न्यूज़ डेस्क
मध्यप्रदेश- उज्जैन रेलवे जंक्शन पर देर रात यात्रियों की सुविधा के लिए चलाई जाने वाली लिफ़्ट और एक्सीलेटर बंद होने की शिकायत पर स्टेशन उप अधीक्षक ने बदसलूकी करते हुए एक को बंधक बना लिया। काफ़ी देर इंतजार के बाद पत्रकार एस.पी यादव बात करने गए उनसे भी बदसलूकी करते हुए कहा, कि तुम पहले उच्च अधिकारियों से मेरी बात कराओ तभी मैं लिफ्ट या एक्सीलेटर चालू करवाऊंगा और शिकायत बुक भी दूगा। बाकी तुम को जो करना है कर लो। इसकी शिकायत पर रतलाम के डीआरएम ने अफसोस जताते हुए कार्यवाही का आश्वासन दिया है। (Ujjain Junction Railway Officer’s bullying, DRM assured action)
उप अधीक्षक ने बनाया बंधक
बता दें कि पत्रकार एस.पी. यादव मुंबई से अपने परिवार और एक सहयोगी के साथ उज्जैन महाकाल दर्शन के लिए गए हुए थे। पत्रकार बिमार चल रहे हैं। स्वास्थ्य कमजोरी के कारण उनको चलने फिरने में दिक्कत हो रही है। इसके लिए उन्होंने अपने एक सहायक को भी साथ ले गए हैं। 22 अक्तूबर सवेरे लगभग 3 बजे के आसपास उज्जैन से मुंबई वापसी के लिए वेटिंग रूम में गाड़ी का इंतज़ार कर रहे यादव परिवार ने देखा कि रेलवे स्टेशन पर लिफ़्ट और एक्सीलेटर बंद हैं। सहायक को कार्यालय में पूछताछ के लिए भेजा। वहां स्टेशन उप अधीक्षक मौजूद थे। लेकिन सहायक के साथ बदसलूकी करते हुए सहायक की एक नहीं सूनी और शिकायत बुक मांगने पर भी बुक नही दिया और नाम पूछने पर उसे बंधक बनाकर बैठा लिया। (Ujjain Junction Railway Officer’s bullying, DRM assured action)
उप अधीक्षक की दबंगई
काफी देर इंतजार के बाद पत्रकार एस.पी यादव बात करने के लिए गए तो उनसे भी बद्तमीज़ी करते हुए, उप अधीक्षक ने कहा कि तुम पहले उच्च अधिकारियों से मेरी बात कराओ तभी मैं लिफ्ट और एक्सीलेटर चालू करवाऊंगा और शिकायत बुक भी दूंगा। बाकी तुम को जो करना है कर लो। एक्सीलेटर चालू नही होगा। बता दें कि उज्जैन रेलवे जंक्शन एक भीड़भाड़ वाला रेलवे स्टेशन है। यहा रातों दिन यात्रियों की भीड़ देखने को मिलती है। इसी को देखते हुए रेलवे प्रशासन ने यहां लिफ़्ट और एक्सीलेटर का इंतजाम किया है। लिफ़्ट और एक्सीलेटर यात्रियों की सुविधा में बड़ा महत्व रखते हैं। कमजोर बुढ़े और गर्भवती महिलाओं को इससे काफी आराम मिलता है। जबकि पत्रकार एस.पी. यादव के स्वास्थ्य समस्याओं के कारण उन्हें चलने फिरने में कठिनाई होती है। पत्रकार ने इसकी भी जानकारी स्टेशन उप अधीक्षक को दी। तब पर भी उप अधीक्षक अपनी दबंगई करते रहे और आधी रात को रेलवे के उच्च अधिकारियों से बात कराने को कहते रहे। जबकि उप अधीक्षक को पता था कि ऐसा नही हो सकता। दिन का समय होता तो बात हो भी सकती थी। लेकिन घटना के समय देर रात 3 बज रहे थे। (Ujjain Junction Railway Officer’s bullying, DRM assured action)
आम यात्रियों के साथ क्या होता होगा?
आधी रात को यात्रियों की समस्या पर ध्यान नहीं देना और शिकायत पर अकड़पन दिखाते हुए दबंगई दिखाना, गैरकानूनी है। एक पत्रकार जिसे प्रशासनीक कामकाज और अधिकारों का पूरा ज्ञान है उसके साथ रेलवे स्टेशन उप अधीक्षक इस तरिके का दुर्व्यवहार करते हैं तो यह काफ़ी दयनीय बात है। उप अधीक्षक होकर एक पत्रकार के साथ ऐसी दबंगई दिखा सकते हैं तो आम लोगों के साथ क्या करते होंगे? जबकि ऐसा नही होना चाहिए। लिफ़्ट और एक्सीलेटर यात्रियों की सुविधा के लिए लगाई गई है और यात्रियों की सुविधा मे कोई दिक्कत न हो इसकी जिम्मेदारी रेलवे कर्मचारियों और अधिकारियों की पहली प्राथमिकता होनी चाहिए। अगर ऐसा नही है तो तुरंत संबंधित अधिकारी और कर्मचारी को निलंबित कर देना चाहिए। (Ujjain Junction Railway Officer’s bullying, DRM assured action)
फिलहाल उप अधीक्षक ने घटना को लेकर न तो लिफ़्ट चालू करवाया और न एक्सीलेटर चालू किया गया। यादव परिवार को वैसे ही परिस्थिती में यात्रा करने पर मजबूर किया गया। इसको लेकर जनरल मैनेजर और चीफ कमर्शियल मैनेजर से शिकायत के बाद रतलाम के डीआरएम ने अफसोस जताते हुए कार्यवाही का आश्वासन दिया है। (Ujjain Junction Railway Officer’s bullying, DRM assured action)
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