी और निगरानी के लिए एकल खिड़की प्रणाली लागू की जाए।
महाराष्ट्र की भूमिका और ज़िम्मेदारी
महाराष्ट्र हमेशा से आवास सुधारों में अग्रणी रहा है।
- MOFA (Maharashtra Ownership Flats Act) ने देशभर को दिशा दी।
- 2012 में, केंद्र की RERA से पहले ही राज्य ने अपना आवास कानून लागू कर दिया था।
अब विशेषज्ञों का कहना है कि महाराष्ट्र को एक बार फिर नेतृत्व करना चाहिए और पुनर्विकास न्यायाधिकरण (Redevelopment Tribunal) की स्थापना करनी चाहिए, जिसके पास सख्त समयसीमा और प्रवर्तन की शक्ति हो।
आँकड़े बताते हैं संकट की गहराई
- महाराष्ट्र में 1.25 लाख से ज़्यादा हाउसिंग सोसायटीज़ और 2 लाख अपार्टमेंट कॉम्प्लेक्स हैं।
- इनमें से लगभग 30% सोसायटीज़ पुनर्विकास की प्रक्रिया में हैं या उसके इंतज़ार में हैं।
- बॉम्बे हाईकोर्ट में 6,000 से अधिक केस लंबित हैं, जबकि दीवानी अदालतों में यह संख्या और ज़्यादा है।
एडवोकेट श्रीप्रसाद परब कहते हैं, “यह एक परिवर्तनकारी दौर है, लेकिन जब तक समय पर न्याय और कड़ा कानूनी ढांचा नहीं मिलता, तब तक हज़ारों लोग अधर में फंसे रहेंगे।” Mumbai redevelopment dispute 6,000 families stuck in High Court
परिवारों की जंग और मानसिक असर
जो परिवार अपने घर छोड़कर किराए के मकानों में रह रहे हैं, वे सिर्फ आर्थिक बोझ ही नहीं बल्कि मानसिक तनाव भी झेल रहे हैं।
- किराया और खर्चा बढ़ रहा है।
- कई बुज़ुर्ग परिवार हर रोज़ घर लौटने की उम्मीद में जी रहे हैं।
- लंबे केस और धीमी प्रक्रिया ने कई लोगों की मानसिक शांति और सम्मान छीन लिया है।
प्रभु कहते हैं, “प्रगति अच्छी है, लेकिन अगर यह लोगों के घर और जीवन की शांति छीन ले तो इसका क्या मतलब?”
मुंबई के हर नए टॉवर के साथ यह सवाल खड़ा होता है कि कहीं कोई पुराना परिवार तो अपने घर की राह नहीं देख रहा।
पुनर्विकास एक सुनहरा सपना है, लेकिन जब तक कानून में बदलाव नहीं होता और निवासियों को RERA जैसी सुरक्षा नहीं मिलती, तब तक यह एक जुआ ही रहेगा। Mumbai redevelopment dispute 6,000 families stuck in High Court
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