महा-अघाड़ी सरकार में मतभेद होने के आसार..
संवाददाता- (इस्माइल शेख)
मुंबई– महाराष्ट्र की उद्धव सरकार ने राज्य में एनपीआर लागू करने को अपनी मंजूरी दे दी है! खबर के मुताबिक, महाराष्ट्र में 1 मई से एनपीआर की प्रक्रिया शुरू हो जाएगी! आप को बता दें कि केन्द्रीय गृह मंत्रालय ने 1 मई से लेकर 15 जून तक एनपीआर लागू करने की अधिसूचना जारी की हुई है!
रजिस्ट्रार जनरल एंड सेंसस कमिश्नर (RGCC) ने महाराष्ट्र सरकार के अधिकारियों से एनपीआर और जनगणना को लेकर चर्चा की थी, जिसे तकरीबन 6 हफ्तों में पूरा किए जाने की उम्मीद जताई जा रही है!
अधिकारियों का हो रहा है चयन..
इस प्रक्रिया को पूरा करने के लिए, राज्य सरकार की ओर से जिलाधिकारियों, अध्यापकों और स्वास्थ्य विभाग के कर्मचारियों को इकट्ठा कर उन्हें जनगणना संबंधी ट्रेनिंग देने के निर्देश दिए हैं! जो अधिकारी इस प्रक्रिया का हिस्सा होंगे और सुपरविजन करेंगे उन्हें पूरी ट्रेनिंग दी जाएगी! जिसमें बताया जाएगा कि कर्मचारियों को एनपीआर के लिए डाटा कैसे एकत्र करनी है! इस सिलसिले में, अधिकारियों ने बताया कि सरकारी कर्मचारी 1 मई से लेकर 15 जून के बीच एनपीआर की जानकारी एकत्र करेंगे, जबकि अगले साल 9 फरवरी से 28 फरवरी के बीच जनगणना की जाएगी! बताया जा रहा है कि इसके लिए महाराष्ट्र सरकार ने 3.34 लाख कर्मचारी की नियुक्त की गई हैं!
सरकार के बीच खींचा-तानी के आसार..
महाराष्ट्र में सरकार के बीच एनपीआर लागू करने को लेकर खींचा-तानी होने की आशंका जताई जा रही है! दरअसल कांग्रेस और राष्ट्रवादी, सीएए और एनआरसी का खुलकर विरोध कर रही है! शिवसेना राज्य में एनपीआर लागू करने की बात कह चुकी है! अब चूंकि महाविकास अघाड़ी सरकार में शिवसेना, कांग्रेस और एनसीपी शामिल हैं! ऐसे में आशंका है कि एनपीआर के मुद्दे पर सरकार में मतभेद उभर सकते हैं!
बता दें कि देश के विभिन्न हिस्सों में लोग संशोधित नागरिकता कानून, एनआरसी और एनपीआर का विरोध कर रहे हैं! विरोध करने वाले लोग एनपीआर को एनआरसी और सीएए की शुरुआत बता रहे हैं! जिसकी गणना को ध्यान में रखकर आगे की प्रकृया को पूरा किए जाने की बात बताई जा रही है! केंद्र के फैसले पर नाराज देशभर में विरोध प्रदर्शन किए जा रहे हैं!
विरोध में राज्य के मंत्री भी शामिल..
हाल ही में शनिवार 15 फरवरी मुंबई के आजाद मैदान में हुए नागरीकता संशोधन कानून पर महामोर्चे में महाराष्ट्र के कुछ मंत्री शामिल हुए थे! जिसको देखते हुए विरोध कर रहे लोगों ने राज्य में कानून नही लागू होने का भ्रमिक आश्वासन हासील किया था! इसी प्रक्रिया में कुछ राजनैतिक विशेषज्ञों का कहना है कि महाअघाड़ी सरकार के बीच मतभेद होना अब लाज़मी है!
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